Featuredhealth

क्या आप जानते हैं इस बुखार के बारे में, जिसे हड्डी तोड़ कहते हैं

दुनिया में डेंगू के बढ़ते मामलों पर, यूएन स्वास्थ्य एजेंसी की चेतावनी

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने चेतावनी जारी की है कि अनेक देशों में मच्छरों का फैलाव होने, व्यक्तियों व सामान की आवाजाही बढ़ने, शहरीकरण, जल व साफ़-सफ़ाई से जुड़ी समस्याएं उभरने और वैश्विक तापमान में वृद्धि समेत अन्य कारणों से डेंगू के मामलों में उछाल की आशंका है।

उष्णकटिबन्धीय क्षेत्रों में उपेक्षित बीमारियों पर नियंत्रण के लिए वैश्विक कार्यक्रम के प्रमुख डॉ. रमन वेलायुधन ने बताया कि, “विश्व की लगभग आधी आबादी पर डेंगू का जोखिम है, और डेंगू क़रीब 129 देशों को प्रभावित करता है।”

उन्होंने कहा कि हर साल 10 से 40 करोड़ तक मामले दर्ज किए जाते हैं, मगर यह बस एक अनुमान है और अमेरिकी क्षेत्र में ही 28 लाख मामलों और एक लाख से अधिक मौतें होने की जानकारी है।

डेंगू को हड्डीतोड़ बुखार भी कहा जाता है, और यह मच्छरों से मनुष्यों में फैलने वाले सबसे आम वायरस संक्रमण है।

डेंगू से संक्रमित अधिकांश लोगों में कोई लक्षण नहीं होते हैं, और वे एक से दो हफ़्तों में ठीक हो जाते हैं. लेकिन कुछ लोगों में यह बीमारी गम्भीर रूप धारण कर सकती है और अस्पताल में देखभाल की आवश्यकता होती है।

डॉक्टर वेलायुधन ने जिनीवा में पत्रकारों को जानकारी देते हुए कहा कि कुछ मामलों में, दूसरी बार संक्रमण होने पर, यह गम्भीर बीमारी बन सकता है और जानलेवा भी साबित हो सकता है।

डेंगू के फैलाव के लिए मच्छरों की एडीज़ प्रजाति ज़िम्मेदार है, यह उष्णकटिबन्धीय व उप-उष्णकटिबन्धीय क्षेत्रों में ज़्यादा आम है, और हाल के दशकों में विश्व भर में इसके मामलों में नाटकीय वृद्धि हुई है।

“2000 में, हमें लगभग पाँच लाख मामलों का पता चला और 2022 में, हमने 42 लाख से अधिक मामले दर्ज किए, जोकि वास्तव में आठ गुना वृद्धि को दर्शाता है।”

डॉक्टर वेलायुधन के अनुसार, जैसे-जैसे सटीक आँकड़ें मिलेंगे यह संख्या और बढ़ने की आशंका है। एशिया क्षेत्र में इस बीमारी के लगभग 70 प्रतिशत मामले दर्ज किए गए हैं और भविष्य में भी यह जारी रहने की आशंका है।

योरोप में, एडीज़ मच्छर के बारे में पुख़्ता जानकारी है और डेंगू व चिकुनगुनया संक्रमण के मामले पिछले एक दशक से अधिक समय से सामने आते रहे हैं।

“योरोपीय देश अलर्ट पर हैं, चूंकि योरोप में वर्ष 2010 के बाद से ही, एडीज़ संचारण के ज़रिये डेंगू या चिकुनगुनया के मामले दर्ज किए गए हैं,” उसके बाद से इन बीमारियों का प्रकोप हुआ है और यह अनुमान है कि मच्छर लगभग 22 योरोपीय देशों में उपस्थित है।

जलवायु परिवर्तन के अलावा अन्य कई नकारात्मक कारण हैं, जोकि डेंगू बुखार के लिए ज़िम्मेदार हैं, जैसे कि व्यक्तियों व सामान की आवाजाही में वृद्धि, शहरीकरण और जल व साफ़-सफ़ाई सेवाओं पर दबाव।

यूएन एजेंसी विशेषज्ञ के अनुसार, जल क़िल्लत होने पर यह मच्छर जीवित रहता है, इसलिए बाढ़ या सूखे, दोनों परिस्थितियों में डेंगू के मामलों में वृद्धि दर्ज की जा सकती है और तापमान बढ़ने पर ये संख्या बढ़ती है।

डेंगू बुखार का कोई विशिष्ट उपचार नहीं है और ना ही सीधे तौर पर कोई दवा उपलब्ध है। इस रोग का मुख्यत: दर्द निवारण व बुखार की दवाओं से उपचार किया जाता है।

डेंगू रोग परीक्षण के विश्वसनीय नतीजे सामने आने में दो से तीन दिन का समय लग सकता है। डेंगू के विरुद्ध लड़ाई में रोकथाम व नियंत्रण के लिए बेहतर निदान समेत अनेक उपाय विकसित किए जा रहे हैं।

कुछ एंटीवायरस दवाओं का भी चिकित्सा परीक्षण किया जा रहा है।

डॉक्टर वेलायुधन ने बताया कि दो या तीन दवाएँ अपने परीक्षण के दूसरे चरण से गुज़र रही हैं और फिर तीसरे चरण में पहुँचेंगी, जोकि आशा बंधाता है।

साथ ही, बाज़ार में डेंगू की वैक्सीन भी उपलब्ध है, जोकि कुछ मायनों में सीमित है, जबकि दो अन्य की परीक्षण से पहले समीक्षा की जा रही है।

यूएन स्वास्थ्य एजेंसी ने ज़ोर देकर कहा है कि रोकथाम उपाय अहम हैं। डेंगू का मच्छर दिन में काटता है और इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि लोग अपना घरों, स्कूलों और कार्यस्थलों पर ख़्याल रखें, मच्छरदानी का इस्तेमाल करें और इमारतों के आस-पास मच्छर भगाने वाली दवा का छिड़काव करें।- साभार यूएन समाचार

डेंगू का मच्छर साफ पानी में भी पनपता है, इसलिए ये जहां पानी जमा होगा, वहां पैदा होगा।वहीं डेंगू का मच्छर दिन में काटता है ये बात सच है लेकिन पूरी नहीं। असल में डेंगू के मच्छर दिन में सुबह के वक्त सबसे ज्यादा काटते हैं, लेकिन ऐसा नहीं है कि इसके काटने की आशंका शाम या रात में नहीं है। अंधेरा होने के बाद भी डेंगू के मच्छर काट सकते हैं, हालांकि ये रात में उसी जगह होते हैं जहां लाइट होती है, इसलिए रात में लाइट में मच्छरों के काटने से भी डेंगू का डर कायम रहता है। डेंगू फैलाने वाले एडीजी मच्छर ज्यादातर सुबह और शाम के समय लोगों को काटते हैं।- स्रोत

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button