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चूहों की सभा में बिल्ली का विरोध

यह कहानी हम बचपन में पढ़ते थे। एक बार की बात है, मिठाई और अन्य खानपान की दुकान में बहुत सारे चूहे पल रहे थे। मिठाइयां और अन्य वस्तुएं खाकर चूहे मौज कर रहे थे। उनकी सेहत बन रही थी, लेकिन दुकान मालिक का काफी नुकसान हो रहा था। चूहे मिठाइयां इधर-उधर बिखेर देते। दुकान में रखे बैग कुतर देते। दुकान मालिक को किसी ने सुझाव दिया कि आप एक बिल्ली पाल लो। बिल्ली से चूहे खूब डरते हैं। एक दिन सभी चूहे आपकी दुकान छोड़कर भाग जाएंगे।

दुकान मालिक को सुझाव पसंद आया और वह अपने किसी दोस्त से बिल्ली ले आए। बिल्ली के आते ही चूहे डर गए। बिल्ली ने कुछ ही दिन में खूब सारे चूहों को मार दिया। चूहे देखकर बिल्ली की तो मौज आ गई। चूहों का स्वतंत्र होकर घूमना बंद हो गया। वो उस दिन का इंतजार करने लगे, जिस दिन बिल्ली के खौफ से मुक्त होंगे। कई दिन बाद भी बिल्ली दुकान से नहीं गई। वहीं चूहे भी दुकान में खाने पीने के सामान का लोभ नहीं छोड़ पा रहे थे।

चूहों ने बैठक बुलाई। बैठक में एक चूहे ने कहा, दोस्तों बिल्ली की दहशत में हमारा खाना-पीना, आजाद होकर घूमना बंद हो गया है। हम सभी डरे हुए हैं। आज हम तय करेंगे कि इस बिल्ली को कैसे भगाया जाए। दूसरे चूहे ने कहा, बिल्ली को भगाना हमारे बस की बात नहीं है। वह हम सभी से ज्यादा फुर्तीली है। एक झपट्टे में बिल्ली ने कई चूहों को मार दिया है। वह इतना शांत होकर आती है, हमें आहट तक नहीं हो पाती। उसके आने का पता चल जाए तो हम सतर्क हो सकते हैं।

तभी एक युवा चूहे ने सुझाव दिया कि बिल्ली के गले में घंटी बांध दी जाए, ताकि हमें यह पता चल जाए कि वह कहां है। उसके चलने से घंटी बजेगी और हम सतर्क हो जाएंगे। सभी चूहों को अपने युवा साथी का सुझाव पसंद आया। वो सभी उसकी तारीफ करते हुए कहने लगे, इसे कहते हैं समझदारी। वास्तव में तुम बुद्धिमान हो युवा दोस्त, जोश में एक चूहे ने कहा। लेकिन यह खुशी ज्यादा देर तक नहीं टिक पाई और बैठक में उस समय सन्नाटा छा गया, जब बुजुर्ग चूहे ने सवाल किया, पहले यह बताओ कि बिल्ले के गले में घंटी कौन बांधेगा।

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Rajesh Pandey

उत्तराखंड के देहरादून जिला अंतर्गत डोईवाला नगर पालिका का रहने वाला हूं। 1996 से पत्रकारिता का छात्र हूं। हर दिन कुछ नया सीखने की कोशिश आज भी जारी है। लगभग 20 साल हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। बच्चों सहित हर आयु वर्ग के लिए सौ से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। स्कूलों एवं संस्थाओं के माध्यम से बच्चों के बीच जाकर उनको कहानियां सुनाने का सिलसिला आज भी जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। रुद्रप्रयाग के खड़पतियाखाल स्थित मानव भारती संस्था की पहल सामुदायिक रेडियो ‘रेडियो केदार’ के लिए काम करने के दौरान पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाने का प्रयास किया। सामुदायिक जुड़ाव के लिए गांवों में जाकर लोगों से संवाद करना, विभिन्न मुद्दों पर उनको जागरूक करना, कुछ अपनी कहना और बहुत सारी बातें उनकी सुनना अच्छा लगता है। ऋषिकेश में महिला कीर्तन मंडलियों के माध्यम के स्वच्छता का संदेश देने की पहल की। छह माह ढालवाला, जिला टिहरी गढ़वाल स्थित रेडियो ऋषिकेश में सेवाएं प्रदान कीं। बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहता हूं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता: बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी संपर्क कर सकते हैं: प्रेमनगर बाजार, डोईवाला जिला- देहरादून, उत्तराखंड-248140 राजेश पांडेय Email: rajeshpandeydw@gmail.com Phone: +91 9760097344

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