भूखी लोमड़ी
एक बार एक लोमड़ी को बहुत तेजी से भूख लगी। वैसे भी वह हमेशा भूखी रहती थी। खाने की तलाश में वह पूरे दिन जंगल में भटकती रहती थी। मानो भूख के मारे उसके प्राण ही निकलने वाले हों। वह दौड़ती हुई नदी किनारे पहुंची। उसकी नजर वहां एक पेड़ पर बने होल पर पड़ी।
होल में रखा पैकेट देखकर उसकी आंखों में चमक आ गई। वह तुरंत होल के अंदर बैठ गई औऱ पैकेट खोलकर देखने लगी। पैकेट में खाना और कुछ फल रखे थे। यह खाना जंगल में लकड़ी काटने आए व्यक्ति ने रखा था। लोमड़ी ने तुरंत सारा खाना चट कर दिया। खाते ही उसे प्यास लग गई, लेकिन वह होल से बाहर नहीं आ सकी।
उसने काफी जोर लगाया, लेकिन होल से बाहर नहीं आ पा रही थी। हुआ यह कि ज्यादा खाना खाने से लोमड़ी पहले से ज्यादा मोटी हो गई थी। लोमड़ी बहुत उदास और परेशान हो गई थी। उसने खुद से कहा, “मुझे लगता है कि होल में कूदने से थोड़ा सोचना चाहिए था।” अगर मैं कुछ सोच विचार करती तो इस मुसीबत में नहीं पड़ती। कहानी संदेश देती है कि कोई भी कार्य जल्दबाजी में बिना सोचे समझे नहीं करना चाहिए।