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एक पिता का पुत्र को उपहार

एक अमीर व्यक्ति  का बेटा ग्रेजुएशन कर रहा था। वह कई माह से अपने पिता से नई कार की डिमांड कर रहा था। वह जानता था कि उसके पिता के पास काफी पैसा है। उसको कार दिलाना उसके पिता के लिए कोई बड़ी बात नहीं है। स्नातक की डिग्री पाने के बाद पिता ने बेटे को अपने स्टडी रूम में बुलाया और उसको एक कागज में लिपटा उपहार भेंट किया और ग्रेजुएट होने पर बधाई दी।

साधारण सा उपहार समझकर बेटा निराश हो गया, क्योंकि वह तो पिता से कार चाहता था। निराश होकर बेटे ने उपहार खोला, जिसमें लेदरशीट के कवर वाली किताब थी। कवर पर उसका नाम लिखा था। बेटे ने गुस्से में किताब को खोलकर भी नहीं देखा और उसको जमीन पर फेंका और पिता पर गुस्सा करने लगा। इसके बाद वह कमरे से बाहर निकल गया। इस घटना के बाद से उसने पिता को नहीं देखा। जरूर पढ़ें- इंसानों से कम नहीं रंगबिरंगे फूल

बेटा अपनी जिंदगी जीने लगा और पिता की तरह सफल उद्यमी बन गया। वह भी अपने पिता की तरह अमीर था और उसका सुंदर घर व परिवार था, लेकिन वह पिता से मिलने नहीं आया। एक दिन वह सोच रहा था कि उसके पिता की उम्र बढ़ रही है और अब उसको पिता से निराश होने की वजह को भी भूल जाना चाहिए। वह पिता से मिलना सोच रहा था, लेकिन व्यस्तता की वजह से उनके पास नहीं जा रहा था। कल, कल और कल करते हुए वक्त बीतता गया।

एक दिन उसको संदेश मिला कि उसके पिता का निधन हो गया है। वह वापस लौटा। पिता के अंतिम संस्कार के कुछ दिन बाद वह घर में रखे कुछ दस्तावेजों को तलाश रहा था। पिता के स्टडी रूम में उसको वही किताब मिल गई, जिसके लैदरशीट वाले कवर पर उसका नाम लिखा था। वह किताब के पन्ने पलटने लगा। इसी दौरान कुछ ऐसा हुआ कि वह सन्न रह गया।उसके शरीर में मानो खून का प्रवाह नहीं हो रहा हो। जरूर पढ़ें- दिमाग हैक कर गए ये रोबोट

किताब के पन्ने पलटते समय एक चाबी जमीन पर गिरी। चाबी कार की थी, जिसके टैग पर लिखा था, ” पूरा भुगतान हो गया है। किताब के एक पेज पर लिखा था, तुम जब और जहां चाहो, यह कार तुम्हारे लिए उपलब्ध हो जाएगी। कार के बारे में इस किताब में कुछ लिखो, ताकि यह आपको हमेशा याद रहे। बहुत सारा प्यार, तुम्हारा पिता।”

पिता के ये शब्द पढ़कर उसके आंसू आ गए। वह सोचना लगा कि आप जो भी अपेक्षा करते हैं, जरूरी नहीं वह पूरी हो, लेकिन आपको जो भी कुछ मिलता है, उसके लिए आभार व्यक्त करना चाहिए। वह समझ गया कि पिता का उसकी अपेक्षा को पूरा करने का यह एक तरीका था, जिसमें संदेश छिपा था। लेकिन उसने गुस्से में बिना सोचे-समझे इस उपहार को त्याग दिया।

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Rajesh Pandey

उत्तराखंड के देहरादून जिला अंतर्गत डोईवाला नगर पालिका का रहने वाला हूं। 1996 से पत्रकारिता का छात्र हूं। हर दिन कुछ नया सीखने की कोशिश आज भी जारी है। लगभग 20 साल हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। बच्चों सहित हर आयु वर्ग के लिए सौ से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। स्कूलों एवं संस्थाओं के माध्यम से बच्चों के बीच जाकर उनको कहानियां सुनाने का सिलसिला आज भी जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। रुद्रप्रयाग के खड़पतियाखाल स्थित मानव भारती संस्था की पहल सामुदायिक रेडियो ‘रेडियो केदार’ के लिए काम करने के दौरान पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाने का प्रयास किया। सामुदायिक जुड़ाव के लिए गांवों में जाकर लोगों से संवाद करना, विभिन्न मुद्दों पर उनको जागरूक करना, कुछ अपनी कहना और बहुत सारी बातें उनकी सुनना अच्छा लगता है। ऋषिकेश में महिला कीर्तन मंडलियों के माध्यम के स्वच्छता का संदेश देने की पहल की। छह माह ढालवाला, जिला टिहरी गढ़वाल स्थित रेडियो ऋषिकेश में सेवाएं प्रदान कीं। बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहता हूं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता: बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी संपर्क कर सकते हैं: प्रेमनगर बाजार, डोईवाला जिला- देहरादून, उत्तराखंड-248140 राजेश पांडेय Email: rajeshpandeydw@gmail.com Phone: +91 9760097344

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