प्रवासी श्रमिकों के लिए कार्यस्थल पर ही व्यवस्थाएं की जाएं
समय पर वेतन भुगतान भी सुनिश्चित किया जाए
‘विद्यार्थियों/श्रमिकों को कमरा या घर खाली करने को कहने वालों के खिलाफ कार्रवाई करें
हालांकि, देश के कुछ हिस्सों में प्रवासी श्रमिकों की आवाजाही हुई है। इस आशय के निर्देश जारी किए गए थे कि जिलों और राज्यों की सीमाओं को प्रभावकारी ढंग से सील कर दिया जाए। राज्यों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया था कि शहरों या राजमार्गों पर लोगों की कुछ भी आवाजाही नही होनी चाहिए। केवल माल की आवाजाही की ही अनुमति दी जानी चाहिए।
इन निर्देशों पर अमल के लिए जिलाधिकारियों (डीएम) और पुलिस अधीक्षकों (एसपी) को व्यक्तिगत रूप से जवाबदेह बनाया जाना चाहिए। यह सलाह दी गई है कि प्रवासी श्रमिकों सहित गरीबों और जरूरतमंद लोगों के भोजन एवं आश्रय की पर्याप्त व्यवस्था उनके कार्यस्थलों पर ही की जाए।
केंद्र ने इस उद्देश्य के लिए ‘एसडीआरएफ’ का इस्तेमाल करने के लिए कल आदेश जारी किए थे। इस मद में राज्यों के पास पर्याप्त धनराशि उपलब्ध है। राज्यों से यह भी कहा गया है कि वे लॉकडाउन की अवधि के दौरान बिना किसी कटौती के श्रमिकों के कार्यस्थल पर उनके पारिश्रमिक या वेतन का समय पर भुगतान सुनिश्चित करें।
इस अवधि के लिए श्रमिकों से घर का किराया या हाउस रेंट देने की मांग नहीं की जानी चाहिए। उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए जो मजदूरों या विद्यार्थियों को परिसर (कमरा या घर) खाली करने के लिए कह रहे हैं।
जिन लोगों ने लॉकडाउन का उल्लंघन किया है और लॉकडाउन की अवधि के दौरान यात्रा की है, उन्हें सरकारी क्वारंटाइन केंद्रों में न्यूनतम 14 दिन क्वारंटाइन में रखा जाएगा। क्वारंटाइन के दौरान इन व्यक्तियों की निगरानी करने के लिए राज्यों को विस्तृत निर्देश जारी किए गए हैं। सभी राज्यों को यह समझाया गया था कि कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए तीन सप्ताह तक सख्ती से अमल करना अत्यंत आवश्यक है। यह सभी के हित में है।