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क्लीन टॉयलेट्स चैलेंजः सम्मानित होंगे सर्वश्रेष्ठ मॉडल शौचालय

स्वच्छ एवं सुचारू सार्वजनिक शौचालयों के लिए कैंपेन शुरू करने को MoHUA तैयार

नई दिल्ली। विश्व शौचालय दिवस (World Toilet Day)  19 नवंबर को मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने साल 2013 में वर्ल्ड टॉयलेट डे को आधिकारिक संयुक्त राष्ट्र दिवस घोषित किया था। इस साल की थीम ‘त्वरित परिवर्तन’ (ACCELERATING CHANGE) यानी तेजी से बदलाव लाने पर आधारित है।

मार्च में संयुक्त राष्ट्र 2023 के जल सम्मेलन में घोषित किया गया वॉटर एक्शन एजेंडा स्वच्छता और पानी के क्षेत्र में तेजी से बदलाव लाने के लिए सरकारों, कंपनियों, संगठनों और संस्थानों की मौजूदा और नई प्रतिबद्धताओं को जोड़ता है। यह कार्य योजना सभी से अपने वादों को तेजी से पूरा करने का आह्वान करती है।

सुरक्षित स्वच्छता सुनिश्चित करने के लिए तेजी से परिवर्तन लाने की आवश्यकता को समझते हुए आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय (MoHUA) विश्व शौचालय दिवस के कार्यक्रम में क्लीन टॉयलेट्स चैलेंज को शुरू करने के लिए पूरी तरह तैयार है।

इसका उद्देश्य सीटी/पीटी की कार्यक्षमता और स्थिरता सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित करना है। यह अवधारणा स्वच्छ और कुशल शौचालय सुविधाओं के प्रावधान, उनके निरंतर रखरखाव, नवीनीकरण, सौंदर्यीकरण और आमजन तक उनकी पहुंच आसान बनाने की ओर केंद्रित है।

कुशल स्वच्छता सेवाएं प्रदान करना गुड गवर्नेंस का एक अभिन्न अंग है। इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए क्लीन टॉयलेट्स चैलेंज 19 नवंबर (विश्व शौचालय दिवस) से 22 नवंबर के बीच गुड गवर्नेंस डे के रूप में चलाया जाएगा, जब सर्वश्रेष्ठ मॉडल शौचालयों की पहचान की जाएगी और उन्हें सम्मानित किया जाएगा।

विश्व शौचालय दिवस कार्यक्रम की एक झलक

प्रोफेसर डॉ. जैक सिम, संस्थापक और निदेशक विश्व शौचालय संगठन और स्वच्छता से जुड़े अन्य क्षेत्रों के भागीदार, राज्य और शहर के अधिकारी, विकास भागीदार और कॉर्पोरेट जैसे भारत स्वच्छता गठबंधन, हिंदुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड, सुलभ इंटरनेशनल, ग्लोबल इंटर-फेथ वॉश एलायंस, निजी संस्थाएं, शैक्षणिक और अनुसंधान एवं विकास संस्थान आदि इसमें भाग लेने के लिए तैयार हैं।

विश्व शौचालय दिवस कार्यक्रम सामुदायिक/सार्वजनिक शौचालयों एवं स्वच्छता के विभिन्न पहलुओं को प्रदर्शित करेगा। उद्योग विशेषज्ञ ‘टॉयलेट्स 2.0 – इंडिया लीडिंग द चेंज एंड कोलैबोरेटिंग फॉर सेफ सैनिटेशन’ विषय पर चर्चा करेंगे।

एसबीएम (स्वच्छ भारत मिशन) के प्रभाव को बढ़ाने और शहरी स्वच्छता की मुश्किल चुनौतियों का समाधान करने के लिए, इस मंच से एसबीएम-यू 2.0 के लिए पार्टनर्स फोरम को लॉन्च किया जाएगा।

