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तक धिनाधिनः मैं पंख लगाकर उड़ूं…

शनिवार की बारिश देखते हुए हमने तय किया था कि रविवार तीन मार्च, 2019 का तक धिनाधिन कार्यक्रम स्थगित कर दिया जाए। बच्चों को शनिवार को ही यह कह दिया गया था कि बारिश हुई तो तक धिनाधिन कार्यक्रम नहीं होगा। धूप निकली तो रविवार सुबह साढ़े दस बजे तक स्कूल पहुंच जाना। मौसम ने हमारा साथ दिया और रविवार होने के बाद भी बड़ी संख्या में बच्चे स्कूल पहुंचे। राजकीय प्राथमिक एवं पूर्व माध्यमिक विद्यालय, माजरीग्रांट में मानव भारती प्रस्तुति तक धिनाधिन का नौवां कार्यक्रम आयोजित किया गया।

राजकीय प्राथमिक एवं पूर्व माध्यमिक विद्यालय में बच्चे और शिक्षक नरेंद्र सागर हमारा इंतजार कर रहे थे। हमारे साथ बड़े भाई अजय पांडेय भी तक धिनाधिन में शामिल होने पहुंचे। शिक्षक नरेंद्र जी रविवार को कक्षा आठ के बच्चों की अतिरिक्त कक्षा लगाकर गणित और विज्ञान पढ़ाते हैं। बच्चों के प्रति उनके समर्पण ने मुझे तो काफी प्रभावित किया है। उन्होंने बताया कि तक धिनाधिन के लिए बच्चों ने पहले ने तैयारी की है। कुछ बच्चे अपने साथ कॉपियां लेकर आए हैं, जिसमें उन्होंने कविताएं, कहानियां लिखी हैं। कक्षा सात के छात्र चंद्रप्रकाश तक धिनाधिन के दौरान एक कॉपी पर कुछ नोट कर रहे थे।मेरे पूछने पर उन्होंने बताया कि उनके दादा जी शाम को कहानियां सुनाते हैं। वह दादा जी की कहानियों को एक कॉपी में लिखते हैं। मेरा मानना है कि हर बच्चे को चंद्रप्रकाश की तरह लिखना चाहिए। कहानियां उनकी समझ ही नहीं बढ़ा रहीं, बल्कि लेखन शैली को भी दिन प्रतिदिन बेहतर कर रही हैं।

तक धिनाधिन की बात करते हैं। हमने बच्चों से कहा कि आज हम आपकी बात सुनने आए हैं। आपकी कहानियां, गीत और कविताएं सुनने आए हैं। हम तो केवल एक कहानी सुनाएंगे। हम माजरीग्रांट के बच्चों से दूसरी बार रू-ब-रू हो रहे थे। नौ दिसंबर को यहां तक धिना धिन कार्यक्रम में बच्चों ने हमसे कहा था कि वो कहानियां, कविताएं, गीत लिखकर लाएंगे। बच्चों ने हमसे किया वादा पूरा किया और सबसे पहले चंद्रप्रकाश ने हमें कौए, गीदड़ और हिरन की कहानी सुनाई। उन्होंने बताया कि कहानी हमें संदेश देती है कि दोस्ती में विश्वास को बनाकर रखना चाहिए। दोस्त ही नहीं बल्कि किसी के साथ भी विश्वासघात नहीं करना चाहिए।

बच्चे कहानियों के जरिये कुछ न कुछ सीखते हैं, इसलिए इनको सुनाना, सुनना औऱ लिखना जरूरी है। हमने बच्चों से पूछा कि अगर पूरी दुनिया में एक ही रंग होता तो आप कैसा महसूस करते। सलोनी, जाह्नवी, अक्षिता, रितिका, चांदनी ने जवाब दिया कि कुछ भी अच्छा नहीं लगता। हमने उनसे कहा कि आप विविधता के बारे में जानते हो, सबने हाथ उठाकर जवाब दिया, जी हां। हमने फिर पूछा, विविधता क्या है। बच्चों ने जो बताया, उसका सार इस प्रकार है- अलग-अलग रंग, अलग-अलग संस्कृति, अलग-अलग खानपान, तरह- तरह के पेड़ पौधे, तरह-तरह के जीव, यह विविधता है। बच्चों ने हमारी बात पर सहमति व्यक्त की कि विविधता का सम्मान किया जाना चाहिए। विविधता है तो जिंदगी है। विविधता पर वार्तालाप को आगे बढ़ाते हुए हमने बच्चों को सतरंगी का अभिमान कहानी सुनाई।

यह कहानी सात रंगों वाली मछली की है, जो सफेद, काले, भूरे रंग वाली मछलियों के तालाब में अकेली थी। उसको तालाब का मालिक खूब पसंद करता था। वह अपने घर आए हर अतिथि को सतरंगी को दिखाता था। वह हर किसी से सतरंगी की तारीफ करता था। इससे सतरंगी में अभिमान आ गया और वह तालाब की अन्य मछलियों के साथ बुरा बर्ताव करने लगी। मछलियों ने सतरंगी को सबक सिखाने की योजना बनाई और वो उससे दूर होकर तैरने लगीं। अब सतरंगी तालाब में अकेले तैरती। ऐसे में वह पहले की तरह आकर्षक नहीं लग रही थी। विविधता के बीच में ही सतरंगी का आकर्षण था। बाद में सतरंगी को अपनी गलती का अहसास हुआ और उसने तालाब की अन्य मछलियों से माफी मांगी और फिर से उनके बीच तैरने की वजह से सतरंगी एक बार फिर आकर्षण का केंद्र बन गई। बच्चों ने वादा किया कि वो सतरंगी की कहानी को अपने अंदाज में लिखेंगे। इसके लिए एक सप्ताह का समय लिया। साथ ही परीक्षा की तैयारी भी मन लगाकर करेंगे। महाशिवरात्रि मेले का वर्णन भी लिखेंगे।

