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पांच मिनट की पांच कहानियां देती हैं जीवनभर की सीख

कहानी-1

यह बहुत पुरानी कहानी है। एक बार, एक गांव में, एक अमीर व्यक्ति ने अपना सोना चोरों से सुरक्षित रखने के लिए एक खेत में गाड़ दिया।

साल बीत गए। अमीर व्यक्ति की मृत्यु हो गई। एक दिन, एक गरीब किसान खेत जोत रहा था।

हल चलाते समय उसका हल किसी भारी चीज़ से टकराया।

पहले तो किसान ने इसे पत्थर समझा, लेकिन वहां सोने से भरा बक्सा देखकर वह आश्चर्यचकित रह गया।

उसने रात में सोना घर ले जाने का फैसला किया ताकि दिन में कोई उसे देख न ले।

रात में किसान ने सोना उठाने की कोशिश की, लेकिन वह बहुत भारी था।

फिर उसने उसे खींचने की कोशिश की लेकिन वह बिल्कुल भी नहीं हिला।

फिर वह बैठ कर विचार करने लगा कि सोने को कैसे इधर-उधर किया जाए।

उन्होंने इसको चार बार में ले जाने का निर्णय लिया। तब वह एक समय में एक हिस्सा घर ले जा सकता था।

उसने बिल्कुल वैसा ही किया और सोना आसानी से घर ले गया। वह एक धनी व्यक्ति बन गया।

संदेशः किसी भी मुश्किल का सामना योजना बनाकर करें। साथ ही यह भी ध्यान रखना चाहिए कि जहां बुद्धि से काम करना हो, वहां अधिक ताकत का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।

कहानी-2

एक राजा के बाग में बहुत सारे बंदर रहते थे। एक दिन राजपुरोहित बाग से गुजर रहे थे। एक शरारती बंदर ने उनका मज़ाक उड़ा दिया।

राजपुरोहित क्रोधित हो गए और सभी बंदरों से बदला लेने की कसम खा ली।

बंदरों का राजा चिंतित हो गया। उसने बंदरों से कहा कि वो बाग छोड़ दें, क्योंकि सभी खतरे में हैं।

कई बंदर सहमत हो गए और चले गए, लेकिन कुछ जिद्दी बंदर नहीं गए।

कुछ समय बाद शाही अस्तबल में आग लग गई। आग में कई घोड़े घायल हो गए। राजा ने उपाय के लिए राजपुरोहित से सलाह मांगी।

राजपुरोहित को अपना बदला लेने का अवसर मिल गया था। राजपुरोहित ने राजा से कहा, “हम घोड़ों की चोटों को ठीक करने के लिए बंदरों की चर्बी का उपयोग कर सकते हैं।”

राजा ने बाग में रहने वाले सभी बंदरों को मारकर उनकी चर्बी लाने का आदेश दिया।

इस प्रकार, वो सभी बंदर मारे गए, जिन्होंने अपने राजा की सलाह की अनदेखी की थी।

संदेशः अपने बुजुर्गों एवं माता-पिता की बातों पर अमल करना चाहिए, क्योंकि उनका अनुभव अधिक होता है। दुश्मनों से हमेशा सचेत रहना चाहिए।

कहानी-3

एक बार, एक अमीर आदमी था, लेकिन अमीर होने के बावजूद उनका हमेशा मानना था कि अच्छा जीवन जीने से खुशी प्राप्त की जा सकती है। पैसा ही सब कुछ नहीं था। उनका एक बेटा था। वह अपने बेटे को भी यही सिखाना चाहते थे।

एक दिन उनके बेटे ने खेलते समय खिलौना तोड़ दिया। बेटा रोने लगा।

पिता ने आकर उसे सांत्वना दी और कहा, “इस टूटे हुए खिलौने के लिए मत रोओ। जीवन में चीजें आती-जाती रहती हैं, लेकिन जीवन में सबसे महत्वपूर्ण चीजें अच्छा स्वास्थ्य, सच्चाई और ईमानदारी हैं। अपने जीवन में इन मूल्यों को कभी न छोड़ें।”

लड़के ने अपने पिता की बात ध्यान से सुनी। वह अच्छा जीवन जीने लगा। जब वह बड़ा हुआ तो बहुत सफल हो गया। उसे एहसास हुआ कि उनकी सफलता के पीछे उनके पिता के शब्द थे।

संदेशः माता-पिता से मिलीं सीख को हमेशा याद रखें।

कहानी-4

बहुत पहले, पेड़ बात कर सकते थे। एक दिन, वो जीवों के बारे में चर्चा कर रहे थे। देवदार के पेड़ ने कहा, “सभी जानवर हमारे नीचे आकर आराम करते हैं और क्षेत्र को गंदा करते हैं।”

चीड़ के पेड़ ने गुस्से से कहा, “आइए हम उन्हें ऐसा सबक सिखाएं कि वे कभी नहीं भूलेंगे!”

