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राजकीय शैक्षणिक संस्थाओं में हेल्थ कवरेज बढ़ाने पर जोर

देहरादून। प्रदेश के सभी राजकीय एवं राजकीय सहायता प्राप्त शैक्षिण संस्थाओं को आरबीएसके और आरकेएसके कार्यक्रम के तहत कवर किया जाएगा। एनएचएम निदेशक स्वाति भदौरिया ने गुरुवार को राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के सभागार में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके), राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरकेएसके) एवं एनीमिया मुक्त भारत अभियान की राज्य स्तरीय समीक्षा बैठक में यह जानकारी दी।

मिशन निदेशक ने प्रदेश में बच्चों व किशोर-किशोरियों को स्वास्थ्य लाभ देने पर जोर दिया। उन्होंने कहा आरबीएसके, आरकेएसके कार्यक्रम के तहत उत्तराखंड में 0-19 वर्ष के बच्चों को चिकित्सा सुविधा निरंतर प्रदान की जा रही है।

उन्होंने शैक्षणिक संस्थानों में हेल्थ कवरेज बढ़ाने के निर्देश दिए, इस संबंध में अधिकारियों को निर्देशित करते हुए आंगनबाड़ी केंद्रों तथा स्कूल नहीं जाने वाले बच्चों के संबंध में पंचायती राज विभाग से समन्वय स्थापित कर कवरेज बढ़ाई जाए।

बैठक में एनएचएम की अपर निदेशक अमनदीप कौर ने कहा कि बच्चों में बधिरता की जांच के लिए आशा कार्यकर्ता को प्रशिक्षण दिया जाए। डॉ .भागीरथी जोशी ने किशोरों की नि:शुल्क जांच पर जोर दिया।

बैठक में बैठक में सभी 13 जिलों, एम्स ऋषिकेश, दून मेडिकल कॉलेज, क्योर इंडिया, सत्य साईं अस्पताल, मेहरोत्रा अस्पताल, एविडेंस एक्शन के प्रतिनिधि मौजूद रहे।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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