environmentFeatured

विश्व पर्यावरण दिवस: आज नहीं चेते तो नहीं बचा पाएंगे जीवन

देश और दुनिया पांच जून को भले ही विश्व पर्यावरण दिवस मना रहे हो, लेकिन कहीं न कहीं यह चिंता का विषय है। दुनिया के सामने सबसे बड़ा मुद्दा पर्यावरण की रक्षा करना है। उसे संरक्षित करना है। विश्व पर्यावरण दिवस मनाने नहीं, बल्कि संकल्प लेने का दिन है। वृक्षों, जलाशयों और पर्यावरण से जुड़ी चीजों का संरक्षण करना ही मानवता का सबसे बड़ा उद्देश्य होना चाहिए। अन्यथा हम अपनी आने वाली पीढिय़ों के लिए एक शून्य छोड़कर जाएंगे जो कभी भी पूरा नहीं हो पाएगा। हमारे पर्यावरण की स्थिति प्रदूषण और ग्लोबल वार्मिंग के कारण दिन प्रति दिन गिरती जा रही है। बेहतर भविष्य के लिए पर्यावरण की सुरक्षा के लिए हमें हमारे देश में पर्यावरण के अनुकूल विकास को बढ़ावा देना चाहिए।

संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित यह दिवस पर्यावरण के प्रति वैश्विक स्तर पर राजनितिक और सामाजिक जागृति लाने के लिए मनाया जाता है। इसकी शुरुआत 1972 में 5 से 16 जून तक संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा आयोजित विश्व पर्यावरण सम्मेलन से हुई। 5 जून 1973 को पहला विश्व पर्यावरण दिवस मनाया गया। विश्व पर्यावरण दिवस 2011 इस वर्ष का विषय था- वन, प्रकृति आपकी सेवा में, वन हमारी धरती की भूमि के द्रव्यमान का एक तिहाई हिस्सा आच्छादित करते हैं। अपने महत्वपूर्ण कार्यों तथा सेवाओं द्वारा पृथ्वी पर संभावनाओं को जीवित रखते है। वास्तव में 1.6 अरब लोग अपनी आजीविका के लिए वनों पर निर्भर हैं। विश्व पर्यावरण दिवस वर्षों से एक बड़े वार्षिक उत्सवों में से एक है, जो हर वर्ष प्रकृति को सुरक्षित रखने के लक्ष्य को लेकर लोगों द्वारा पूरी दुनिया में मनाया जाता है।

इतिहास और उद्देश्य

आम लोगों को जागरुक बनाने और सकारात्मक पर्यावरणीय कार्यवाही को लागू करने, पर्यावरणीय मुद्दों को सुलझाने के लिए, मानव जीवन में स्वास्थ्य और हरित पर्यावरण के महत्व के बारे में वैश्विक जागरुकता को फैलाने के लिए वर्ष 1973 से प्रत्येक वर्ष पांच जून को एक वार्षिक कार्यक्रम के रूप में विश्व पर्यावरण दिवस को मनाने की शुरुआत की गई। पर्यावरण की सुरक्षा करने की जिम्मेदारी सिर्फ सरकार या निजी संगठनों की ही नहीं, बल्कि पूरे समाज की है। 1972 में संयुक्त राष्ट्र आमसभा और संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) द्वारा कुछ प्रभावकारी अभियानों को चलाने के लिये पहली बार विश्व पर्यावरण दिवस की स्थापना हुयी थी। इसे पहली बार 1973 में कुछ खास विषय-वस्तु के केवल धरती साथ मनाया गया था। 1974 से, दुनिया के अलग-अलग शहरों में विश्व पर्यावरण उत्सव की मेजबानी की जा रही है। कुछ प्रभावकारी कदमों को लागू करने के लिये राजनीतिक और स्वास्थ्य संगठनों का ध्यान खींचने और पूरी दुनिया भर के अलग देशों से करोड़ों लोगों को शामिल करने के लिये संयुक्त राष्ट्र आम सभा द्वारा एक बड़े वार्षिक उत्सव की शुरुआत की गयी।

 

