
बासमती के लिए प्रसिद्ध देहरादून की यह घाटी, आज आंदोलन करने को मजबूर हैं किसान
17 फरवरी को उपवास और धरना देंगे किसान, 18 को सड़क जाम करने का ऐलान
डोईवाला। 16 फरवरी, 2025
देहरादून बासमती दुनिया में प्रसिद्ध है, पर क्या आप जानते हैं कि देहरादून के डोईवाला ब्लॉक के जिन क्षेत्रों में उगने वाली बासमती ने दुनिया में पहचान बनाई, उनमें से एक दूधली घाटी क्षेत्र है। पर, दूधली घाटी क्षेत्र की चार ग्राम पंचायतों के किसानों ने दूधली डोईवाला रोड चौड़ीकरण की मांग सहित एक और प्रमुख मांग को लेकर आंदोलन की शुरुआत की है। यह मांग सबसे ज्यादा प्रदूषित सुसवा नदी को स्वच्छ बनाने की है, क्योंकि इस नदी से अधिकतर खेती होती है। किसानों का कहना है कि नदी में प्रदूषण की वजह से कैंसर पीड़ित बढ़ रहे हैं।
प्रगतिशील किसान उमेद बोरा का कहना है कि रविवार को उत्तराखंड सरकार की बुद्धि शुद्धि के लिए हवन किया गया। उपवास एवं धरना कार्यक्रम 17 फरवरी, 2025 (सोमवार) को होगा। 18 फरवरी को क्षेत्र में सड़क जाम की रणनीति है। आंदोलन के दौरान ही आगामी रूपरेखा तय की जाएगी। किसानों के इस आंदोलन को संयुक्त किसान मोर्चा, भारतीय किसान यूनियन टिकैत, किसान सभा कृषक फेडरेशन उत्तराखंड और अन्य किसान संगठनों के साथ विभिन्न राजनीतिक सामाजिक संस्था का सहयोग मिल रहा है।
उन्होंने बताया, दूधली घाटी क्षेत्र में सिमलास ग्रांट, नागल बुलंदावाला, नागल ज्वालापुर और दूधली ग्राम पंचायत हैं, जिनमें बड़ी संख्या में किसानों की खेती व्यवस्था सुसवा नदी पर निर्भर करती है। हमें क्षेत्र के विकास के लिए बार बार आन्दोलन की जरूरत पड़ रही है।
किसान नेता उमेद बोरा ने बताया, दूधली घाटी देहरादूनी प्रसिद्ध बासमती टाइप 3 का क्षेत्र है, लेकिन सुसवा नदी में जहरीले पानी के चलते बासमती विलुप्त हो गई है।
उनका कहना है, वर्तमान सांसद एवं पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने दूधली डोईवाला रोड़ चौड़ीकरण की घोषणा की थी, लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। जब से लच्छीवाला में टोल टैक्स लिया जा रहा है, इस मार्ग पर गाड़ियों की संख्या बढ़ गई। टोल टैक्स से बचने के लिए बड़ी संख्या में भारी वाहन यहां से होकर आ जा रहे हैं। यह सिंगल रोड है, जिसके दोनों ओर घर बने हैं। इससे हमेशा दुर्घटना का खतरा बना रहता है।
आंदोलनकारी ग्रामीणों की प्रमुख मांगें
- दूधली डोईवाला रोड का चौड़ीकरण
- दूधली के अस्पताल का 24 घंटे संचालन
- सुसवा नदी में बाढ़ से सुरक्षा के लिए बड़ोवाला व दूधली में तटबंध
- जंगली जानवरों से किसानों की फसलों को बचाने के लिए सौर ऊर्जा बाड़
- क्षेत्र में बसों का संचालन