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प्रधानमंत्री आवास योजना शहरी में 240 लाभार्थियों को आवास

देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कैम्प कार्यालय में प्रधानमंत्री आवास योजना शहरी के अन्तर्गत मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण द्वारा बनाए 240 ईडब्ल्यूएस लाभार्थियों को आवास के कागजात सौंपे।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने 10 लाभार्थियों को आवास प्रदान किए। शेष सभी लाभार्थियों को मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण आवास उपलब्ध करा रहा है। आलयम् आवासीय योजना के तहत आमवाला, तरला, सहस्रधारा रोड पर बनाए गए हैं।

मुख्यमंत्री ने जिन लाभार्थियों को आवास के कागजात सौंपे, उनमें रश्मि पांडेय, निताशा सैनी, रामबती, संतोष सिंह, इकादशी भट्ट, रेनू, बबीता रावत, सतपाल, शालू, आरती शामिल हैं।

मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि गरीबों के कल्याण के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्रधानमंत्री आवास योजना से जरूरतमंद लोगों का अपने घर का सपना पूरा हो रहा है।

इस योजना के तहत लाभार्थियों को मात्र छह लाख रुपये में आवास मिल रहा है, जिसमें से 1.50 लाख केंद्र एवं एक लाख रुपये राज्य दे रहा है। लाभार्थी को केवल 3.50 लाख रुपये में आवास प्राप्त हो रहा है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बनने वाले आवासों के कार्यों में तेजी लाई जाएगी। मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष रणवीर सिंह चौहान ने कहा कि आमवाला, तरला, सहस्रधारा रोड में ईडब्ल्यूएस के लिए कुल 240 आवास बनाए गए हैं, जिनमें 15 ब्लॉक्स एवं 30 पार्किंग बनाई गई हैं।

इस परियोजना के तहत आवासीय ईकाई का सुपर एरिया 505.04 वर्ग फुट एवं आच्छादित 237.56 वर्ग फुट है। नगर निगम द्वारा चिह्नित पात्र अभ्यार्थियों में से लॉटरी द्वारा आंवटियों का चयन किया गया है।

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Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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