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डेंगू मरीजों से इलाज और टेस्ट के नाम पर मनमानी फीस वसूलने वालों पर होगी कार्रवाईः सचिव

स्वास्थ्य सचिव ने अचानक दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल पहुंचकर डेंगू के मरीजों का हाल जाना

देहरादून । राज्य में तेजी से बढ़ते हुए डेंगू के मामले को देखते हुए स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर राजेश कुमार ने दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल का औचक निरीक्षण किया। स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर राजेश कुमार ने सबसे पहले ब्लड बैंक में व्यवस्थाएं देखीं। यहां पर उन्होंने सख्ती से कहा,  24 घंटे आरडीपी और एसडीपी की प्रक्रिया होनी चाहिए।

प्राचार्य डॉ. आशुतोष स्याना ने उन्हें जानकारी दी कि अगले 10 दिन में एसडीपी यानी जंबो पैक बनाने वाली दूसरी एप्रेसेस मशीन यहां इंस्टॉल हो जाएगी। इससे मरीजों को इंतजार कम करना पड़ेगा।

इसके बाद, स्वास्थ्य सचिव ने डेंगू वार्ड और पीडिया वार्ड का निरीक्षण किया। डेंगू वार्ड में 67 बेड लगाए गए हैं। वहीं पीडिया में 30 बेड डेंगू के लिए आरक्षित हैं।

स्वास्थ्य सचिव ने अधकारियों को हिदायत दी, मेडिसिन और पीडिया के डेंगू मरीजों के संबंध में समन्वय बना रहे। इस दौरान उन्होंने डेंगू से पीड़ित मरीजों व उनके परिजनों से अस्पताल में मिल रहे इलाज से संबंधित जानकारी ली।

मीडिया से बात करते हुए डॉ. आर राजेश कुमार ने कहा कि डेंगू के बढ़ते मामलों को देखते हुए निरीक्षण किया गया है। मरीजों के लिए 100 बेड रिजर्व रखे गए हैं।

डेंगू के गंभीर मरीजों के मुकाबले सामान्य मरीजों की संख्या ज्यादा है। जरूरत पढ़ने पर अस्पताल में बेड्स की संख्या बढ़ाई जाएगी। उन्होंने आम जनमानस से डेंगू को लेकर सतर्क और जागरूक रहने की अपील की। कहा, आने वाले समय में जरूरत के अनुसार संख्या बढ़ाई जाएगी। हमारा प्रयास है कि मरीज को समय पर प्लेटलेट्स उपलब्ध हो जाएं।

स्वास्थ्य सचिव ने कहा, डेंगू मरीजों से इलाज के नाम पर मनमानी फीस या प्लेटलेट्स व जंबो पैक की अधिक कीमत वसूलने वाले अस्पतालों, ब्लड बैंको और पैथोलॉजी लैबों की शिकायत सामने आने पर कार्रवाई की जाएगी। कालाबाजारी वालों को छोड़ा नहीं जाएगा। सीएमओ के स्तर से रेट का निर्धारण किया गया है।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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