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यह कैसा पर्यटनः हुड़दंगियों से परेशान है देहरादून का राजपुर गांव

देहरादून। शिखर फॉल के लिए जाने वाले अधिकतर युवा, जिनको पर्यटक नहीं कहा जा सकता, स्थानीय निवासियों के लिए मुसीबत बन गए हैं। इनमें अधिकतर युवा स्थानीय होते हैं, जो देर रात तक गांव से होकर गाड़ियां दौड़ाते हैं। इनके हुड़दंग से हालात बहुत खराब हो गए हैं।

स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि पुलिस से शिकायत के बाद भी ऐसी कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं हो रही है, जिससे उनको इस समस्या से निजात मिल सके। उन्होंने मुख्यमंत्री से कार्रवाई कराने की मांग की है।

रिस्पना के उद्गम शिखर फॉल तक पर्यटन के लिए राज्यभर से और आसपास के इलाकों के साथ यूपी, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब से लोग पहुंच रहे हैं। मसूरी जाने वाले अधिकतर लोग शिखर फॉल देखने भी आते हैं, पर पूरी तरह से अव्यवस्थित एवं अनियंत्रित आवाजाही स्थानीय लोगों के लिए मुसीबत बन गई है।

मसूरी नगर पालिका के तहत राजपुर गांव का वो क्षेत्र, जहां से शिखर फॉल के लिए गाड़ियां आगे बढ़ती हैं, वहां के निवासी आए दिन होने वाले हुड़दंग से परेशान हैं।

स्थानीय निवासी सुरेश भंडारी

स्थानीय निवासी सुरेश भंडारी बताते हैं कि शिखर फॉल के लिए आने-जाने का कोई टाइम नहीं है। देर रात तक उनके घरों के सामने से गाड़ियां दौड़ती हैं।

तेज आवाज में म्यूजिक और गाली गलौज तो आम बात है। हम अपने बच्चों को घरों से बाहर नहीं जाने देते। हर समय खतरा रहता है। बाइकों और कारों में सवार युवकों का जमघट लगा रहता है।उन्होंने बताया कि कई बार इन लोगों के साथ स्थानीय निवासियों का विवाद हुआ है।

हम पर्यटन का विरोध नहीं करते, हम भी चाहते हैं कि पर्यटन बढ़े, क्योंकि यह स्थानीय निवासियों को भी आजीविका के संसाधन प्रदान करता है, पर पर्यटन के नाम पर गांव में हुड़दंग मचाने की इजाजत तो किसी को भी नहीं मिलनी चाहिए। अनुशासन में तो रहना होगा।

लंढौर छावनी परिषद की सदस्य एवं भाजपा महिला मोर्चा मसूरी मंडल की अध्यक्ष पुष्पा पड़ियार

लंढौर छावनी परिषद की सदस्य एवं भाजपा महिला मोर्चा मसूरी मंडल की अध्यक्ष पुष्पा पड़ियार का कहना है कि टूरिज्म को बढ़ावा मिलना चाहिए, लेकिन यह सिस्टम के तहत होना चाहिए। रात के दो बजे, कभी कभी चार बजे तक शोरशराबा होता है। स्थानीय निवासी परेशान हैं।

उनका कहना है कि आए दिन यहां रात को झगड़े हो जाते हैं। यहां आने वाले लोगों को गांव की गरिमा को समझना चाहिए। सूचना पर पुलिस यहां केवल राउंड लगाकर चली जाती है। गाड़ियों की स्पीड बहुत होती है। पुलिस प्रशासन को इस समस्या के निस्तारण के लिए कार्रवाई करनी चाहिए।

स्थानीय निवासी सावित्री चंद

बुजुर्ग सावित्री चंद का कहना हैं, हम लोग बहुत परेशान हैं। नशे में गाड़ियां दौड़ाने वालों की वजह से हम अपने बच्चों को बाहर नहीं जाने देते। हमने पुलिस को सूचना भी दी, पर कोई फर्क नहीं पड़ा।

राजपुर गांव निवासी महिलाओं का कहना है कि गांव में बाहर से आने वाले लोग आएदिन हुड़दंग करते हैं।

भारती भंडारी बताती हैं कि यहां हालात काफी खराब हो रहे हैं। यहां रोजाना हुड़दंग मचता है। यहां सभी लोग इन लोगों से परेशान हैं। कई बार शिकायतें की गईं, पर कोई कार्रवाई नहीं होती।

शिक्षिका सुनीता चंद

शिक्षिका सुनीता चंद ने बताया कि सुबह वॉक करने जाते हैं तो सड़क पर कूड़ा बिखरा पड़ा रहता है। इन लोगों को गाड़ी धीरे चलाने को कहो तो लड़ाई पर उतारू हो जाते हैं। इनको हम अपने स्तर से नहीं समझा सकते। इससे विवाद बढ़ने की आशंका रहती है। पुलिस प्रशासन को ही कुछ करना होगा।

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Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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