केशवपुरी में खुला डुग डुगी स्कूल
वहां एक स्कूल खुला है, आप वहां पढ़ने आना।
नहीं मैं नहीं आ सकता। मैं एक दुकान पर काम करता हूं। मेरे पास स्कूल जाने के लिए समय नहीं है।
क्या आप पहले स्कूल जाते थे। हां मैं स्कूल जाता था, पर छूट गया। मुझे दुकान पर काम करना पड़ा।
क्या पढ़ना चाहते हो। पढ़ना तो चाहता हूं, पर मेरे पास समय नहीं है। रात को घर पहुंचता हूं।
क्या आप सुबह पढ़ाई के लिए हमें एक घंटा दे सकते हो। सुबह आठ से नौ बजे तक।
मुझे साढ़े आठ बजे काम पर जाना होता है, क्या आप मुझे पढ़ाओगे। क्या आप सच बोल रहे हो। कहां पढ़ाओगे आप।
हमने यहीं मैदान के पास कमरा लिया है किराये पर। एक या डेढ़ घंटे का स्कूल होगा, आपके लिए।
मैं जरूर आऊंगा। मैं दुकान पर जाकर कह दूंगा, आधा घंटा पौने घंटे लेट आऊंगा।
क्या आपके दुकान मालिक मान जाएंगे। कह दूंगा मुझे पढ़ना है, वो मना नहीं करेंगे, बहुत अच्छे हैं।
वो सामने कमरा देख रहे हो, वहां आना है रोज। क्या अभी आ जाऊं। क्या टाइम हुआ होगा।
हां, हां, आप आ जाओ, अपने दोस्तों को भी बुला लो। अभी सवा आठ बजे हैं।
बस, थोड़ी देर में आ रहा हूं मैं। मैं अपने साथ, और भी बच्चों को लेकर आता हूं, जो दुकानों में काम करते हैं।
यह 15 साल के एक बच्चे की बात है, जो पढ़ना चाहता है,जिंदगी में कुछ करना चाहता है, वो आसमां छूना चाहता है। वह अपने साथ और भी बच्चों को लेकर डुग डुगी पहुंच रहे हैं रोजाना रविवार को उनके स्कूल का पांचवां दिन था। पहले दिन डुग डुगी के स्कूल में तीस बच्चे उपस्थित रहे।
तक धिनाधिन की यह पहल केवल कागजों में ही रह जाती, अगर बच्चों और महिलाओं के लिए कार्य कर रही संस्था बहाली की अध्यक्ष कैरन मिश्रा, पर्यावरण की सुरक्षा के लिए लोगों को जागरूक कर रही दृष्टिकोण समिति के संस्थापक मोहित उनियाल, अन्न बचाने और किसी को भी भूखा नहीं सोने देने के लिए दृढ़ संकल्पित रोटी कपड़ा बैंक के संस्थापक मनीष उपाध्याय की प्रेरणा और भरपूर सहयोग नहीं होता। डुग डुगी की टीम के वालंटियर परख पांडेय, अर्चित, सार्थक पांडेय और लिया का योगदान भी भुलाया नहीं जा सकता।
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डुग डुगी शुरुआती समय में केवल एक या डेढ़ घंटे का स्कूल है। यह एक पहल है, एक कोशिश है। जब हमने केशवपुरी और राजीवनगर में कामकाजी बच्चों के लिए स्कूल खोलने पर चर्चा की तो अक्सर यही सुनने को मिला कि बच्चों को स्कूल तक कैसे लाओगे। वो नहीं आएंगे, कोई एक दिन आएगा, दूसरे दिन नहीं आएगा। बच्चों को स्कूल तक लाना चुनौतीपूर्ण होगा। यह चर्चा जरूरी थी, क्योंंकि हमें किसी भी कार्य को शुरू करने से पहले उसकी चुनौतियों को भी जानना चाहिए।
पर, हमारा सवाल यह था कि चुनौती किस काम में नहीं है। कैरन मैम, मोहित उनियाल और मनीष उपाध्याय ने तय कर लिया कि एक जनवरी 2020 से स्कूल खोल दिया जाए। स्कूल का नाम सबको अच्छा लगा और जगह की तलाश 15 दिसंबर,2019 रविवार को पूरी हो गई। 17 दिसंबर 2019 मंगलवार को कुछ बच्चों से बात की तो एक बच्चे ने पूछा, स्कूल कब खुलेगा। हमने कहा, आप कब आना चाहते हो। जवाब मिला, कल ही आ जाऊंगा। हमने पूछा, किस समय आ जाओगे। जवाब मिला, सुबह आठ बजे से।
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कैरन मैम दिल्ली विश्वविद्यालय के मिरांडा हाउस से ग्रेजुएट हैं और देहरादून के नामी स्कूलों में सेवाएं प्रदान की हैं। रोजाना देहरादून से आकर डुग डुगी स्कूल में बच्चों को इंगलिश पढ़ा रही हैं। बच्चों को अंग्रेजी के अक्षरों के शुद्ध उच्चारण का अभ्यास शुरू करा दिया गया है। उनका कहना है कि अगर कोई वालंटियर बच्चों को अंग्रेजी पढ़ाने के लिए स्वेच्छा से तैयार हैं तो उनको शुद्ध उच्चारण के साथ साइंस ऑफ साउंड का ज्ञान कराने के लिए प्रशिक्षण दिया जाएगा।
मोहित उनियाल बताते हैं कि प्राथमिकता बच्चों को शिक्षा से जोड़ना और उनमें नैतिक मूल्यों का विकास करना है। सभी बच्चे अनुशासित हैं और इनमें बहुत संभावनाएं हैं। मोहित बच्चों को छोटी-छोटी कविताओं और कहानियों के माध्यम से संदेश देने के लिए प्रोजेक्टर पर फिल्म दिखा रहे हैं। चौथे दिन उनको स्वच्छता का महत्व समझाने के लिए फिल्म दिखाई गईं।
मनीष उपाध्याय रोजाना सुबह आठ बजे से पहले डुग डुगी स्कूल पहुंचकर बच्चों की आवश्यकताओं का ध्यान रख रहे हैं। वो बच्चों को स्कूल आने के लिए प्रेरित करते हैं। छोटे बच्चे चित्रों में अपनी कल्पनाओं के रंग भर रहे हैं और उनसे कुछ बड़े बच्चे गिनती और जोड़ना सीख रहे हैं। डुग डुगी की कक्षा में आपका भी स्वागत है। आप भी बच्चों को पढ़ा और कुछ सीखा सकते हैं। डुग डुगी स्कूल रविवार को भी खुलता है।