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कोरोना संक्रमणः मददगार हो सकता है पोर्टेबल अस्पताल ‘मेडिकेब’

भारत जनसंख्या की दृष्टि से दुनिया का दूसरा बड़ा देश है। इस बढ़ती जनसंख्या के कारण समाज का एक बड़ा हिस्सा मूलभूत स्वास्थ्य सुविधाओं से वंचित रह जाता है।
इंडिया साइंस वायर पर प्रकाशित एक रिपोर्ट में बताया गया है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार भारत में प्रति एक हजार लोगों पर केवल 0.7 बेड हैं। इस वक्त देश में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर का प्रकोप जारी है। जहां दिन-प्रतिदिन लाखों की संख्या में कोरोना संक्रमित मरीज सामने आ रहे हैं। जो एक चिंता का विषय है।

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इसके कारण अस्पतालों में बेड, दवाई और अन्य चिकित्सा उपकरणों की भारी कमी उत्पन्न हो गई है।
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), मद्रास के स्टार्ट-अप ‘मोड्यूल्स हाउसिंग’ ने एक ऐसी तकनीक का विकास किया है, जिससे एक तरफ स्वास्थ्य सेवाओं के बोझ को कम करने में मदद मिलेगी तो वहीं, कोरोना संक्रमित मरीजों का समय पर इलाज संभव हो सकेगा।
‘मेडिकेब’ नामक इस पोर्टेबल माइक्रो स्ट्रक्चर के जरिए स्थानीय स्तर पर कोरोना संक्रमितों की पहचान, जांच, आइसोलेशन और इलाज आसानी से किया जा सकेगा।
मॉड्यूल हाउसिंग ऐसे कई माइक्रो अस्पताल विकसित कर रहा है, जिन्हें देशभर में तेजी से स्थापित किया जा सकता है।

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कोरोना महामारी को हराने के लिए इस प्रकार के बुनियादी ढांचे बहुत महत्वपूर्ण है। ऐसे में ‘मेडिकेब’ जैसे सार्थक प्रयास कोरोना के खिलाफ लड़ाई में निश्चित रूप से काफी मददगार साबित होंगे।
आईआईटी मद्रास के इनक्यूबेटेड स्टार्टअप ‘मोड्यूल्स हाउसिंग’ ने कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज के लिए ‘मेडिकेब‘ नामक एक पोर्टेबल अस्पताल इकाई विकसित की है। जिसे केवल चार आदमी मिलकर मात्र 2 घंटे में कहीं भी स्थापित कर सकते हैं। इसलिए इसे ‘मेडिकेब’ नाम दिया गया है। इसे हाल ही में केरल के वायनाड जिले में लॉन्च किया गया है।
‘मेडिकेब’ नामक इस पोर्टेबल माइक्रो स्ट्रक्चर के जरिए स्थानीय स्तर पर कोरोना संक्रमितों की पहचान, जांच, आइसोलेशन और इलाज आसानी से किया जा सकेगा।
मॉड्यूल हाउसिंग स्टार्ट-अप को आईआईटी मद्रास के दो छात्रों राम रविचंद्रन और डॉ. तमस्वती घोष ने वर्ष 2018 में शुरू किया था, जिसे आईआईटी मद्रास के इंक्यूबेशन सेल का सहयोग प्राप्त रहा है।
इसके साथ ही प्रोजेक्ट के सर्टीफिकेशन और बेहतर परिचालन के लिए स्टार्टअप ने श्री चित्रा तिरुनल इंस्टीट्यूट फॉर मेडिकल साइंसेज एंड टेक्नोलॉजी के साथ साझेदारी भी की है। (इंडिया साइंस वायर)
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Rajesh Pandey

उत्तराखंड के देहरादून जिला अंतर्गत डोईवाला नगर पालिका का रहने वाला हूं। 1996 से पत्रकारिता का छात्र हूं। हर दिन कुछ नया सीखने की कोशिश आज भी जारी है। लगभग 20 साल हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। बच्चों सहित हर आयु वर्ग के लिए सौ से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। स्कूलों एवं संस्थाओं के माध्यम से बच्चों के बीच जाकर उनको कहानियां सुनाने का सिलसिला आज भी जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। रुद्रप्रयाग के खड़पतियाखाल स्थित मानव भारती संस्था की पहल सामुदायिक रेडियो ‘रेडियो केदार’ के लिए काम करने के दौरान पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाने का प्रयास किया। सामुदायिक जुड़ाव के लिए गांवों में जाकर लोगों से संवाद करना, विभिन्न मुद्दों पर उनको जागरूक करना, कुछ अपनी कहना और बहुत सारी बातें उनकी सुनना अच्छा लगता है। ऋषिकेश में महिला कीर्तन मंडलियों के माध्यम के स्वच्छता का संदेश देने की पहल की। छह माह ढालवाला, जिला टिहरी गढ़वाल स्थित रेडियो ऋषिकेश में सेवाएं प्रदान कीं। बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहता हूं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता: बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी संपर्क कर सकते हैं: प्रेमनगर बाजार, डोईवाला जिला- देहरादून, उत्तराखंड-248140 राजेश पांडेय Email: rajeshpandeydw@gmail.com Phone: +91 9760097344

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