National

भारत को चीन ने नहीं दिया नदियों को डेटा

पेइचिंग। डोकलाम विवाद को लेकर दुनिया भर में अपनी भद्द पीटा चुका चीन अब भारत के साथ सही व्यवहार नहीं कर रहा है। कुछ समय से पूर्वी और उत्तरपूर्वी भारत के कई हिस्से बाढ़ से जूझ रहे हैं। इसके बावजूद चीन ने ब्रह्मपुत्र और सतलुज नदी के पानी से जुड़े आंकड़े भारत के साथ साझा नहीं किए हैं।
दोनों देशों के बीच 2006 में एक संधि हुई थी, जिसके तहत नदियों से जुड़ी ऐसी जानकारियां साझा की जानी थीं। इस संधि के तहत चीन हर साल मानसून के दौरान इन दोनों नदियों का हाइड्रोलॉजिकल डेटा भारत को देने वाला था। लेकिन इस साल चीन ने इस संधि का उल्लंघन करते हुए अभी तक इन दोनों नदियों में पानी की उपलब्धता से जुड़े आंकड़े भारत को नहीं दिए हैं।
इसके पीछे मुख्य वजह भारत और चीन के बीच 16 जून से ही सिक्किम सेक्टर के पास डोकलाम विवाद बताया जा रहा है। हालांकि भारत के विदेश मंत्रालय ने दोनों मामलों को जोड़ने से इनकार किया। मंत्रालय का कहना है कि दोनों अलग-अलग मामले हैं। इसलिए इस साथ जोड़ा नहीं जा सकता है।
मीडिया रिपोर्ट में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार के हवाले से बताया गया है कि 2006 में हुए समझौते के बाद एक सिस्टम विकसित किया गया,जिसके तहत चीन हर साल मई से लेकर अक्टूबर के बीच मानसून के दौरान ब्रह्मपुत्र और सतलुज नदी का हाइड्रोलॉजिकल डेटा भारत को दे।
इस सिलसिले में 2013 और 2015 में दोनों देशों ने 2 एमओयू पर हस्ताक्षर भी किए। दोनों देशों के बीच 2016 में आखिरी बार द्विपक्षीय वार्ता हुई थी। रवीश कुमार ने कहा कि आंकड़ों की कमी के कारण बाढ़ प्रबंधन पर कोई असर नहीं पड़ रहा है। उन्होंने कहा,इस क्षेत्र में बाढ़ हमेशा से आती रहती है। हम समय-समय पर इसका सामना करते रहते हैं।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button