राजेश पांडेय। न्यूज लाइव
ऋषिकेश के वीरभद्र रोड पर खुले मैनहोल में से आवाज आती है, बाल्टियां…, फावड़े… भेज दो। बाहर सड़क पर खड़े आकाश पाल और उनके सहयोगी रस्सी के एक सिरे पर लगे हुक में फंसाकर बारी-बारी से मैनहोल में दो बाल्टियां और फावड़े भेज देते हैं। साथ ही, मैनहोल में मौजूद लड़कों को सतर्क भी करते हैं, थोड़ा किनारे पर हो जाओ, कहीं फावड़ा गिर न जाए।
तीन फरवरी, पूर्वाह्न साढ़े 11 बजे का समय है। ऋषिकेश में रुक-रुककर बारिश हो रही है। गंगा किनारे बसे शहर में ठंडी हवा चल रही है। पर, यहां विधानसभा चुनाव से राजनीति खूब गरमा रही है।
वीरभद्र रोड पर 30 फीट गहरी बिछी सीवेज लाइन में मिट्टी और बरसात का पानी भर गया, जिसको बाहर निकालने के लिए आठ लड़के चार-चार घंटे की दो शिफ्ट में काम कर रहे हैं। उनका आधा शरीर ठंडे पानी में है। चैंबर से जुड़े पाइपों में घुसकर मिट्टी निकालने के लिए इन युवाओं को आधा शरीर झुकाकर रहना पड़ता है, वो भी लगातार चार घंटे।
आकाश बताते हैं, वीरभद्र रोड की सीवेज लाइन अभी चालू नहीं हुई है। यह बरसात के पानी और मिट्टी से चोक हो गई है। इसको चालू करने से पहले साफ करना जरूरी है। अभी तक 35 मैनहोल पर काम कर चुके हैं, लगभग डेढ़ किमी. लाइन और है। इसको साफ करने के लिए हमारे पास पांच दिन का समय है।
ठंडे पानी में लगातार झुककर काम करने से स्वास्थ्य खराब होने का खतरा रहता है। गहराई में ऑक्सीजन की थोड़ी कमी रहती है। चोक सीवेज लाइन में ऑक्सीजन का बहाव कम होता है, तब दिक्कत होती है। चार-चार घंटे की दो शिफ्ट में काम करते हैं। जब रोड पर कोई भारी वाहन गुजरता है। सरिये, ईंटों, सीमेंट से भरा कोई ट्रक रोड से निकलता है तो हम सभी लड़कों को पाइपों से बाहर निकलकर चैंबर में एक जगह इकट्ठा होने को कहते हैं। अभी यह लाइन चालू नहीं हुई है, इसलिए ज्यादा दिक्कत की कोई बात नहीं है। आकाश पाल
ठंडे पानी में कड़ाके की सर्दी में जोखिमभरा काम कर रहे युवा सन्नी भाई, राजकुमार, अनुज, विजय, फक्खड़ भाई… को आठ घंटे सेवा का पारिश्रमिक 500 रुपये मिलता है।
आकाश बताते हैं, उन्होंने भी सीवेरज लाइन में बहुत काम किया। हम अपनी ड्यूटी को दिल से निभाते हैं। इस काम में जोखिम तो है ही, वहीं यह सेवा जनता को प्रत्यक्ष रूप से लाभ पहुंचाती है। ये कड़ी मेहनत इसलिए करते हैं, ताकि जनता को कोई परेशानी न हो।