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Uttarakhand: काली हल्दी की खेती फायदा देगी, पर ध्यान रखना इस बात का

पिछली बार पांच बीघा में लगभग 70 कुंतल काली हल्दी का उत्पादन किया था

डोईवाला। न्यूज लाइव

देहरादून के शेरगढ़ गांव में 73 साल के वरिष्ठ पत्रकार जीतमणि पैन्यूली दो साल से काली हल्दी की खेती (Kali Haldi Farming) कर रहे हैं। पिछली बार उन्होंने पांच बीघा में लगभग 70 कुंतल काली हल्दी का उत्पादन किया था। मार्केटिंग नहीं होने की वजह से पिछली बार उगाई काली हल्दी को बाजार नहीं मिल पाया। इस बार उन्होंने मात्र ढाई बीघा में ही काली हल्दी बोई। मेघालय के लाकोडोंग से बीज मंगाया था,जो शानदार गुणवत्ता का बताया जाता है।

जीतमणि पैन्यूली बताते हैं, “हमारी एक गलती रही, हम मार्केटिंग के बारे में ज्यादा खास जानकारी नहीं रख पाए। हम चाहते हैं कि, जो गलतियां हमने कीं, उनको दूसरे किसान न करें। इस बार हमने काली हल्दी का बीज बोने में भी कुछ गलतियां कीं, जिस वजह से उत्पादन कम मिला।”

“हमने सरकार को प्रस्ताव दिया था कि किसानों, उद्योगों और विभाग के बीच समन्वय बनाएं, ताकि उद्योग अपने उत्पादन के लिए जरूरी उत्पाद किसानों से उगवाएं, इससे किसानों की आय बढ़ेगी। पर, हमने उम्मीद नहीं खोई है, काली हल्दी वास्तव में राज्य के पर्वतीय इलाकों के किसानों की स्थिति में सुधारने की दिशा में बड़ा कदम साबित हो सकती है।”

वो बताते हैं, “यह आपको लागत का लगभग दोगुना उत्पादन देने वाली खेती है। एक बीघा में यदि 80 हजार से एक लाख रुपये तक की लागत आती है, तो आपको उत्पादन से लगभग दो से ढाई लाख रुपया मिलने की संभावना है। यदि मार्केट अच्छा मिल गया तो यह कापी फायदे का सौदा है।”

उनका कहना है, “उत्तराखंड के अफसर चाहें तो काली हल्दी राज्य से पलायन को काफी हद तक रोकने में कारगर हो सकती है। जरूरत है, उद्योगों और किसानों के बीच समन्वय एवं व्यापारिक संबंध बनाने की है। कफ सिरप सहित दवाइयों, मसालों में काली हल्दी गुणकारी एवं औषधीय महत्व की है।”

 

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Rajesh Pandey

उत्तराखंड के देहरादून जिला अंतर्गत डोईवाला नगर पालिका का रहने वाला हूं। 1996 से पत्रकारिता का छात्र हूं। हर दिन कुछ नया सीखने की कोशिश आज भी जारी है। लगभग 20 साल हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। बच्चों सहित हर आयु वर्ग के लिए सौ से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। स्कूलों एवं संस्थाओं के माध्यम से बच्चों के बीच जाकर उनको कहानियां सुनाने का सिलसिला आज भी जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। रुद्रप्रयाग के खड़पतियाखाल स्थित मानव भारती संस्था की पहल सामुदायिक रेडियो ‘रेडियो केदार’ के लिए काम करने के दौरान पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाने का प्रयास किया। सामुदायिक जुड़ाव के लिए गांवों में जाकर लोगों से संवाद करना, विभिन्न मुद्दों पर उनको जागरूक करना, कुछ अपनी कहना और बहुत सारी बातें उनकी सुनना अच्छा लगता है। ऋषिकेश में महिला कीर्तन मंडलियों के माध्यम के स्वच्छता का संदेश देने की पहल की। छह माह ढालवाला, जिला टिहरी गढ़वाल स्थित रेडियो ऋषिकेश में सेवाएं प्रदान कीं। बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहता हूं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता: बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी संपर्क कर सकते हैं: प्रेमनगर बाजार, डोईवाला जिला- देहरादून, उत्तराखंड-248140 राजेश पांडेय Email: rajeshpandeydw@gmail.com Phone: +91 9760097344

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