प्रधानमंत्री ने जिक्र किया है, अब तो रिस्पना का उद्धार करेगी सरकार
देहरादून। न्यूज लाइव ब्यूरोप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार 26 मार्च को मन की बात कार्यक्रम में देहरादून की 11 वीं कक्षा की छात्रा गायत्री के एक मैसेज का जिक्र किया। गायत्री ने प्रधानमंत्री से देहरादून शहर से होकर बहने वाली वर्षों पुरानी रिस्पना नदी की दुर्दशा बयां की थी। कभी पूरे साल बहने वाली देहरादून की शान रिस्पना नदी अब कूड़ा डंपिंग जोन से ज्यादा कुछ नहीं रह गई है। रिस्पना पर कब्जे हो रहे हैं, रिस्पना में गाड़ियों का स्टैंड बना दिया गया है, रिस्पना में कूड़ा करकट और न जाने क्या-क्या फेंका जा रहा है।
रिस्पना अब अपने पुराने वेग को भूल गई है। अब यह तभी बहती है, जब बारिश हो। बरसात में यह अपने साथ कूड़ा करकट, प़ॉलीथिन और गंदगी के ढेर लेकर बहती है और फिर गंगा में मिलने वाली सुसुवा नदी में मिल जाती है।
गोबर, प्लास्टिक , भवन निर्माण का कचरा, नगर निगम का कचरा , खुले शौचालय सब रिस्पना की शरण में लेकिन नदी मर गयी।रिस्पना की पीड़ा को प्रधानमंत्री के समक्ष बयां करने वाली गायत्री को बहुत-बहुत धन्यवाद। जो काम उत्तराखंड में सत्ता जमाने वाले दल और सरकारें नहीं कर पाई, वह छात्रा गायत्री ने कर दिखाया। उनके संदेश का असर यह हुआ कि देशभर में स्वच्छता अभियान के प्रेरक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंन की बात में रिस्पना नदी का जिक्र किया है।
अब उम्मीद जगती है कि राज्य सरकार इस नदी को पुनर्जीवित करने के लिए कोई बड़ा कदम उठाएगी। रिस्पना का पुनर्जीवन शहर की एक खोई हुई विरासत को फिर से पाने जैसा होगा।
पूर्व में भी कई बार रिस्पना नदी में सफाई अभियान चलाने की बातें सामने आती रही हैं, लेकिन इसकी दशा में सुधार नहीं हो सका। जबकि रिस्पना उत्तराखंड विधानसभा भवन के ठीक पीछे है। देहरादून शहर में प्रवेश के लिए रिस्पना नदी के पुलों पर से ही होकर जाना होता है। रिस्पना देहरादून में जाना पहचाना नाम है, लेकिन इसके बाद भी सब लोग दून की इस शानदार विरासत को अपनी आंखों के सामने दम तोड़ता देख रहे हैं। वो तो भला हो गायत्री का जिन्होंने रिस्पना की पीड़ा को प्रधानमंत्री के संज्ञान में ला दिया।