एक बुद्धिमान बूढ़े बरगद ने कहा, “शांत हो जाओ, मेरे दोस्त। अगर जानवर चले गए तो तुम मुसीबत में पड़ जाएंगे।”

लेकिन, देवदार का पेड़ जिद्दी था। बाकी पेड़ भी उससे सहमत थे। इसलिए, जब जानवर वहां आए, तो पेड़ इतनी तेजी से हिले कि सभी जानवर डर गए और भाग गए।

जानवरों के वहां से चले जाने पर पेड़ बहुत खुश थे, लेकिन आगे मुसीबत थी।

अचानक, दो लकड़हारे पेड़ों के पास आए। एक ने दूसरे से कहा, “यहाँ कोई जानवर नहीं है। अब, हम आसानी से पेड़ काट सकते हैं।”

दूसरे ने उत्तर दिया, “हाँ, मेरे दोस्त।” इतना कहकर वे चीड़ के पेड़ को काटने लगे।

अन्य पेड़ केवल निराशा में देख सकते थे।

संदेशः क्या अच्छा है, क्या बुरा होता है, का ज्ञान होना आवश्यक है।

कहानी-5

एक राज्य पर बहुत ही न्यायप्रिय और दयालु राजा शासन करता था। एक दिन, राजा भेष बदलकर अपने राज्य में घूमा, यह देखने के लिए कि उसके शासन में लोग कैसे रह रहे हैं।

घूमते-घूमते वह एक आश्रम के पास आया। एक तपस्वी ने उसे देखा और उसे कुछ अंजीर दिए। राजा को अंजीर स्वाद में बहुत मीठे लगे। तपस्वी ने उत्तर दिया, “फल मीठे हैं क्योंकि राजा एक बुद्धिमान शासक है।”

राजा इस उत्तर से आश्चर्यचकित हुआ, इसलिए उसने तपस्वी से पूछा, “यदि राजा अन्यायी हो तो क्या होगा?” क्या अंजीर अपनी मिठास खो देंगे?”

तपस्वी ने उत्तर दिया, “हाँ, यदि राजा अन्यायी हो तो न केवल अंजीर बल्कि पूरे वातावरण की मिठास खत्म हो जाती है।”

राजा अपने महल में लौट आया। तपस्वी के वचनों की परीक्षा लेने के लिए उसने उसके राज्य पर अन्यायपूर्वक शासन करना शुरू कर दिया।

कुछ दिनों के बाद वह फिर साधु के पास गया और अंजीर का स्वाद चखा। इस बार अंजीर कड़वे थे।

राजा ने न्यायपूर्वक शासन करने और अंजीरों को मीठा लाभ दिलाने का निर्णय लिया।

संदेशः वातावरण का असर वहां रहने वाले इंसानों के साथ ही जीवों और वनस्पतियों पर भी पड़ता है।

ये अनुवादित कहानियां हैं।

Rajesh Pandey

उत्तराखंड के देहरादून जिला अंतर्गत डोईवाला नगर पालिका का रहने वाला हूं। 1996 से पत्रकारिता का छात्र हूं। हर दिन कुछ नया सीखने की कोशिश आज भी जारी है। लगभग 20 साल हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। बच्चों सहित हर आयु वर्ग के लिए सौ से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। स्कूलों एवं संस्थाओं के माध्यम से बच्चों के बीच जाकर उनको कहानियां सुनाने का सिलसिला आज भी जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। रुद्रप्रयाग के खड़पतियाखाल स्थित मानव भारती संस्था की पहल सामुदायिक रेडियो ‘रेडियो केदार’ के लिए काम करने के दौरान पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाने का प्रयास किया। सामुदायिक जुड़ाव के लिए गांवों में जाकर लोगों से संवाद करना, विभिन्न मुद्दों पर उनको जागरूक करना, कुछ अपनी कहना और बहुत सारी बातें उनकी सुनना अच्छा लगता है। ऋषिकेश में महिला कीर्तन मंडलियों के माध्यम के स्वच्छता का संदेश देने की पहल की। छह माह ढालवाला, जिला टिहरी गढ़वाल स्थित रेडियो ऋषिकेश में सेवाएं प्रदान कीं। बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहता हूं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता: बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी संपर्क कर सकते हैं: प्रेमनगर बाजार, डोईवाला जिला- देहरादून, उत्तराखंड-248140 राजेश पांडेय Email: rajeshpandeydw@gmail.com Phone: +91 9760097344

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