संरक्षण एक बड़ा कारक

बड़े पर्यावरण मुद्दे जैसे भोजन की बर्बादी और नुकसान, वनों की कटाई, ग्लोबल वार्मिंग का बढऩा इत्यादि के प्रति जागरूकता लाने के उद्देश्य से विश्व पर्यावरण दिवस वार्षिक उत्सव को मनाने की शुरुआत की गयी थी। पूरे विश्व में अभियान को प्रभावी बनाने के लिए वर्ष के खास थीम और नारे के अनुसार हर वर्ष के उत्सव की योजना बनायी जाती है। पर्यावरण संरक्षण के दूसरे तरीकों सहित बाढ़ और अपरदन से बचाने के लिये सौर जल तापक, सौर स्रोतों के माध्यम से ऊर्जा उत्पादन, नये जल निकासी तंत्र का विकास करना, प्रवाल-भिति को बढ़ावा देना और मैनग्रोव का जीर्णोद्धार आदि के इस्तेमाल के लिये आम लोगों को जागरूक करना, सफलतापूर्वक कार्बन उदासीनता को प्राप्त करना, जंगल प्रबंधन पर ध्यान देना, ग्रीन हाउस गैसों का प्रभाव घटाना, बिजली उत्पादन को बढ़ाने के लिये हाइड्रो शक्ति का इस्तेमाल, निम्निकृत भूमि पर पेड़ लगाने से बायो-ईंधन के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिये इसे मनाया जाता है।

अभियान के लक्ष्य

पर्यावरण मुद्दों के बारे में आम लोगों को जागरुक बनाने के लिये इसे मनाया जाता है। विकसित पर्यावरणीय सुरक्षा उपायों में एक सक्रिय एजेंट बनने के साथ ही उत्सव में सक्रियता से भाग लेने के लिये अलग समाज और समुदाय से आम लोगों को बढ़ावा देते हैं। सुरक्षित, स्वच्छ और अधिक सुखी भविष्य का आनंद लेने के लिये लोगों को अपने आसपास के माहौल को सुरक्षित और स्वच्छ बनाने के लिये प्रोत्साहित करना चाहिये।

आयोजनों से कर रहे आकर्षित

उत्सव की ओर और अधिक लोगों को आकर्षित करने के लिये अलग-अलग देशों में इस कार्यक्रम को मनाने के लिये विभिन्न प्रकार के आयोजन किए जाते हैं। पर्यावरण से संबंधित मुद्दों को सुलझाने के लिये सकारात्मक बदलाव और प्रभाव लाने के लिये खबरों के माध्यम से आम लोगों के बीच उत्सव के बारे में संदेश दिए जाते हैं। साथ ही पर्यावरणीय मुद्दों की व्यापकता की ओर लोगों का ध्यान खींचने के लिये परेड और अन्य गतिविधियां, अपने आसपास के क्षेत्रों को साफ करना, गंदगी का पुनर्चक्रण करना, पेड़ लगाना, सड़क रैलियों सहित अन्य आयोजन किए जाते हैं। इसके अलावा फिल्म महोत्सव, सामुदायिक कार्यक्रम, निबंध लेखन, पोस्टर प्रतियोगिया, सोशल मीडिया अभियान और आदि का आयोजन किया जाता है। अपने पर्यावरण की सुरक्षा की ओर विद्यार्थीयों को प्रोत्साहित करने के लिये स्कूल, कॉलेज और दूसरे शैक्षणिक संस्थानों में भी जागरुकता अभियान चलाए जा रहे हैं।

भारत की उत्कृष्ट पहल

भारत सरकार के पर्यावरण एवं वन मंत्रालय द्वारा प्रति वर्ष 19 नवंबर को इंदिरा गांधी पर्यावरण पुरस्कार प्रदान किया जाता है। इस पुरस्कार के तहत व्यक्ति या संगठन को एक लाख रुपए की प्रोत्साहन राशि भी प्रदान की जाती है।

पर्यावरण जागरूकता के लिए जरूरी कदम

  •  प्रत्येक व्यक्ति प्रति वर्ष यादगार अवसरों पर अपने घर, मंदिर या ऐसे स्थल पर फलदार अथवा औषधीय पौधा-रोपण करें। उपहार में भी सबको पौधे दें।
  •  शिक्षा संस्थानों व कार्यालयों में विद्यार्थी, शिक्षक, अधिकारी और कर्मचारीगण राष्ट्रीय पर्व तथा महत्वपूर्ण तिथियों पर पौधे रोपें।
  •  विद्यार्थी एक संस्था में जितने वर्ष अध्ययन करते हैं, उतने पौधे वहां लगायें और उनका संरक्षण भी करें।
  •  प्रत्येक गांव/शहर में हर मोहल्ले और कॉलोनी में पर्यावरण संरक्षण समिति बनायी जाये।
  •  निजी वाहनों का उपयोग कम से कम किया जाए।
  •  रेडियो, टीवी की आवाज धीमी रखें। सदैव धीमे स्वर में बात करें। घर में पार्टी के दौरान भी शोर न करें।
  •  पानी की बर्बादी को रोकें। गाड़ी धोने या पौधों को पानी देने में इस्तेमाल किये पानी का प्रयोग करें।
  •  अनावश्यक बिजली की बत्ती जलती न छोड़ें। पॉलीथिन का उपयोग न करें। कचरा कूड़ेदान में ही डालें।
  •  अपना मकान बनवा रहे हों तो उसमें वर्षा के जल-संरक्षण और उद्यान के लिए जगह अवश्य रखें।

