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हरीश रावत ने बेटे को चुनावी राजनीति में लांच करने का यह कारण बताया

कार्यकर्ताओं में यह चर्चा उठी कि विरेंद्र रावत को प्रत्याशी घोषित करने की वजह सिर्फ इतनी है कि वो हरीश रावत के बेटे हैं

हरिद्वार। लोकसभा चुनाव में हरिद्वार सीट पर अपने बेटे विरेंद्र रावत को चुनावी राजनीति में लांच करने वाले पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट किया है, जिसमें उन्होंने यह बताने की कोशिश की है, कि विरेंद्र रावत का चयन क्यों हुआ।

मुझे कोई चाह नहीं, की बात कहने वाले हरीश रावत हमेशा से पार्टी में परिवारवाद को लेकर चर्चाओं में रहे हैं।

2004 के लोकसभा चुनाव में अल्मोड़ा सीट पर उनकी पत्नी रेणुका रावत चुनाव हारीं।

2009 में हरीश रावत हरिद्वार सीट पर विजयी हुए और केंद्र सरकार में मंत्री रहे।

2014 के चुनाव में पत्नी रेणुका रावत को चुनाव लड़ाया, जो हार गईं। उस समय रावत उत्तराखंड के मुख्यमंत्री थे।

2017 के विधानसभा चुनाव में हरीश रावत हरिद्वार ग्रामीण सीट और किच्छा, दो सीटों पर चुनाव हारे।

2022 के विधानसभा चुनाव में हरिद्वार ग्रामीण सीट पर उनकी बेटी अनुपमा रावत ने जीत हासिल की। जबकि इसी चुनाव में हरीश रावत लालकुआं सीट पर चुनाव हार गए थे।

इस बार खुद चुनाव नहीं लड़ने की बात कहकर उन्होंने बेटे विरेंद्र रावत के लिए टिकट मांगा। उनकी जिद्द पर पार्टी ने विरेंद्र रावत को प्रत्याशी घोषित कर दिया, हालांकि रावत ने टिकट घोषित होने से पहले ही अपना चुनावी रथ हरिद्वार की सड़क पर दौड़ा दिया था।

हरीश रावत जानते हैं कि उनके बिना विरेंद्र रावत के साथ कांग्रेस कार्यकर्ता पूरे मनोयोग नहीं जुड़ेंगे। इसलिए बीते कल स्वागत कार्यक्रम में रावत ने पूरी तरह यह दर्शाने की कोशिश की, कि चुनाव वो खुद लड़ रहे हैं। वो अपने कार्यों को फोकस करते हुए विरेंद्र के लिए समर्थन मांग रहे हैं।

जब कार्यकर्ताओं में यह चर्चा उठी कि विरेंद्र रावत को प्रत्याशी घोषित करने की वजह सिर्फ इतनी है कि वो हरीश रावत के बेटे हैं। कहा जा रहा है जब हरीश रावत चुनावी अभियान में इतने सक्रिय हैं तो उन्होंने अपने लिए टिकट क्यों नहीं मांगा। पार्टी उनको आसानी से उम्मीदवार घोषित कर देती।

इस पर हरीश रावत एक सोशल मीडिया पोस्ट करते हैं, “पुत्र या कार्यकर्ता Virender Rawat ने 1998 से निरंतर कांग्रेस कार्यकर्ता के रूप में उत्तराखंड में काम किया है और 2009 से निरंतर हरिद्वार में काम किया है। ”

” पार्टी हाई कमान ने खूब जानकारी एकत्रित की, जब निश्चित हो गया कि पुत्र नहीं कार्यकर्ता भारी है, तब विरेंद्र रावत का हरिद्वार लोकसभा प्रत्याशी के रूप में चयन हुआ। विरेंद्र बेटे भी हैं, शिष्य भी हैं, मगर मैं एक बात पूरी दृढ़ता से कहना चाहूंगा कि सेवा, समर्पण, समन्वय, समरचता और विकास की सोच के मामले में विरेंद्र मुझसे 19 साबित नहीं होंगे, बल्कि कालांतर में 21 साबित होंगे।”

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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