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म्युजिक और कुकिंग में बेमिसाल रही सास बहू की जोड़ी

डीएवी पीजी कॉलेज देहरादून की पूर्व प्रवक्ता झरना माथुर से एक मुलाकात

न्यूज लाइव ब्लॉग

डीएवी पीजी कॉलेज देहरादून के संगीत विभाग में नौ साल तक प्रवक्ता रहीं झरना माथुर को कई विधाओं में महारत है। बरेली के इंटर कॉलेज में संगीत, अर्थशास्त्र की शिक्षिका रहीं झरना माथुर गीत, कविताएं और गजलें लिखकर उनको संगीतबद्ध भी करती हैं। हारमोनियम, तबले पर आपकी प्रस्तुति कमाल की है।

आपकी सास मां भी श्रीगुरु रामराय कॉलेज में संगीत की शिक्षिका रही हैं, आपके साथ उनकी जुगलबंदी के किस्से पुरानी यादों को ताजा कर देते हैं। तबले पर उनका वादन और आपके गायकी कमाल की थी। आपके गीतों, कविताओं औऱ गजलों की पुस्तक आहट-ए-जज्बात प्रकाशित हो चुकी है। आपकी रचनाएं चार साझा संग्रहों में प्रकाशित हुई हैं।

आप और सास मां को कुकिंग का भी गजब का शौक रहा है। आपकी रेसिपी पर लिखी किताब- मॉम की रेसिपी (जरा हट के) प्रकाशित हुई है, जो काफी पसंद की गई। कंप्यूटर और इंटीरियर डिजाइनिंग के कोर्स भी आपने किए हैं। झरना माथुर जी से एक खास मुलाकात में सुनिए उनकी संगीत और कुकिंग यात्रा के शानदार किस्से और गीत, भजन और गजलों की बहार…

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Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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