तक धिनाधिन में कक्षा चार की छात्रा आयुषी ने स्वरचित कविता मेरा सपना सुनाई। आयुषी ने सुनाया-

मेरा सपना है कि, मैं पंख लगाकर उड़ूं।

खूब ऊंची चढ़ूं। मैं आसमान को छू लूं।।

हर पेड़ हरे-हरे हों। हरियाली से भरे-भरे हों।।

सारी दुनिया सफाई करेगी। कभी न गंदगी छोड़ेगी।।

दुनिया में हैं लाखों लोग। मेरे सपने हैं अनमोल।।

आयुषी ने बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ, स्वच्छता अभियान पर कविताएं सुनाईं।

कक्षा तीन के शिवम् ने बंदर और उसके बच्चों की कहानी सुनाई, जिसमें बंदर अपने बच्चों के लिए भोजन की तलाश करता है। शिवम् ने ढोलक की थाप पर मां की महत्ता पर गीत सुनाया। एक के बाद बच्चों ने कविताओं, कहानियों और गीतों का ऐसा क्रम शुरू किया कि हमारे यह कहने पर ही थमा कि बाकि अगली बार के कार्यक्रम में। मुझे पूरा विश्वास है कि राजकीय प्राथमिक एवं पूर्व माध्यमिक विद्यालय माजरी ग्रांट के मेधावी बच्चे क्रियेटिविटी और इनोवेशन में नाम रोशन करेंगे। यहां कविता, गीत, कहानी लिखने वाले ही नहीं बल्कि गीत गाने वाले और धुन देने की कोशिश करने वाले भी मिले। जरूरत है तो इन बच्चों को प्रोत्साहन की। यहां हर बच्चा ऊंची उड़ान भरने के अपने सपने को हकीकत में बदलता देखना चाहता है और इसके लिए कोशिश भी कर रहा है। अब हम सभी को चाहिए कि इनको आसमां छूने के लिए मजबूत पंख लगाएं, क्योंकि इनमें ऊंची उड़ान भरने का हौसला तो दिखता है।

बच्चों ने कहानी क्लब बनाने का वादा किया और एक दूसरे के सहयोग से माह में एक कहानी लिखने की बात कही। तक धिनाधिन की टीम की ओर से शिक्षक नरेंद्र सागर जी का बहुत बहुत धन्यवाद। आज के कार्यक्रम में अपनी रचनाएं सुनाने और उपस्थिति दर्ज कराने वाले बच्चों सलोनी, तान्या, सतविंदर, साक्षी, स्नेहा, राधिका, जाह्नवी, रितिका, आयुषी, चांदनी, सोनी, शिवम, कपिल धीमान, मोहित, चंद्रप्रकाश, आदित्या, मन, विशाल कुमार, विनोद कुमार, आयुष कुमार, अभिषेक, राहुल, प्रिंस, शाहिद, सुमित, सब धीमान, सूरज धीमान, दिव्या, भावना, दिशा, खुशी, अक्षत, अक्षिता पाल को बहुत सारा स्नेह और आशीर्वाद। कक्षा आठ के छात्र सार्थक पांडेय और अनंत पांडेय ने फोटोग्राफी में सहयोग दिया। तक धिनाधिन के अगले पड़ाव पर आपसे फिर मिलेंगे, तब तक के लिए बहुत सारी खुशियों और शुभकामनाओं का तक धिनाधिन…।

 

 

 

Rajesh Pandey

उत्तराखंड के देहरादून जिला अंतर्गत डोईवाला नगर पालिका का रहने वाला हूं। 1996 से पत्रकारिता का छात्र हूं। हर दिन कुछ नया सीखने की कोशिश आज भी जारी है। लगभग 20 साल हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। बच्चों सहित हर आयु वर्ग के लिए सौ से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। स्कूलों एवं संस्थाओं के माध्यम से बच्चों के बीच जाकर उनको कहानियां सुनाने का सिलसिला आज भी जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। रुद्रप्रयाग के खड़पतियाखाल स्थित मानव भारती संस्था की पहल सामुदायिक रेडियो ‘रेडियो केदार’ के लिए काम करने के दौरान पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाने का प्रयास किया। सामुदायिक जुड़ाव के लिए गांवों में जाकर लोगों से संवाद करना, विभिन्न मुद्दों पर उनको जागरूक करना, कुछ अपनी कहना और बहुत सारी बातें उनकी सुनना अच्छा लगता है। ऋषिकेश में महिला कीर्तन मंडलियों के माध्यम के स्वच्छता का संदेश देने की पहल की। छह माह ढालवाला, जिला टिहरी गढ़वाल स्थित रेडियो ऋषिकेश में सेवाएं प्रदान कीं। बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहता हूं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता: बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी संपर्क कर सकते हैं: प्रेमनगर बाजार, डोईवाला जिला- देहरादून, उत्तराखंड-248140 राजेश पांडेय Email: rajeshpandeydw@gmail.com Phone: +91 9760097344

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