यह फोरम डेवलपमेंट पार्टनर्स और सेक्टर पार्टनर्स से परे, कॉरपोरेट्स, पीएसयू, लाइन मंत्रालयों/डब्ल्यूएएसएच सेक्टर से जुड़े विभागों, अंतर्राष्ट्रीय फंडिंग संस्थानों आदि के लिए साझेदारी की कल्पना करता है।

फोरम को स्वच्छ भारत मिशन – शहरी 2.0 और शहरी स्वच्छता थिंक टैंक के रूप में तैनात किया जाएगा। स्वच्छता में शहरों को सहायता प्रदान करने के लिए सभी प्रासंगिक मामलों में विशेषज्ञता का लाभ उठाया जाएगा। विभिन्न सेक्टर पार्टनर्स और उद्योग विशेषज्ञ सीटी/पीटी और आगे की राह पर अपने अनुभव साझा करेंगे।

स्वच्छ भारत मिशन

स्वस्थ शहरी वातावरण के लिए सबसे पहले स्वच्छता महत्वपूर्ण है, हालांकि जब सुरक्षित माहौल में प्रभावशाली स्वच्छता सेवाएं सुनिश्चित करने की दिशा में काम होता है, तो तेजी से होते शहरीकरण के चलते कई तरह की चुनौतियां सामने आती हैं। स्वच्छता इन्हीं चुनौतियों से निपटने, शौचालयों के महत्व को लेकर जागरूकता पैदा करने और देश को खुले में शौच से मुक्ति दिलाने की ओर ध्यान केंद्रित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वच्छ भारत के लिए आह्वान किया।

साल 2014 में स्वच्छ भारत मिशन (एसबीएम) की शुरुआत होने के बाद नागरिकों के उपयोग के लिए व्यक्तिगत और सामुदायिक/सार्वजनिक शौचालयों, पेशाबघरों समेत स्वच्छता सुविधाओं के प्रावधान को प्रभावी ढंग से सुविधाजनक बनाया गया है। एसबीएम के अंतर्गत शौचालयों का कायाकल्प केंद्र में आ गया है और यह शहरी स्वच्छता का अभिन्न अंग बन गया है।

इस मिशन ने शौचालयों के बुनियादी ढांचे पर ही ध्यान केंद्रित नहीं किया, बल्कि सार्वजनिक और सामुदायिक शौचालयों का उपयोग करने के महत्व पर भी व्यापक जागरूकता पैदा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। स्वच्छता बनाए रखना और इन सुविधाओं का निरंतर उपयोग सुनिश्चित करना मिशन का केंद्र बिंदु रहा है।

शहरी भारत में शौचालयों की यात्रा लंबी और कठिन रही है लेकिन तभी से शौचालयों तक आसानी से पहुंच सुनिश्चित करना केंद्र बिंदु वाला क्षेत्र रहा है – एक ऐसी रोजमर्रा की सुविधा जिसके बिना कोई भी काम नहीं कर सकता है।

आज विभिन्न शहरी स्थानों के अलावा, शहरों में रैन बसेरों और शहरी बस्तियों आदि जैसे घनी आबादी वाले क्षेत्रों में अब कुछ अद्वितीय शौचालय सुविधाएं मौजूद हैं, जैसे मॉड्यूलर पोर्टेबल टॉयलेट्स, पूर्व-निर्मित शौचालय, कंटेनरीकृत शौचालय, अप्रयुक्त बसों के अंदर बने मोबाइल शौचालय आदि।

सौर ऊर्जा से संचालित मुंबई के बायो-टॉयलेट्स से लेकर हैदराबाद के लूकैफे तक, कर्नाटक के स्त्री टॉयलेट्स से अहमदाबाद के स्वचालित सार्वजनिक शौचालयों तक, शहरी भारत के शौचालय स्वच्छ स्मार्ट टॉयलेट्स बनाने की ओर बढ़ रहे हैं।- PIB

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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