agricultureElectionFeaturedUttarakhand

Video- मिसालः गांव में सब्जियां उगाने के लिए महिला प्रधान ने निजी ऋण लेकर बनवाई टंकी

प्रोजेक्ट की लागत दो लाख रुपये बढ़ गई, प्रधान ने किसान क्रेडिट कार्ड से लोन लिया

राजेश पांडेय। न्यूज लाइव

डोईवाला विधानसभा का हिस्सा सनगांव देहरादून से करीब 30 किमी. दूर होगा। गांव में सिंचाई पूरी तरह बारिश पर निर्भर है। बारिश नहीं होने पर खेतों को सूखने से बचाने, सब्जी उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए विश्वबैंक से पोषित जलागम परियोजना से टंकी का निर्माण शुरू किया गया। साढ़े तीन लाख के प्रोजेक्ट पर निर्माण लागत साढ़े पांच लाख रुपये तक पहुंच गई। ग्राम प्रधान हेमंती रावत ने टंकी निर्माण के लिए व्यक्तिगत रूप से दो लाख रुपये का लोन लिया और टंकी निर्माण पूरा कराया। इस योजना से 28 ग्रामीण खेत-क्यारियों में सब्जियों का उत्पादन कर पाएंगे।

डोईवाला विधानसभा के सनगांव में खेतों में सिंचाई के लिए बनाई गई टंकी के पास ग्राम प्रधान प्रतिनिधि पुनीत रावत। फोटो- डुगडुगी

सनगांव की ग्राम प्रधान हेमंती रावत के प्रतिनिधि पुनीत रावत बताते हैं, टंकी निर्माण को पूरा करने में धन की कमी पड़ने की बात जनप्रतिनिधियों से की गई, ताकि किसी निधि से पैसा मिल जाए। पर, कहीं कोई सुनवाई नहीं हुई। टंकी निर्माण करा रही संस्था के पास भी अनुमानित लागत से अधिक धन की व्यवस्था नहीं थी। टंकी का निर्माण तो करना ही था। ग्राम पंचायत के पास भी इतना बजट नहीं है कि टंकी बनाने के लिए पैसे की व्यवस्था हो सके। इस पर ग्राम प्रधान ने व्यक्तिगत पूंजी से ही टंकी निर्माण पूरा करने का निर्णय लिया। उन्होंने अपने किसान क्रेडिट कार्ड पर कोऑपरेटिव बैंक से दो लाख रुपये का लोन लिया। इसकी किस्त प्रति वर्ष चुकानी होती है।

डोईवाला विधानसभा के सनगांव में पानी लिफ्ट करने के लिए सोलर एनर्जी की व्यवस्था की गई है। फोटो- सौरव

पुनीत बताते हैं, अनुमानित लागत से अधिक पैसा खर्च होने की वजह, टंकी का निर्माण दो सौ फीट की ऊंचाई पर होना है। स्रोत लगभग एक किमी. दूर है, जहां से पानी सोलर ऊर्जा से लिफ्ट करना है। गांव तक सड़क नहीं है। रेत, बजरी, ईंट, सीमेंट को यहां तक पहुंचाने के लिए कई बार लोडेड- अनलोडेड करना पड़ा। निर्माण सामग्री को खच्चरों से भी ढोना पड़ा। इसमें ज्यादा धन खर्च हुआ।

ग्राम प्रधान हेमंती रावत का कहना है, प्रोजेक्ट को अधूरा नहीं छोड़ सकते थे, इसलिए लोन लेना पड़ा। हमारे सामने लोन चुकाने की चुनौती है। पर, इस बात की खुशी भी है कि हमने अपने गांव की बड़ी समस्या के समाधान में योगदान दिया है। इस योजना से गांव के 28 लोगों की खेत-क्यारियों में सब्जी उत्पादन के लिए पानी मिल सकेगा। वर्तमान में टंकी में पानी इकट्ठा हो रहा है, जिसको पाइपों के माध्यम से समय-समय पर खेतों तक पहुंचाया जाएगा।

देहरादून जिला में डोईवाला विधानसभा के सनगांव में खेतीबाड़ी की बहुत संभावनाएं हैं। फोटो- डुगडुगी

अब गर्मियों में सब्जियां पैदा हो सकेंगी, किसी को भी बाजार से सब्जी खरीदने की जरूरत नहीं होगी। यहां जैविक सब्जियां होती है। गोबर की खाद इस्तेमाल करते हैं। ताजी एवं शुद्ध सब्जियां गांव में उत्पादित हो सकेंगी।

महिला ग्राम प्रधान ने अपने गांव के लिए लोन लेकर व्यक्तिगत पूंजी लगाई। पर एक सवाल यह बनता है, चुनावी दौर में तमाम वादे करने वाले जनप्रतिनिधियों ने गांव को लाभान्वित करने में कोई रूचि क्यों नहीं दिखाई।

ग्रामीण भूषण तिवारी कहते हैं, सरकार ने गांवों का विकास पंचायत प्रतिनिधियों के भरोसे छोड़ दिया है। स्थानीय प्रतिनिधियों के पास इतना बजट नहीं होता कि वो सड़कें बना सकें या पानी के लिए बड़ी टंकियां बना सकें। पर, स्थानीय प्रतिनिधि अपने सीमित संसाधनों में बहुत काम कर रहे हैं। सरकारों को गांवों की ओर ध्यान देने की आवश्यकता है।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button