विश्व पर्यावरण दिवस के थीम और नारे

  • 2016 की थीम: दुनिया को एक बेहतर जगह बनाने के लिए दौड़ में शामिल हों।
  • 2015 की थीम: एक विश्व, एक पर्यावरण।
  • 2014 की थीम: छोटे द्वीप विकसित राज्य होते है या एसआईडीएस और अपनी आवाज उठाओ, ना कि समुद्र स्तर।
  • 2013 की थीम: सोचो, खाओ, बचाओ और नारा था अपने फूडप्रिंट को घटाओ।
  • 2012 की थीम: हरित अर्थव्यवस्था: क्यों इसने आपको शामिल किया है?
  • 2011 की थीम: जंगल: प्रकृति आपकी सेवा में।
  • 2010 की थीम: बहुत सारी प्रजाति। एक ग्रह। एक भविष्य।
  • 2009 की थीम: आपके ग्रह को आपकी जरुरत है- जलवायु परिवर्तन का विरोध करने के लिये एक होना।
  • 2008 की थीम: ष्टह्र२, आदत को लात मारो- एक निम्न कार्बन अर्थव्यवस्था की ओर।
  • 2007 की थीम: बर्फ का पिघलना- एक गंभीर विषय है?
  • 2006 की थीम: रेगिस्तान और मरुस्थलीकरण और नारा था शुष्क भूमि पर रेगिस्तान मत बनाओ।
  • 2005 की थीम: हरित शहर और नारा था ग्रह के लिये योजना बनाये।
  • 2004 की थीम: चाहते हैं! समुद्र और महासागर और नारा था मृत्यु या जीवित?
  • 2003 की थीम: जल और नारा था 2 बिलीयन लोग इसके लिये मर रहें हैं।
  • 2002 की थीम: पृथ्वी को एक मौका दो।
  • 2001 की थीम: जीवन की वल्र्ड वाइड वेब।
  • 2000 की थीम: पर्यावरण शताब्दी और नारा था काम करने का समय।
  • 1999 की थीम: हमारी पृथ्वी- हमारा भविष्य और नारा था इसे बचाएं।
  • 1998 की थीम: पृथ्वी पर जीवन के लिए और नारा था अपने सागर को बचायें।
  • 1997 की थीम: पृथ्वी पर जीवन के लिये।
  • 1996 की थीम: हमारी पृथ्वी, हमारा आवास, हमारा घर।
  • 1995 की थीम: हम लोग: वैश्विक पर्यावरण के लिये एक हो।
  • 1994 की थीम: एक पृथ्वी एक परिवार।
  • 1993 की थीम: गरीबी और पर्यावरण और नारा था दुष्चक्र को तोड़ो।
  • 1992 की थीम: केवल एक पृथ्वी, ध्यान दें और बांटें।
  • 1991 की थीम: जलवायु परिवर्तन। वैश्विक सहयोग के लिये जरुरत।
  • 1990 की थीम: बच्चे और पर्यावरण।
  • 1989 की थीम: ग्लोबल वार्मिंग; ग्लोबल वार्मिंग।
  • 1988 की थीम: जब लोग पर्यावरण को प्रथम स्थान पर रखेंगे, विकास अंत में आयेगा।
  • 1987 की थीम: पर्यावरण और छत: एक छत से ज्यादा।
  • 1986 की थीम: शांति के लिये एक पौधा।
  • 1985 की थीम: युवा: जनसंख्या और पर्यावरण।
  • 1984 की थीम: मरुस्थलीकरण।
  • 1983 की थीम: खतरनाक गंदगी को निपटाना और प्रबंधन करना: एसिड की बारिश और ऊर्जा।
  • 1982 की थीम: स्टॉकहोम (पर्यावरण चिंताओं का पुर्नस्थापन) के 10 वर्ष बाद।
  • 1981 की थीम: जमीन का पानी; मानव खाद्य शृंखला में जहरीला रसायन।
  • 1980 की थीम: नये दशक के लिये एक नयी चुनौती: बिना विनाश के विकास।
  • 1979 की थीम: हमारे बच्चों के लिये केवल एक भविष्य और नारा था बिना विनाश के विकास।
  • 1978 की थीम: बिना विनाश के विकास।
  • 1977 की थीम: ओजोन परत पर्यावरण चिंता; भूमि की हानि और मिट्टी का निम्निकरण।
  • 1976 की थीम: जल: जीवन के लिये एक बड़ा स्रोत।
  • 1975 की थीम: मानव समझौता।
  • 1974 की थीम: 74 के प्रदर्शन के दौरान केवल एक पृथ्वी।
  • 1973 की थीम: केवल एक पृथ्वी।

