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पक्षियों की कहानीः मूर्खों को सलाह न दें तो बेहतर

एक जंगल में आम के पेड़ पर कई पक्षी रहते थे। सभी पक्षी अपने छोटे छोटे घोंसलों में खुश थे। बरसात के मौसम की शुरुआत से पहले, जंगल के सभी जानवरों ने अपने घरों की मरम्मत कर ली। पक्षियों ने भी अपने घोंसलो को और अधिक सुरक्षित बना दिया। कई पक्षियों ने टहनियों और पत्तियों से घोंसले मजबूत किए। पक्षियों ने अपने बच्चों के लिए भोजन भी स्टोर कर लिया।

अब जब बरसात शुरू होने को थी, पक्षियों को किसी प्रकार की चिंता नहीं थी। उनके पास अपने बच्चों के लिए पर्याप्त भोजन था। बारिश शुरू हो गई। सभी पक्षी अपने वाटरप्रूफ घोंसलों में पर्याप्त भोजन के साथ सुरक्षित थे। बारिश लगातार कई दिन तक जारी रही। एक दिन,बारिश में बुरी तरह भीगा एक बंदर जंगल में पहुंच गया। वह एक शाखा पर बैठकर कांप रहा था। बंदर ने खुद को पानी से बचाने की पूरी कोशिश की। उसने अपने को पत्तियों से ढंकना चाहा, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। वह स्वयं से कह रहा था कि बहुत ठंड है। यह बारिश तो मुझे मार देगी।

पक्षी यह सब देख रहे थे। उनसे बंदर का कष्ट देखा नहीं गया, लेकिन वो उसके लिए कुछ नहीं पा रहे थे। उन्होंने बंदर से कहा, भाई हमारे छोटे घोंसले आपकी मदद करने के लिए पर्याप्त नहीं हैं। एक पक्षी ने कहा, आपको भी बरसात से पहले अपने रहने के लिए पक्के इंतजाम करना चाहिए था। यदि आपके पास सुरक्षित घर होता तो आपके यह परेशानी नहीं झेलनी पड़ती।

पक्षियों की सलाह पर बंदर को गुस्सा आ गया। उसने कहा, अपनी बकवास बंद रखो। गुस्साए बंदर ने पक्षियों के घोंसलों पर हमला कर दिया। उसने कुछ घोंसले तोड़ दिए। पक्षियों के बच्चे असहाय होकर जमीन पर पड़े थे। इस पर असहाय पक्षियों ने सोचा- “मूर्ख कभी भी अच्छी सलाह नहीं मानते हैं। उन्हें सलाह देना बेहतर नहीं है। “

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Rajesh Pandey

उत्तराखंड के देहरादून जिला अंतर्गत डोईवाला नगर पालिका का रहने वाला हूं। 1996 से पत्रकारिता का छात्र हूं। हर दिन कुछ नया सीखने की कोशिश आज भी जारी है। लगभग 20 साल हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। बच्चों सहित हर आयु वर्ग के लिए सौ से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। स्कूलों एवं संस्थाओं के माध्यम से बच्चों के बीच जाकर उनको कहानियां सुनाने का सिलसिला आज भी जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। रुद्रप्रयाग के खड़पतियाखाल स्थित मानव भारती संस्था की पहल सामुदायिक रेडियो ‘रेडियो केदार’ के लिए काम करने के दौरान पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाने का प्रयास किया। सामुदायिक जुड़ाव के लिए गांवों में जाकर लोगों से संवाद करना, विभिन्न मुद्दों पर उनको जागरूक करना, कुछ अपनी कहना और बहुत सारी बातें उनकी सुनना अच्छा लगता है। ऋषिकेश में महिला कीर्तन मंडलियों के माध्यम के स्वच्छता का संदेश देने की पहल की। छह माह ढालवाला, जिला टिहरी गढ़वाल स्थित रेडियो ऋषिकेश में सेवाएं प्रदान कीं। बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहता हूं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता: बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी संपर्क कर सकते हैं: प्रेमनगर बाजार, डोईवाला जिला- देहरादून, उत्तराखंड-248140 राजेश पांडेय Email: rajeshpandeydw@gmail.com Phone: +91 9760097344

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