
बच्चों में दिखें ये लक्षण तो डॉक्टर को दिखाएं, स्कूल न भेजें, घबराने की आवश्यकता नहीं
श्रीनगर बेस हॉस्पिटल रोजाना पहुंच रहे हैंड, फुट एंड माउथ डिजीज से पीड़ित चार-पांच बच्चे
बच्चे को संक्रमित होने पर स्कूल ना भेजें, घर पर रखकर आराम करने दें
श्रीनगर। मनमोहन सिंधवाल
गढ़वाल के श्रीनगर क्षेत्र में हैंड फुट एंड माउथ डिजीज (HFMD) से पीड़ित चार-पांच बच्चे प्रतिदिन बेस अस्पताल पहुंच रहे हैं। यह वायरस से होेने वाली बीमारी संक्रामक होती है। जो संक्रमित बच्चे से दूसरे बच्चे के संपर्क में आने से फैलती है। इस बीमारी में पीड़ित बच्चे के हाथ, पैर और मुंह में छाले हो सकते हैं, जिनमें दर्द होता है। मुंह में छाले जीभ, मसूड़ों और गालों पर हो रहे हैं। बच्चों को बुखार भी होता है।
राजकीय मेडिकल कॉलेज के बेस चिकित्सालय के बाल रोग विभागाध्यक्ष प्रो. सीएम शर्मा ने बताया कि हैंड फुट एंड माउथ डिजीज एक बच्चे से दूसरे बच्चे में तेजी से फैलती है। यह एक वायरल बीमारी है, जो एक हफ्ते के भीतर ठीक हो जाती है। इससे ज्यादा प्रभावित होने वाले बच्चों की उम्र दो से पांच साल तक की है।
डॉ. शर्मा ने बताया, बेस चिकित्सालय में पहुंचने वाले बच्चों को जरूरी दवा के साथ ही अभिभावकों को विशेष सलाह दी जा रही है। इस बीमारी में ज्यादा घबराने की जरूरत नहीं है। बच्चे को एक हफ्ते के भीतर राहत मिल जाती है, लेकिन जरूरी यह है कि इस समय बच्चों का विशेष ध्यान रखा जाए।
डॉ. शर्मा के अनुसार यदि कोई बच्चा संक्रमित हो गया हो तो उसे स्कूल ना भेजें। उसे अन्य बच्चों से कुछ दिनों के लिए दूर रखें। ताकि अन्य बच्चे भी संक्रमित ना हों। यदि किसी बच्चे को खाना खाने में, खाना निगलने में दिक्कत हो रही है या ज्यादा छाले हो तो चिकित्सक को दिखाएं।
हैंड फुट एंड माउथ डिजीज के लक्षण
बाल रोग विभाग के एचओडी डॉ. सीएम शर्मा ने बताया, इस बीमारी की शुरुआत तेज बुखार से होती है, जो इसके शुरुआती लक्षणों में से एक है।
बच्चे का गला सूखने, हथेलियों, तलवे या कभी-कभी बटक्स पर छोटे लाल दाने या छाले हो सकते हैं।
इस रोग में बच्चे को भूख नहीं लगती है, मुंह में छालों की वजह से दर्द होने के कारण बच्चे खाना नहीं खाते हैं।
बचाव के उपाय
साफ-सफाई का ध्यान रखें। बच्चे के हाथ साबुन से धोएं।
पीड़ित बच्चों को कुछ दिन घर पर रखे, स्कूल न भेजें।
संक्रमित के लार, सांस या मल के सीधे संपर्क में आने पर यह बीमारी फैल सकती है।
बच्चे को पौष्टिक आहार दीजिए, अधिक से अधिक तरल पदार्थ खिलाएं।
बुखार का तापमान यदि 100 से अधिक हो तो बाल चिकित्सक को दिखाएं।