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मुख्यमंत्री राहत कोष में घर बैठकर भी कर सकते हैं ऑनलाइन सहयोग

  • मुख्यमंत्री राहत कोष की वेबसाइट cmrf.uk.gov.in का लोकार्पण किया
  • अन्य डिजीटल माध्यमों से भी मुख्यमंत्री राहत कोष में किया जा सकता है सहयोग
देहरादून। मुख्यमंत्री राहत कोष में धनराशि ऑनलाइन भी जमा करा सकते हैं। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने शनिवार को मुख्यमंत्री राहत कोष की वेबसाइट cmrf.uk.gov.in का लोकार्पण किया। अब सभी दानदाता घर बैठे ही ऑनलाइन माध्यम से कोविड -19 से संबंधित राहत कार्यों के लिए अमूल्य योगदान दे सकते हैं।
मुख्यमंत्री रावत ने अपने आवास पर वेबसाइट को लांच किया। NEFT या IMPS तथा अन्य माध्यमों से दानराशि जमा करने की जानकारी भी cmrf.uk.gov.in वेबसाइट पर उपलब्ध है। मुख्यमंत्री राहत कोष में UPI (Unified Payment Interface)  cmrfuk@sbi.in  या वेबसाइट cmrf.uk.gov.in में QR कोड को स्कैन करके पेटीएम ,भीम एप , गूगल पे , फोन पे आदि डिजीटल माध्यमों से भी पेमेंट कर सकते हैं।
PAYTM एप के सर्च बॉक्स में Uttarakhand Mukhyamantri Rahat Kosh लिखकर डायरेक्ट paytm के  माध्यम से भी दानराशि जमा की जा सकती है। मुख्यमंत्री राहत कोष में जमा की जाने वाली दानराशि 80G के अन्तर्गत इनकम टैक्स में छूट के लिए पात्र है।
दानदाता इस वेबसाइट में 80G रसीद के बारे में भी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं तथा मुख्यमंत्री राहत कोष से संबंधित अधिकारियों से भी संपर्क कर सकते हैं। यह वेबसाइट CM Office ने NIC के माध्यम से बहुत कम समय में तैयार की है। मुख्यमंत्री ने जनता से अपील की है कि कोरोना राहत कार्यों में सहयोग को cmrf.uk.gov.in वेबसाइट तथा अन्य डिजीटल पेमेंट का उपयोग कर अधिक से अधिक दान करें।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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