https://newslive24x7.com/online-petition-for-suswa-river-conservation/

विश्व पर्यावरण दिवस और कथन

  • पृथ्वी हर मनुष्य की जरुरत को पूरा करता है, लेकिन हर व्यक्ति के लालच को नहीं। – महात्मा गांधी
  • विश्व के जंगलों से हम क्या रहें हैं, केवल एक शीशे का प्रतिबिंब है जो हम अपने और एक-दूसरे के साथ कर रहें हैं। – महात्मा गांधी
  • पर्यावरण सब कुछ है जो मैं नहीं हूँ। – अल्बर्ट आइंस्टाईन
  • इन पेड़ों के लिये भगवान ध्यान देता है, इन्हें सूखे, बीमारी, हिम्स्खलन और एक हजार तूफानों और बाढ़ से बचाता है। लेकिन वो इन्हें बेवकूफों से नहीं बचा सकता। – जॉन मुइर
  • भगवान का शुक्र है कि इंसान उड़ नहीं सकता, नहीं तो पृथ्वी के साथ ही आकाश को भी बरबाद कर देता। – हेनरी डेविड थोरियु
  • कभी शंका मत करो कि विचारशील का एक छोटा समूह, समर्पित नागरिक दुनिया को बदल सकता है; वास्तव में, ये एकमात्र चीज है जो हमेशा पास है। – मार्गरेट मीड
  • हमारे पास एक समाज नहीं होगा अगर हम पर्यावरण का नाश करेंगे। – मार्गरेट मीड
  • ये भयावह है कि पर्यावरण को बचाने के लिये हमें अपने सरकार से लडऩा पड़े। – अंसेल एड्म्स
  • मैं सोचता हूँ पर्यावरण को राष्ट्रीय सुरक्षा की श्रेणी में रखना चाहिये। अपने संसाधनों की रक्षा करना सीमा की सुरक्षा के समान ही जरुरी है। अन्यथा वहाँ क्या है रक्षा करने को? – राबर्ट रेडफोर्ट
  • अच्छे जल और हवा में एक प्रवाह लें; और प्रकृति के जीवंत युवा में आप इसे खुद से नया कर सकते हैं। शांति से जायें, अकेले; तुम्हारा कोई नुकसान नहीं होगा। – जॉन मुइर
  • पक्षी पर्यावरण की संकेतक होती है। अगर वो परेशानी में है, हम जानते हैं कि हमलोग जल्दी ही परेशानी में होंगे। – रोजर टोरी पीटर्सन
  • कीचड़ से साफ पानी में प्रदूषण करने के द्वारा आप कभी भी पीने को अच्छा पानी नहीं पायेंगे। – एशीलस
  • अगर हम पृथ्वी को सुंदरता और खुशी पैदा करने की अनुमति नहीं देते, अंत में ये भोजन पैदा नहीं करेगा, दोनों में से एक। – जोसेफ वुड क्रच
  • वो दावा करते हैं ये हमारी मां का, धरती, उनके अपने प्रयोग के लिये, और उससे उनके पड़ोसियों को दूर रखो, अपने बिल्डिंगों और अपने कूड़े से बिगाड़ों उसे। – सिटींग बुल
  • मनुष्य और भूमि के बीच सौहार्द की एक स्थिति संरक्षण है। – एलडो लियोपोल्ड
  • आखिरकार, निरंतरता का अर्थ वैश्विक पर्यावरण का चलते रहना है- पृथ्वी निगमित- एक कार्पोरेशन की तरह: घिसावट के साथ, ऋणमुक्ति और रख-रखाव खाता। दूसरे शब्दों में, समस्त संपत्ति को रखना, बजाय इसके कि आपकी प्राकृतिक पूँजी को खोखला कर दें। -मॉरिस स्ट्रांग
  • भूमि के साथ सौहार्द एक दोस्त के सौहार्द जैसा है; आप उसके दायें हाथ को प्यार करें और बांये हाथ को काट नहीं सकते। – एल्डो लियोपोल्ड
  • आप मर सकते हैं लेकिन कार्बन नहीं; इसका जीवन आपके साथ नहीं मरेगा। ये वापस जमीन में चला जायेगा, और और वहाँ एक पौधा उसे दुबारा से उसी समय में ले सकता है, पौधे और जानवरों के जीवन के एक चक्र पर एक बार उसे दुबारा से भेजें। – जैकब ब्रोनोस्की
  • लोग अपने पर्यावरण को दोषी ठहराते हैं। इसमें केवल एक व्यक्ति को दोषी ठहराना है- और केवल एक- वो खुद। -रॉबर्ट कॉलियर
  • मैं प्रकृति, जानवरों में, पक्षियों में और पर्यावरण में ईशवर को प्राप्त कर सकता हूं। – पैट बकले
  • हमें जरुर प्रकृति को लौटाना चाहिये और प्रकृति का ईश्वर। – लूथर बरबैंक
  • आगे बढऩे का एक ही रास्ता है, अगर हम अवश्य पर्यावरण की गुणवत्ता को सुधार दें, सभी को शामिल होने के लिये है। – रिचड्र्स रोजरर्स
  • हमारे पर्यावरण के लिये एक सच्ची वचनबद्धता के लिये मेरे साथ यात्रा। संतुलन में एक ग्रह को हमारे बच्चों के लिये छोडऩे की शुद्धता के लिये मेरे साथ यात्रा। – पॉल सोंगास
  • पर्यावरण निम्निकरण, अधिक जनसंखया, शरणार्थी, मादक पदार्थ, आतंकवाद, विश्व अपराध आंदोलन और प्रायोजित अपराध पूरे विश्व की समस्या है जो राष्ट्र की सीमा पर नहीं रुकता है। – वारेन क्रिस्टोफर
  • मैं सोचता हूं कि सरकार को अपने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्राथमिकताओं में पर्यावरण को सबसे ऊपर की ओर खिसकाना चाहिये। – ब्रॉयन मुलरोनी
  • सार्वजनिक जीवन में अब मजबूती से अंत:स्थापित है पर्यावरण चिंता, शिक्षा में, मेडिसीन और कानून; पत्रकारिता में, साहित्य और कला में।- बैरी कमोनर
  • पृथ्वी दिवस 1970 अखंडनीय सबूत है कि अमेरिकन लोग पर्यावरण के डर को समझते हैं और इसको सुलझाने के लिये कार्यवाही करना चाहते हैं। – बैरी कमोनर
  • सरकार को स्वच्छ पर्यावरण के लिये एक लक्ष्य निर्धारित करना चाहिये ना कि शासनादेश कैसे ये लक्ष्य लागू करना चाहिये। – डिक्सी ली रे
  • क्यों ऐसा प्रतीत होता है कि केवल एक ही तरीका है पर्यावरण को सुधारने का और वो है सरकार का कड़ा नियमन? – गेल नॉरटन
  • एक बहुत महत्वपूर्ण पर्यावरण मुद्दा है जिसका कभी कभार ही जिक्र होता है, और जो कि हमारी संस्कृति में एक संरक्षण संस्कृति की कमी है। – गेलार्ड नेल्सन

