सावन का मौसम
सावन के मौसम में गिरती हैं जामुन टप-टप।
खाते हैं बाल बच्चे, जामुन को गप-गप, गप-गप।।
बहती हवा है हर-हर, बादल के साथ नभ में।
जल वृष्टि हो रही है, सावन के मौसम में।।
गिरते हैं गोप-गोपी, फिसलन भरी सतह पर।
सावन का होता स्वागत, ग्वालों से मिलती गोपी।।
बूंदे भी गिर रही हैं, पत्ते भी गिर रहे हैं।
खर-खर की साज देखो, सजनी की लाज देखो।।
चिड़िया भी बोले चुन-चुन, भौंरा भी गूंजे गुन-गुन।
जाती है गाड़ी धक-धक, सब देखते हैं टक-टक।।
सावन के मौसम में गिरती हैं जामुन टप-टप।
खाते हैं बाल बच्चे, जामुन को गप-गप, गप-गप।।
देवालयों में शिव का शिवार्चन भी देखो।
कांवड़ियों की साज- सज्जा, तीर्थों का रंग देखो।।
क्रीड़ालयों में बच्चे, सरस्तीरे दर्दुर (मेंढ़क)।
विद्यालयों में उत्सव, नदियों में भक्तवत्सल।।
जड़ हो, या हो चेतन, पक्षियों का कलरव देखो।
पौधों में प्राण आते, सावन के मौसम में।।
हम तरू पुत्रों का चिंतन कर, जल वृष्टि कर, जल वृष्टि कर।
हम कृषकों का भी चिंतन कर, जल वृष्टि कर, जल वृष्टि कर।।
सावन तू अब जल वृष्टि कर, जल वृष्टि कर, जल वृष्टि कर।।
सावन पर यह गीत मानवभारती स्कूल के संस्कृत विभागाध्यक्ष डॉ. अनंत मणि त्रिवेदी जी ने तकधिना धिन का भेजा है।