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सावन में हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए करें ये उपाय

सावन में अच्छे फल की कामना के लिए हनुमान जी की पूजा करनी चाहिए। मान्यता है कि इस माह में हनुमान पूजन शीघ्र फलदाई होता है। पंचांग के अनुसार श्रावण हिंदू वर्ष का पांचवा महीना है और शिव भक्ति का भी विशेष काल है।

श्रावण मास हिन्दू सनातन परंपराओं के अनुसार मनुष्य जीवन के चार संयम की अहमियत बताने वाला महीना है। हनुमान जी भगवान शंकर के ग्यारहवें अवतार माने जाते हैं। एकादश रुद्र अवतार का चरित्र भी संयम, शौर्य, पराक्रम, बुद्धि, बल, पवित्रता, संकल्प शक्तियों के बल पर जीवन को कष्ट, बाधाओं व संकटों से दूर रखने की प्रेरणा देता है।

  • सावन के पांच मंगलवार शाम पांच बजे के बाद हनुमान जी के सामने चमेली के तेल का एक दीपक अर्पित करें। आपकी हर मुराद पूरी होगी।
  • हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए एक साबुत पान का पत्ता लेकर उस पर थोड़ा सा गुड़ और चना रख कर भोग लगाएं।
  • बजरंगबली जी से धन का आशीर्वाद चाहते हैं तो उन्हें अपने हाथों से गुलाब के फूलों की माला बनाकर चढ़ाएं। फिर आसन पर बैठकर तुलसी की माला से इस मंत्र – राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे, सहस्त्र नाम तत्तुन्यं राम नाम वरानने का जाप करें। हनुमान जी की माला में से एक फूल तोड़कर घर ले आएं। पीछे मुड़कर न देखें। घर आकर उसे लाल कपड़े में लपेटकर अपने धन रखने के स्थान पर रखें।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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