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Valley of flower

Sashi Dewli

शशिदेवली

फूलों की घाटी

कुदरत ने जो बिखेरी है ये वो
चादर है हसीन वादियों में,
खिला है हर रंग-रूप यहाँ
क्या छटा है पाई इन घाटियों ने ।
इस हँसी  जहाँ में जन्नत का
ये नजारा और कहाँ,
भूल कर उस शहर की भीड़ को             valley of flower-2
खुद को खोज लो यहाँ तन्हाइयों में।
खूबसूरती इसकी बेहिसाब
अल्फाजों में भी कहाँ सिमट पायेगी
ये नूर और रंगत का शबाब है
खुशबू  ही तो बिखरायेगी ।
इस मुक्कमल जहाँ में
न मुनासिब है कहीं
ये वो हसीन ख्वाब सा है
जिसे देख जिन्दगी यूँ ही
सँवर जायेगी ।
विरासत है ये पहाड़ की
जिसे संजोए हुए रखना है
फूलों का शहर है इत्र से सजा
जिसे प्यार में डुबोए हुए रखना है ।
पसरा है जो वादियों में
एक नजारा हकीकत कहता
उस कहानी को हसीन सुरों में
सजाये हुए रखना है ।।
  • शशिदेवली, गोपेश्वर चमोली 

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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