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सेहत के लिए कुछ मीठा मतलब थोड़ा गुड़ हो जाए

भोजन के बाद आमतौर हम कुछ मीठा खाना पंसद करते हैं। कुछ लोग मीठे के तौर पर गुड़ खाना अधिक पसंद करते हैं। दरअसल, गुड़ हमारी पाचन क्रिया को तेज और साथ ही साथ मजबूत भी करता है। गुड़ के ऐसे कई फायदे हैं, जिन्हें लोग आमतौर पर नहीं जानते।
गुड़ को पैनेला भी कहा जाता है, का उत्पादन विश्व के लगभग 25 देशों में बड़े पैमाने पर होता है। विश्व के कुल गुड़ उत्पादन में लगभग 70 प्रतिशत की भागीदारी के साथ भारत शीर्ष पर है।
भारत हर वर्ष औसतन 60 से 80 लाख टन गुड़ उत्पादित करता है। देश में कुल गन्ना उत्पादन का लगभग 20 प्रतिशत हिस्सा गुड़ और खांडसारी उद्योगों में उपयोग होता है, जिससे करीब 25 लाख लोगों को रोजगार मिला हुआ है।

पूरे देश का 80 से 90 प्रतिशत गुड़ का उत्पादन उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में होता है। देश में गुड़ को बनाने के लिए गन्ने के रस को बड़े-बड़े बर्तनों में उबालकर उसे ठंडा किया जाता है। लेकिन, देश के कई अन्य हिस्सों में इसे फलों के जूस जैसे अनार और पेड़ के रस जैसे ताड़ी से बनाया जाता है।
गुड़ अपने आप में खनिज, प्रोटीन और विटामिन से समृद्ध एक पोषक आहार है। इसमें मौजूद पोषक तत्व इसे स्वस्थ आहार के लिए आवश्यक बनाते हैं।

यह चीनी का एक बेहतर और स्वस्थ विकल्प भी माना जाता है। वैसे तो चीनी और गुड़ दोनों से ही हमें समान मात्रा में कैलोरी प्राप्त होती है। लेकिन, इसके साथ ही चीनी के मुकाबले गुड़ से हमें प्रचुर मात्रा में प्रोटीन, पोटैशियम, फैट, फॉस्फोरस और मैग्नीशियम भी प्राप्त होता है। इसके अलावा, आयरन, विटामिन-बी, कैल्शियम, कॉपर और जिंक भी हमें गुड़ से मिलता है।
कोल्हापुर स्थित क्षेत्रीय गन्ना और गुड़ अनुसंधान संस्थान के प्रोफेसर विलास सालवे ने इंडिया साइंस वायर को बताया कि “गुड़ में 10 से 15 प्रतिशत ग्लूकोज, 60 से 85 प्रतिशत शर्करा, 0.25 प्रतिशत प्रोटीन, 0.40 कैल्शियम, 383 कैलोरी ऊर्जा के साथ-साथ कई अन्य पोषक तत्व होते हैं।
जबकि, चीनी में हमे 99.5 प्रतिशत शर्करा और 398 कैलोरी ऊर्जा मिलती है। भारत की एक बहुत बड़ी आबादी गुड़ का सेवन करती है। यह उनके आहार का अभिन्न हिस्सा है।” उन्होंने बताया कि चीनी की तुलना में गुड़ का सेवन अधिक गुणकारी है।
आयुर्वेद में गुड़ का एक महत्वपूर्ण स्थान है। आयुर्वेद में इसे अत्यंत गुणवान, आयु को बढ़ाने वाला और शरीर को निरोग तथा यौवण को स्थिर रखने वाला कहा गया है। आयुर्वेद के अनुसार गुड़ क्षारीय, भारी और स्निग्ध होता है।
गुड़ एक ऐसा आहार है, जिसको आहार में शामिल करने से कई स्वास्थ्य समस्याओं को दूर किया जा सकता है। आमतौर पर ठंड के मौसम में गुड़ का सेवन अधिक किया जाता है, क्योंकि इसकी तासीर गर्म होती है, और यह हमारे शरीर को गर्म भी रखता है, जिससे शरीर के रक्त संचार में तेजी आती है। गुड़ खून को पतला भी करता है, जिससे उसमें थक्के बनने की सम्भावना कम हो जाती है।
भोजन के बाद गुड़ का सेवन पाचन एंजाइमों को सक्रिय करता है। इसके सेवन से पाचन में सुधार होता है, और अम्लता, सूजन एवं गैस जैसी समस्याओं दूर होती हैं।

गुड़ के भीतर आयरन की संतुलित मात्रा होती है, जो गर्भवती महिलाओं, एनीमिया और कम हीमोग्लोबिन वाले लोगों के लिए एक बेहतरीन आहार हो सकता है।
गुड़ से काफी मात्रा में हमें सेलेनियम, जिंक और सूक्ष्म पोषक तत्व प्राप्त होते हैं, जो हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं।
हल्दी के साथ गुड़ का सेवन करने से रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है।
प्रोफेसर विलास सालवे ने बताया कि गुड़ जितना पुराना होता है, वह उतना ही स्वास्थ्य के लिए बेहतर होता है, और उसमे उतने ही ज्यादा औषधीय गुण विद्यमान होते हैं।
उन्होंने बताया कि गुड़ हमारे रक्त को शुद्ध करता है। यह बवासीर, गठिया और पित्त के विकारों को रोकने और कम करने में भी सक्षम है।
यदि गुड़ का अदरक के साथ सेवन किया जाए, तो इससे कफ यानी बलगम जैसी समस्याओं को दूर किया जा सकता है।

वहीं, अगर गुड़ का सेवन हरड़ के साथ किया जाए, तो यह पित्त का नाश करता है।
गुड़ का सेवन सोंठ के साथ किया जाए, तो यह वात-दोष संबंधी बीमारियों को दूर करता है।

गुड़ एक स्थानीय तौर पर सुलभ पोषक आहार है, जिसके फायदों के बारे बहुत कम लोग ही जानते हैं।
आयुर्वेदिक और पारंपरिक औषधियों में गुड़ को विशेष स्थान दिया गया है। गुड़ के सेवन से हमारी छोटी-बड़ी हर तरह की समस्याओं का समाधान हो सकता है।
अगर नियमित रूप से गुड़ का सेवन किया जाए, तो यह न केवल कई गंभीर बीमारियों से बचाव करने में मदद करता है, बल्कि शरीर को फिट रखने में भी सहायक होता है।
साभार- इंडिया साइंस वायर

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Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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