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टेलीफोन के आविष्कारक ने “अहोय” शब्द दिया था, जो बाद में बन गया “हैलो”

जब भी हम फोन पर बात करते हैं तो हैलो (Hello) शब्द से शुरुआत होती है। हैलो शब्द कहां से आया, इसके बारे में अक्सर यही जानकारी मिलती है कि टेलीफोन के आविष्कारक अलेक्जेंडर ग्राहम बेल ने फोन पर उत्तर देते समय “हैलो” शब्द के प्रयोग का सुझाव दिया था। तभी से यह इस्तेमाल किया जाता रहा है। पर, हम आपके लिए इस शब्द के बारे में कुछ और जानकारियां लेकर आए हैं…

आपने शायद “अहोय” (“Ahoy”) शब्द कम ही सुना होगा, यह समुद्री जहाजों पर नाविकों के बीच इस्तेमाल होने वाला शब्द है। इसका उपयोग खासकर जहाजों पर ध्यान आकर्षित करने के लिए अभिवादन या कॉल के रूप में किया जाता रहा है। यह अक्सर नाविकों और समुद्री संचार से जुड़ा होता है। हालाँकि, आज इसका आमतौर पर उपयोग नहीं किया जाता है, आप इसे समुद्र पर आधारित साहित्य या फिल्मों में सुन सकते हैं।

बेल ने शुरुआत में “अहोय” शब्द को प्राथमिकता दी, लेकिन “हैलो” ने लोकप्रियता हासिल की और टेलीफोन पर अभिवादन और बातचीत के लिए प्रमुख रूप से इस्तेमाल किया जाने वाला शब्द बन गया।

“अहोय”  Middle English  शब्द “”Hoy!” से आया है, जो डच शब्द “Hoi” से आया है। 1751 में प्रिंट में पहली बार इस्तेमाल होने से पहले नाविकों ने गाने में इस शब्द का इस्तेमाल किया था।

“हैलो” शब्द का पहला रिकॉर्डेड उपयोग थॉमस एडिसन ने 1877 में अपने एक सहकर्मी को लिखे पत्र में किया था।

टेलीफोन पर अभिवादन के रूप में “हैलो” प्रसिद्ध है। इस शब्द की शुरुआत कहां से हुए, के बारे में पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है, लेकिन यह समय के साथ विकसित होकर अंग्रेजी भाषा में सबसे आम और व्यापक रूप से स्वीकृत अभिवादन बन गया है।

“हैलो” शब्द की जड़ें Old English में हैं, जहां “hál” or “héla” जैसे शब्दों का इस्तेमाल अच्छे स्वास्थ्य या खुशी की कामना के लिए किया जाता था। समय के साथ, विभिन्न भाषाओं में अभिवादन और सद्भावना की समान अभिव्यक्तियाँ सामने आई हैं।

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Rajesh Pandey

उत्तराखंड के देहरादून जिला अंतर्गत डोईवाला नगर पालिका का रहने वाला हूं। 1996 से पत्रकारिता का छात्र हूं। हर दिन कुछ नया सीखने की कोशिश आज भी जारी है। लगभग 20 साल हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। बच्चों सहित हर आयु वर्ग के लिए सौ से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। स्कूलों एवं संस्थाओं के माध्यम से बच्चों के बीच जाकर उनको कहानियां सुनाने का सिलसिला आज भी जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। रुद्रप्रयाग के खड़पतियाखाल स्थित मानव भारती संस्था की पहल सामुदायिक रेडियो ‘रेडियो केदार’ के लिए काम करने के दौरान पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाने का प्रयास किया। सामुदायिक जुड़ाव के लिए गांवों में जाकर लोगों से संवाद करना, विभिन्न मुद्दों पर उनको जागरूक करना, कुछ अपनी कहना और बहुत सारी बातें उनकी सुनना अच्छा लगता है। ऋषिकेश में महिला कीर्तन मंडलियों के माध्यम के स्वच्छता का संदेश देने की पहल की। छह माह ढालवाला, जिला टिहरी गढ़वाल स्थित रेडियो ऋषिकेश में सेवाएं प्रदान कीं। बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहता हूं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता: बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी संपर्क कर सकते हैं: प्रेमनगर बाजार, डोईवाला जिला- देहरादून, उत्तराखंड-248140 राजेश पांडेय Email: rajeshpandeydw@gmail.com Phone: +91 9760097344

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