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कुड़कावाला मैदान के पास किसी से मिलने गया था। अचानक बचपन के मित्र घनश्याम गुप्ता से मुलाकात हो गई। बहुत दिनों से घनश्याम से मिलना चाह रहा था। भाई बहुत मेहनती है। पहले डोईवाला के एक मेडिकल स्टोर पर वर्षों सेवाएं दीं। मिलनसार दोस्त घनश्याम अब 12 साल से कुड़कावाला में परचून की दुकान चला रहे हैं। अच्छे व्यवहार की वजह से दुकान अच्छी चल रही है। कुछ देर की मुलाकात में बचपन की बहुत सारी बातों को ताजा किया, जैसे कि ताऊजी की दुकान से नमकीन चोरी करके खाना, खेत से गन्ना तोड़ते वक्त पकड़े गए तो खेत वाले ने आधा दिन अपने खेत में मेहनत कराई, बैर तोड़ने के लिए दो किमी. दोपहरी में पदयात्रा करना, टीवी देखने के लिए दोस्ती बढ़ाना, गलियों में दौड़ दौड़कर चोर सिपाही खेलना…, न जाने कितने किस्से हैं हमारे बचपन के।