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यूपी में पहला चुनावः उत्तराखंड में इन सीटों पर सबसे ज्यादा और सबसे कम वोटों से हार-जीत

उत्तराखंड की नरेंद्रनगर सीट पर पोस्टल बैलेट ने कर दिया था हार-जीत का फैसला

राजेश पांडेय। न्यूज लाइव

उत्तरप्रदेश के 1951-52 के चुनाव में मौजूदा उत्तराखंड की विधानसभा सीटों पर सबसे ज्यादा वोट हासिल करने का रिकार्ड रुड़की (साउथ) के ख्वाजा अतहर हसन के नाम है, उन्होंने 19276 वोटों से जीत हासिल की थी, जो कि कुल मतदान का 48.96 फीसदी था। वहीं सबसे कम वोटों से जीत रानीखेत(नॉर्थ) सीट पर सोशलिस्ट पार्टी के मदन मोहन के नाम दर्ज है, उन्होंने कांग्रेस के हरीदत्त को मात्र 75 वोटों के अंतर से हराया था, जो कि कुल मतदान का 0.38 फीसदी था।

अविभाजित उत्तर प्रदेश में वर्तमान उत्तराखंड की 1. चकराता कम वेस्टर्न दून (नार्थ)- पर शांति प्रपन शर्मा, 2. वेस्टर्न दून साउथ कम इस्टर्न दून पर नर देव शास्त्री, 3. रवाईं कम टिहरी नार्थ पर जयेंद्र सिंह बिष्ट 4. देवप्रयाग पर सत्य सिंह, 5. टिहरी (साउथ) कम प्रताप नगर पर महाराज कुमार बालेंदु शाह, 6. चमोली वेस्ट कम पौड़ी नार्थ पर गंगाधर मैठानी, 7. पौड़ी साउथ कम चमोली (ईस्ट) पर चंद्र सिंह रावत एवं बलदेव सिंह आर्य 8. लैंसडाउन (ईस्ट) पर राम प्रसाद , लैंसडाैन (वेस्ट) पर जगमोहन सिंह, 10. पिथौरागढ़ कम चंपावत पर खुशी राम एवं नरेंद्र सिंह, 11. रानीखेत (नार्थ) पर मदन मोहन, 12. रानीखेत (साउथ) पर हर गोविंद, 13. अल्मोड़ा (उत्तर) पर भूपाल सिंह, 14. अल्मोड़ा (साउथ) पर गोवर्धन,15. नैनीताल (नॉर्थ) पर नारायण दत्त , 16. नैनीताल (दक्षिण) पर लक्ष्मण दत्त, 17. रुड़की ईस्ट पर दीन दयाल 18. रुड़की साउथ पर ख्वाजा अतहर हसन, 19. रुड़की वेस्ट कम सहारनपुर नार्थ पर शुगन चंद एवं जयपाल निर्वाचित हुए थे। इनमें से सहारनपुर वर्तमान उत्तराखंड में नहीं है।

रुड़की (साउथ) सीट पर ख्वाजा अतहर हसन को 25,163 तथा ऑल इंडिया भारतीय जनसंघ के नंद राम को 5887 वोट मिले थे। इस सीट पर छह प्रत्याशी थे। वहीं, रानीखेत (नॉर्थ) सीट पर सोशलिस्ट पार्टी के मदन मोहन को 7785 तथा कांग्रेस के हरीदत्त को 7710 वोट मिले थे। इस सीट पर प्रत्याशी थे।

दस हजार से अधिक वोटों से जीत हासिल करने वाले उम्मीदवार 

वहीं, वेस्टर्न दून साउथ कम इस्टर्न दून सीट पर कांग्रेस के नरदेव शास्त्री ने भारतीय जनसंघ के जगमोहन स्वरूप को 14,286 मतों के अंतर से हराया था।

टिहरी साउथ कम प्रतापनगर सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी महाराज कुमार बालेंदु शाह ने कांग्रेस के त्रेपन सिंह को 10,582 वोटों से पराजित किया था।

नैनीताल साउथ सीट पर कांग्रेस के लक्ष्मण दत्त ने सोशलिस्ट पार्टी के राम दत्त को 13,408 वोटों से हराया। रुड़की ईस्ट सीट पर कांग्रेस के दीनदयाल ने 17662 वोटों से जीत दर्ज की थी, उन्होंने भारतीय जनसंघ के पन्ना लाल को हराया था।

मात्र चार वोट से जीते थे ओम गोपाल

उत्तराखंड में 2007 के चुनाव में नरेंद्रनगर सीट पर उत्तराखंड क्रांति दल के ओमगोपाल ने कांग्रेस के सुबोध उनियाल को मात्र चार वोटों के अंतर से हराया था। यहां हार जीत का फैसला पोस्टल बैलेट ने किया था। सामान्य मतदान में उनियाल को ओमगोपाल से नौ वोट अधिक मिले थे, पर पोस्टल बैलेट में उनको 13 वोट कम हासिल हो पाए। इस तरह उनियाल चार वोटों के अंतर से हार गए। इस चुनाव में उक्रांद के ओमगोपाल को 13729 और सुबोध उनियाल को 13725 वोट हासिल हुए थे।

इन सीटों पर सबसे अधिक और सबसे कम मतदान

1951-52 के चुनाव के लिए मतदान 28 मार्च, 1952 को हुआ था। उत्तर प्रदेश विधानसभा के अंतर्गत आने वालीं मौजूदा उत्तराखंड की लैंसडौन वेस्ट सीट पर सबसे कम मात्र 21.35 फीसदी मतदान हुआ था, वहीं लैंसडौन ईस्ट सीट पर 31.09 मतदाताओं ने वोट डाले।

उधर, रुड़की वेस्ट कम सहारनपुर सीट पर सबसे ज्यादा मतदान प्रतिशत 85.24 फीसदी रहा, वहीं रुड़की ईस्ट सीट पर 61.62 फीसदी मतदान हुआ।

चमोली वेस्ट कम पौड़ी नॉर्थ में 25.56 फीसदी,  चकराता कम वेस्टर्न दून (नार्थ) सीट पर 49.80 फीसदी तथा वेस्टर्न दून साउथ कम इस्टर्न दून पर 40.46 प्रतिशत मतदान हुआ था।   – स्रोतः भारत चुनाव आयोग

 

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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