मिर्च के तीखेपन के लिए जिम्मेदार है यह खास तरह का रसायन
पेपर एक्स को दुनिया की सबसे तीखी मिर्च माना जाता है, इसका तीखापन स्कोविल हीट यूनिट्स (SHU) में लाखों में मापा जाता है
न्यूज लाइव डेस्क
बहुत सारे लोग मिर्च खाने से परहेज करते हैं। खाने में मिर्च कम या ज्यादा है, के बारे में पूछते हैं। मिर्च में तीखापन इसके बीजों और झिल्ली में मौजूद एक खास तरह के रसायन कैप्साइसिन के कारण होता है।
जब हम मिर्च खाते हैं तो कैप्साइसिन हमारी जीभ और मुंह में मौजूद नसों को उत्तेजित करता है। ये नसें हमारे दिमाग को एक संकेत भेजती हैं कि हमारे मुंह में गर्मी है, भले ही वास्तव में कोई गर्मी न हो। यह संकेत दर्द के समान भी हो सकता है, जिसकी वजह से हमें तीखापन महसूस होता है।
मिर्च में मौजूद कैप्साइसिन की वजह से कीड़े-मकोड़े इसे खाना पसंद नहीं करते हैं। कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि कैप्साइसिन पाचन में मदद कर सकता है। कैप्साइसिन का उपयोग कुछ दर्द निवारक दवाओं में भी किया जाता है।
मिर्च के तीखापन को स्कोविल हीट यूनिट्स (SHU- Scoville Heat Units) में मापा जाता है, जितना अधिक SHU होगा, मिर्च उतनी ही तीखी होगी।
अलग-अलग किस्म की मिर्च में कैप्साइसिन की मात्रा अलग-अलग होती है, इसलिए कुछ मिर्च बहुत तीखी होती हैं और कुछ कम। हर व्यक्ति की तीखापन को सहन करने की क्षमता अलग-अलग होती है।
दुनिया की सबसे तीखी मिर्च का खिताब लगातार बदलता रहता है, क्योंकि वैज्ञानिक और किसान लगातार नई और तीखी किस्मों को विकसित कर रहे हैं।
वर्तमान में, पेपर एक्स को दुनिया की सबसे तीखी मिर्च माना जाता है। इसका तीखापन स्कोविल हीट यूनिट्स (SHU) में लाखों में मापा जाता है। पेपर एक्स को गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स ने अगस्त, 2023 में दुनिया की सबसे तीखी मिर्च घोषित किया था। इसकी माप 2.69 मिलियन एसएचयू थी। इससे पहले, कैरोलिना रीपर के नाम 1.64 मिलियन एसएचयू का विश्व रिकॉर्ड था।
भारत की भूत जोलोकिया भी दुनिया की सबसे तीखी मिर्चों में से एक है। इसे घोस्ट पेपर के नाम से भी जाना जाता है। यूनाइटेड किंगडम में उगाई जाने वाली ड्रेगन्स ब्रेथ भी बेहद तीखी मिर्च है।