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टिहरी गढ़वाल में सिद्धपीठ सुरकंडा देवी मंदिर के लिए रोप वे सेवा शुरू

मुख्यमंत्री धामी ने किया पांच करोड़ की लागत से बनी 502 मीटर लंबी रोपवे का उद्घाटन

देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सिद्धपीठ माँ सुरकंडा देवी मंदिर रोपवे सेवा का शुभारंभ किया और मां सुरकंडा देवी मंदिर में पूजा-अर्चना कर प्रदेश की सुख एवं समृद्धि की कामना की।

सुरकंडा देवी मंदिर जाने के लिए लगभग ₹5 करोड़ की लागत से बने रोपवे की लंबाई 502 मीटर है। सुरकंडा देवी मंदिर रोपवे सेवा, उत्तराखंड राज्य गठन होने के बाद पहली महत्वपूर्ण रोपवे परियोजना है, जिसका निर्माण राज्य पर्यटन विभाग ने किया है।

मुख्यमंत्री धामी ने कहा, माँ सुरकंडा देवी के लिए रोपवे सेवा शुरू होने से श्रद्धालुओं को सुगमता होगी। इससे स्थानीय स्तर पर लोगों की आजीविका भी बढ़ेगी। उन्होंने जिलाधिकारी टिहरी को इस क्षेत्र में स्थाई हैलीपेड के निर्माण के लिए भूमि चिन्हित किए जाने के निर्देश दिए।

उन्होंने कहा कि रोपवे परियोजना यात्रियों एवं पर्यटकों के लिए प्रदूषण मुक्त यातायात का प्रमुख साधन है। राज्य सरकार केंद्र की पर्वतमाला योजना के अंतर्गत जनपदों में विभिन्न रोपवे परियोजनाओं के निर्माण के लिए कार्यवाही कर रही है।

मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के मार्गदर्शन में राज्य में सभी क्षेत्रों में विकास के कार्य तेजी से हो रहे हैं। चारधाम यात्रा में इस वर्ष लाखों श्रद्धालुओं के आने की संभावना है। श्रद्धालुओं को हर सुविधा मिले, इसके पूरे प्रयास किए गए हैं।

इस अवसर पर पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज, विधायक प्रीतम सिंह पंवार, किशोर उपाध्याय, सचिव पर्यटन दिलीप जावलकर, जिलाधिकारी टिहरी ईवा आशीष श्रीवास्तव, एसएसपी टिहरी नवनीत भुल्लर, मुख्य विकास अधिकारी टिहरी नमामि बंसल आदि उपस्थित रहे।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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