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पछताना पड़ा नकलची कौए को

बहुत पुरानी बात है। पहाड़ पर एक बाज रहता था। वहीं पहाड़ की तलहटी पर एक बरगद का पेड़ था, जिस पर एक कौआ रहता था। कौआ मूर्ख था, वह बिना सोचे कुछ न कुछ ऐसा कर देता था, जिसकी वजह से उसे नुकसान उठाना पड़ता। लेकिन उसने अपनी आदत में सुधार नहीं किया। वह पहाड़ की ऊंचाई की ओर देखता तो वहां बाज को उड़ते हुए देखता।

बाज भोजन की तलाश में उड़ता और अपनी तेज नजरों से भोजन को देखते ही उस पर झपट जाता। एक दिन कौए ने देखा कि बाज तेजी से जमीन पर पहुंचा और वहां घूम रहे खरगोश के छोटे से बच्चे पर झपट गया। देखते ही देखते बाज खरगोश को अपने मजबूत पंजों में फंसाकर उड़ान भरते हुए एक टीले पर बैठ गया। यह सब इतनी तेजी से हुआ कि खरगोश को संभलने का मौका तक नहीं मिला। कौआ गौर से यह सब देख रहा था।

कौए ने स्वयं से कहा, यह भी कोई बड़ा काम हुआ भला। यह तो मैं भी कर सकता हूं। दूसरे दिन सुबह कौए ने एक चूहे को चट्टान में बने बिल से निकलते देखा। उसने बाज की नकल करते हुए चूहे पर झपटने की कोशिश की। जैसे ही उसने चूहे को पकड़ने के लिए चोंच आगे बढ़ाई, चूहा वहां से हटकर बिल में घुस गया और कौए की चोंच चट्टान पर जा लगी। कौआ दर्द से रोने लगा। उसने ऊपर की ओर देखा तो बाज को उड़ते हुए पाया। तभी बाज उसके पास आया और बोला, हर किसी की अपनी क्षमता होती है, इसलिए नकल करना भी आसान नहीं है। इस घटना के बाद कौए ने निश्चय कर लिया कि वह किसी की नकल नहीं करेगा, बल्कि उन क्षमताओं के साथ खुशी खुशी रहेगा, जो ईश्वर से उसको मिली हैं।

Rajesh Pandey

उत्तराखंड के देहरादून जिला अंतर्गत डोईवाला नगर पालिका का रहने वाला हूं। 1996 से पत्रकारिता का छात्र हूं। हर दिन कुछ नया सीखने की कोशिश आज भी जारी है। लगभग 20 साल हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। बच्चों सहित हर आयु वर्ग के लिए सौ से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। स्कूलों एवं संस्थाओं के माध्यम से बच्चों के बीच जाकर उनको कहानियां सुनाने का सिलसिला आज भी जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। रुद्रप्रयाग के खड़पतियाखाल स्थित मानव भारती संस्था की पहल सामुदायिक रेडियो ‘रेडियो केदार’ के लिए काम करने के दौरान पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाने का प्रयास किया। सामुदायिक जुड़ाव के लिए गांवों में जाकर लोगों से संवाद करना, विभिन्न मुद्दों पर उनको जागरूक करना, कुछ अपनी कहना और बहुत सारी बातें उनकी सुनना अच्छा लगता है। ऋषिकेश में महिला कीर्तन मंडलियों के माध्यम के स्वच्छता का संदेश देने की पहल की। छह माह ढालवाला, जिला टिहरी गढ़वाल स्थित रेडियो ऋषिकेश में सेवाएं प्रदान कीं। बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहता हूं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता: बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी संपर्क कर सकते हैं: प्रेमनगर बाजार, डोईवाला जिला- देहरादून, उत्तराखंड-248140 राजेश पांडेय Email: rajeshpandeydw@gmail.com Phone: +91 9760097344

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