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2030 तक भारत की हर कार होगी इलेक्ट्रिक

नई दिल्ली


तेल की बचत कम करने के लिए दुनियाभर के देशों में इलेक्ट्रिक कार को बढ़ावा देने की बात कही जा रही है। ऐसे में भारत में भी इलेक्ट्रिक कार बनाने को लेकर जोर दिया जा रहा है। हालांकि अभी बनने वाली इलेक्ट्रिक कार काफी महंगी है और वह आम आदमी की पहुंच से दूर है।

हाल ही में आई एक रिपोर्ट के अनुसार, दुनियाभर में 5 साल के बाद इलेक्ट्रिक कारों का चलन काफी बढ़ जाएगा, जिसका सीधा असर तेल के दामों पर देखने को भी मिलेगा। इलेक्ट्रिक कार के यूज से भारत में ही 60 बिलियन यूएस डॉलर तेल की बचत होगी और 1 गीगा टन कार्बन उर्त्सजन देश में 2030 तक कम हो जाएगा। देश के ऊर्जा मंत्री पीयुष गोयल ने स्पष्ट किया है कि 2030 तक देश में बिकने वाली हर कार इलेक्ट्रिक होगी और कोई भी कार यहां पर डीजल या पेट्रोल ईंधन के साथ नहीं बिकेगी। उन्होंने स्पष्ट किया है कि सरकार इलेक्ट्रिक कारों को लेकर गंभीर है। नीति आयोग द्वारा की गई एक स्टडी में यह बात सामने आई है कि अगर देश इलेक्ट्रिक वाहनों पर निर्भर हुआ तो 60 बिलियन यूएस डॉलर तेल की बचत होगी और 1 गीगा टन कार्बन उर्त्सजन देश में 2030 तक कम हो जाएगा।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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