Rajesh Pandey

उत्तराखंड के देहरादून जिला अंतर्गत डोईवाला नगर पालिका का रहने वाला हूं। 1996 से पत्रकारिता का छात्र हूं। हर दिन कुछ नया सीखने की कोशिश आज भी जारी है। लगभग 20 साल हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। बच्चों सहित हर आयु वर्ग के लिए सौ से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। स्कूलों एवं संस्थाओं के माध्यम से बच्चों के बीच जाकर उनको कहानियां सुनाने का सिलसिला आज भी जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। रुद्रप्रयाग के खड़पतियाखाल स्थित मानव भारती संस्था की पहल सामुदायिक रेडियो ‘रेडियो केदार’ के लिए काम करने के दौरान पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाने का प्रयास किया। सामुदायिक जुड़ाव के लिए गांवों में जाकर लोगों से संवाद करना, विभिन्न मुद्दों पर उनको जागरूक करना, कुछ अपनी कहना और बहुत सारी बातें उनकी सुनना अच्छा लगता है। ऋषिकेश में महिला कीर्तन मंडलियों के माध्यम के स्वच्छता का संदेश देने की पहल की। छह माह ढालवाला, जिला टिहरी गढ़वाल स्थित रेडियो ऋषिकेश में सेवाएं प्रदान कीं। बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहता हूं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता: बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी संपर्क कर सकते हैं: प्रेमनगर बाजार, डोईवाला जिला- देहरादून, उत्तराखंड-248140 राजेश पांडेय Email: rajeshpandeydw@gmail.com Phone: +91 9760097344

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button