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मछुआरा और बिजनेसमैन

एक दिन एक मछुआरा समुद्र तट की रेत में लेटा हुआ धूप का आनंद ले रहा था। मछलियां पकड़ने का जाल उसके पास ही पड़ा हुआ था। गीत गा रहा मछुआरा निश्चिंत था। वह मछलियां पकड़ने के मूड में नहीं था। उसी समय एक बिजनेसमैन उसके पास से होकर गुजरा। वह भी अपने तमाम तनावों को पीछे छोड़कर समुद्र तट पर शांति के दो पल हासिल करने आया था। उसने मछुआरे की ओर देखा कि वह मछलियां पकड़ने की बजाय मस्त होकर गीत गा रहा है।

बिजनेसमैन ने मछुआरे से पूछा, आप मछलियां नहीं पकड़ रहे हैं। आपको यहां रेत पर लेटने की बजाय मछलियां पकड़ने में जुट जाना चाहिए। मछुआरे ने बिजनेसमैन की ओर देखा और पूछा, ऐसा करने से मुझे क्या हासिल होगा। मैंने अपने इस्तेमाल लायक मछलियां पकड़ ली हैं।

बिजनेसमैन ने कहा, अधिक मछलियां पकड़ेंगे तो आपको अधिक आमदनी होगी और आप मछलियां पकड़ने का बड़ा जाल खरीद सकते हैं। मछुआरे ने फिर पूछा, इससे क्या होगा। बिजनेसमैन ने जवाब दिया, आप ज्यादा पैसे कमा लेंगे और एक नाव खरीद सकेंगे, जो मछलियां पकड़ने में काफी मदद करेगी और आपका व्यवसाय बढ़ता जाएगा।

इस जवाब से मुस्कराए मछुआरे ने फिर वही सवाल दोहराया, इससे क्या होगा। मछुआरे के बार-बार पूछे जाने वाले एक ही सवाल ने बिजनेसमैन को परेशान कर दिया। लेकिन उन्होंने फिर भी जवाब देना सही समझा। जवाब दिया कि आप और कई नाव खरीद लेंगे और कुछ लोगों को किराये पर लेकर उनसे मछलियां पकड़वा सकते हैं।

मछुआरा हंसते हुए बिजनेसमैन से फिर वही सवाल पूछने लगा। इस बार बिजनेसमैन को गुस्सा आ गया, लेकिन उन्होंने धैर्य रखते हुए कहा, तुम समझते क्यों नहीं, तुम्हारे पास नावों का बेड़ा हो सकता है। तुम दुनियाभर में मछलियों की बिक्री का बिजनेस कर सकोगे और बड़ी संख्या में कर्मचारी तुम्हारे लिए काम करेंगे।

मछुआरे के पुनः वही सवाल, फिर क्या होगा, दागने पर बिजनेसमैन तेजी से चिल्लाने लगा। तुम्हारे दिमाग को क्या हो गया। क्या तुम समझना नहीं चाहते। अंदाजा भी नहीं लगा सकते कि तुम कितने अमीर व्यक्ति बन सकते हो। फिर तुम्हें जीवनभर कोई काम करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। तुम सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक इसी तट पर आनंदपूर्वक बैठ सकते हो, वो भी बिना किसी चिंता के।

इस पर मछुआरे ने हंसते हुए बिजनेसमैन की ओर देखा और उनसे पूछा, अभी मैं क्या कर रहा हूं। आप क्या सोचते हैं कि मैं अभी किसी चिंता में हूं। मैं अभी भी दुनिया की परवाह किए बिना समुद्र तट पर बिखरी धूप का आनंद ले रहा हूं। आनंदित होकर गीत गा रहा हूं और सूर्यास्त तक मैं यही रहूंगा, बिना किसी चिंता के।

मछुआरे का तर्क था कि चिंतामुक्त होकर आनंदित होने के लिए उसको इतनी ज्यादा मेहनत करने और लंबी प्रक्रिया से गुजरने की जरूरत नहीं है। वो आज भी वही कर रहा है, जो बिजनेसमैन के बताए रास्ते पर चलने के बाद करेगा। दोनों के परिणाम में अंतर ही क्या है।

मेरा मानना है कि मछुआरा और बिजनेसमैन दोनों का नजरिया गलत था। मछुआरे का तर्क इसलिए गलत था क्योंकि वह कड़ी मेहनत की जरूरत महसूस नहीं कर रहा था। वह समझ रहा था कि आज जो कुछ कर रहा है, वह मेहनत और समृद्धि हासिल करने के बाद भी करेगा। मछुआरे को जिंदगी का आनंद उठाने के साथ-साथ अपनी आर्थिक स्थिति को संवारने के लिए मेहनत करनी चाहिए। उसको दोनों के बीच तालमेल बनाकर कार्य करना चाहिए, ताकि वह परिवार और समाज का ख्याल कर सके।

वहीं बिजनेसमैन का तर्क इसलिए गलत है, क्योंकि वहां समृद्धि पाने के लिए जिंदगी के असल उद्देश्य को भुला दिया गया था, वहां आर्थिक मजबूती के सामने सरलता से जीने का कोई स्थान नहीं था। कुल मिलाकर यह कहानी बताती है कि हम अपने परिवार और समुदाय का भी ध्यान रखें। खुशियों को अर्जित करने के लिए कड़ी मेहनत करें, भले ही हम आर्थिक रूप से मजबूत हो या नहीं।

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Rajesh Pandey

उत्तराखंड के देहरादून जिला अंतर्गत डोईवाला नगर पालिका का रहने वाला हूं। 1996 से पत्रकारिता का छात्र हूं। हर दिन कुछ नया सीखने की कोशिश आज भी जारी है। लगभग 20 साल हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। बच्चों सहित हर आयु वर्ग के लिए सौ से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। स्कूलों एवं संस्थाओं के माध्यम से बच्चों के बीच जाकर उनको कहानियां सुनाने का सिलसिला आज भी जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। रुद्रप्रयाग के खड़पतियाखाल स्थित मानव भारती संस्था की पहल सामुदायिक रेडियो ‘रेडियो केदार’ के लिए काम करने के दौरान पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाने का प्रयास किया। सामुदायिक जुड़ाव के लिए गांवों में जाकर लोगों से संवाद करना, विभिन्न मुद्दों पर उनको जागरूक करना, कुछ अपनी कहना और बहुत सारी बातें उनकी सुनना अच्छा लगता है। ऋषिकेश में महिला कीर्तन मंडलियों के माध्यम के स्वच्छता का संदेश देने की पहल की। छह माह ढालवाला, जिला टिहरी गढ़वाल स्थित रेडियो ऋषिकेश में सेवाएं प्रदान कीं। बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहता हूं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता: बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी संपर्क कर सकते हैं: प्रेमनगर बाजार, डोईवाला जिला- देहरादून, उत्तराखंड-248140 राजेश पांडेय Email: rajeshpandeydw@gmail.com Phone: +91 9760097344

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