Featuredfoodhealth

खाद्य पदार्थों को माइक्रो प्लास्टिक से बचाने की नई शुरुआत

एफएसएसएआई की नई पहल का उद्देश्य खाद्य पदार्थों में माइक्रोप्लास्टिक की व्याप्ति का पता लगाने और आकलन करने के तरीकों का विकास करना है

नई दिल्ली। न्यूज लाइव ब्यूरो

भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने नई दिल्ली में खाद्य पदार्थों में माइक्रोप्लास्टिक संदूषण (Microplastic Contamination) को लेकर बढ़ती चिंता से निपटने के लिए एक नवोन्मेषी परियोजना (Innovative Project ) शुरू की। भोजन में माइक्रोप्लास्टिक प्रदूषण (microplastic contamination in food) को एक उभरते खतरे, जिस पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है, के रूप में स्वीकार करते हुए – “उभरते खाद्य संदूषक के रूप में माइक्रो-और नैनो-प्लास्टिक: मान्य पद्धतियों की स्थापना और विभिन्न खाद्य मैट्रिक्स में व्याप्ति की समझ” (Micro-and Nano-Plastics as Emerging Food Contaminants: Establishing Validated Methodologies and Understanding the Prevalence in Different Food Matrices ) – परियोजना इस वर्ष मार्च में विभिन्न खाद्य उत्पादों में माइक्रो और नैनो-प्लास्टिक का पता लगाने के लिए विश्लेषणात्मक तरीकों को विकसित और मान्य करने के साथ-साथ भारत में उनकी व्याप्ति और जोखिम के स्तर का आकलन करने के लिए शुरू की गई थी।

परियोजना के प्राथमिक उद्देश्यों में माइक्रो/नैनो-प्लास्टिक विश्लेषण के लिए मानक प्रोटोकॉल विकसित करना, इंट्रा और इंटर-लैबोरेटरी कंपेरिजन तथा उपभोक्ताओं के बीच माइक्रोप्लास्टिक जोखिम के स्तर पर महत्वपूर्ण डेटा तैयार करना शामिल है।

यह अध्ययन देशभर के अग्रणी अनुसंधान संस्थानों के सहयोग से कार्यान्वित किया जा रहा है, जिनमें सीएसआईआर-भारतीय विष विज्ञान अनुसंधान संस्थान ,लखनऊ (CSIR-Indian Institute of Toxicology Research (Lucknow), आईसीएआर-केंद्रीय मत्स्य प्रौद्योगिकी संस्थान,कोच्चि (ICAR-Central Institute of Fisheries Technology, Kochi) और बिड़ला प्रौद्योगिकी एवं विज्ञान संस्थान, पिलानी ( Birla Institute of Technology and Science ,Pilani ) शामिल हैं।

हाल ही में खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) ने एक रिपोर्ट में चीनी और नमक जैसे आम खाद्य पदार्थों में माइक्रोप्लास्टिक की उपस्थिति रेखांकित की है। रिपोर्ट में माइक्रोप्लास्टिक की वैश्विक व्याप्ति को रेखांकित किया गया है, लेकिन इसमें खासकर भारतीय संदर्भ में, मानव स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए इसके निहितार्थों को पूरी तरह से समझने के लिए अधिक मजबूत डेटा की आवश्यकता पर भी जोर दिया गया है।

देश के खाद्य सुरक्षा नियामक के रूप में, एफएसएसएआई यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि भारतीय उपभोक्ताओं को सुरक्षित और स्वस्थ भोजन की सुविधा प्राप्त हो। जहां वैश्विक अध्ययनों ने विभिन्न खाद्य पदार्थों में माइक्रोप्लास्टिक की उपस्थिति को उजागर किया है, भारत के लिए विशिष्ट विश्वसनीय डेटा उत्पन्न करना अनिवार्य है। यह परियोजना भारतीय खाद्य पदार्थों में माइक्रोप्लास्टिक संदूषण की सीमा को समझने में मदद करेगी और सार्वजनिक स्वास्थ्य की रक्षा के लिए प्रभावी विनियमन और सुरक्षा मानकों के निर्माण का मार्गदर्शन करेगी।

इस परियोजना के निष्कर्ष न केवल नियामकीय कार्रवाइयों की सूचना प्रदान करेंगे, बल्कि माइक्रोप्लास्टिक संदूषण की वैश्विक समझ में भी योगदान देंगे, जिससे भारतीय अनुसंधान इस पर्यावरणीय चुनौती से निपटने के वैश्विक प्रयास का एक अभिन्न अंग बन जाएगा।

Rajesh Pandey

newslive24x7.com टीम के सदस्य राजेश पांडेय, उत्तराखंड के डोईवाला, देहरादून के निवासी और 1996 से पत्रकारिता का हिस्सा। अमर उजाला, दैनिक जागरण और हिन्दुस्तान जैसे प्रमुख हिन्दी समाचार पत्रों में 20 वर्षों तक रिपोर्टिंग और एडिटिंग का अनुभव। बच्चों और हर आयु वर्ग के लिए 100 से अधिक कहानियां और कविताएं लिखीं। स्कूलों और संस्थाओं में बच्चों को कहानियां सुनाना और उनसे संवाद करना जुनून। रुद्रप्रयाग के ‘रेडियो केदार’ के साथ पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाईं और सामुदायिक जागरूकता के लिए काम किया। रेडियो ऋषिकेश के शुरुआती दौर में लगभग छह माह सेवाएं दीं। ऋषिकेश में महिला कीर्तन मंडलियों के माध्यम से स्वच्छता का संदेश दिया। जीवन का मंत्र- बाकी जिंदगी को जी खोलकर जीना चाहता हूं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता: बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक, एलएलबी संपर्क: प्रेमनगर बाजार, डोईवाला, देहरादून, उत्तराखंड-248140 ईमेल: rajeshpandeydw@gmail.com फोन: +91 9760097344

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button