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उत्तराखंड के इस जिले में प्रति हजार पुरुषों पर सबसे ज्यादा 1021 महिला मतदाता

उत्तराखंड के तेरह में से सात जिलों में महिलाओं की संख्या पुरुषों से ज्यादा

देहरादून। उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 के लिए मतदाताओं की अंतिम सूची जारी की गई है, इसमें सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि रुद्रप्रयाग में पुरुषों के मुकाबले महिला मतदाताओं की संख्या ज्यादा है। रुद्रप्रयाग ही राज्य का एक मात्र ऐसा जिला है, जो जनगणना के अनुसार ही नहीं, बल्कि मतदाता लिंगानुपात में भी बढ़त बनाए है।

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उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव के लिए 81 लाख 72 हजार 173 वोटर की सूची को अंतिम रूप से प्रकाशित किया गया है, जिनमें लगभग 42.39 लाख पुरुष एवं 39.33 लाख महिला मतदाता शामिल हैं। रुद्रप्रयाग जिला में महिला मतदाता 97,772 तथा पुरुष मतदाता 95,772 हैं। निर्वाचन आयोग के अनुसार, रुद्रप्रयाग में  जनगणना लिंगानुपात 1114 है। वहीं, इलेक्टर जेंडर रेशियो (मतदाता लिंगानुपात) 1021 है, यानी रुद्रप्रयाग में प्रति हजार पुरुष मतदाताओं पर महिला मतदाताओं की संख्या 1021 है।

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राज्य के 13 में से सात जिलों में जनगणना के अनुसार महिलाओं की संख्या पुरुषों के मुकाबले ज्यादा है। इनमें प्रति हजार पुरुषों पर महिलाओं की संख्या चमोली में 1019, रुद्रप्रयाग में 1114, टिहरी गढ़वाल में 1077, पौड़ी गढ़वाल में 1103, पिथौरागढ़ में 1020, बागेश्वर में 1090 तथा अल्मोड़ा में 1139 है। जनगणना के अनुसार महिलाओं की संख्या में बढ़त के ये आंकड़ें मतदाता लिंगानुपात के मामले में केवल रुद्रप्रयाग में ही बरकरार रह पाए।

जनगणना के अनुसार, अल्मोड़ा में प्रति हजार पुरुषों पर महिलाओं की संख्या 1139 है, जो रुद्रप्रयाग से भी अधिक है, पर यहां महिला मतदाताओं की संख्या प्रति हजार पुरुष पर 952 ही है।

 

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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