FeaturedShort story- Moral Values

टाइगर फैमिली और चॉकलेट

किसी जंगल में टाइगर फैमिली रहती थी। फैमिली में तीन मेंबर डैडी टाइगर, मम्मी टाइगर के साथ उनका प्यारा सा बेटा बेबी टाइगर थे। तीनों बहुत खुश थे। बेबी टाइगर दिनभर इधर उधर घूमता और शाम को अपनी गुफा में लौट आता। मम्मी टाइगर ने उसे काफी समझाया कि बाहर अकेले मत घूमा करो। शिकारी पकड़कर ले जाएंगे या तुमको मार देंगे। तुम्हारे बिना मेरा और तुम्हारे डैडी का क्या होगा। एक और बात ध्यान से सुन लो, उन पैंथर ब्रदर्स के साथ दोस्ती बंद कर दो, वो तुम्हें धोखा दे देंगे। हमारी उनसे बिल्कुल भी नहीं बनती। कहां वो पैंथर्स और कहां हम टाइगर, कोई मेल है भला। बेबी टाइगर को मॉम की बात सुनने की आदत हो गई थी, लेकिन उसने घूमना बिल्कुल भी बंद नहीं किया। उसके तीन दोस्त थे, वो भी पैंथर्स ब्रदर्स।

एक दिन बेबी टाइगर ने अपनी मम्मी से कहा, रोज रोज एक जैसा खाना खाकर मैं बोर हो गया हूं। कुछ नया खाना चाहता हूं। जंगल में तरह तरह के फल लगते हैं, लेकिन हम लोग वो नहीं खाते। कोई बात नहीं, नहीं खा सकते तो मैं क्या कर सकता हूं। पर मम्मी मैं कुछ ऐसा खाना चाहता हूं, जो इंसानों को पसंद हो। मम्मी टाइगर बोलीं, क्या खाना चाहते हो माय डियर सन। बेबी टाइगर बोला- चॉकलेट …।  मम्मी ने पूछा, तुमको किसने बताया चॉकलेट के बारे में। किसी ने नहीं मम्मी, बेबी टाइगर ने जवाब दिया।

मम्मी टाइगर बोलीं, अच्छा तो पैंथर्स ब्रदर्स ने बताया होगा। वो शैतान कहीं के, तुमको बिगाड़ रहे हैं। आने दो तुम्हारे डैडी को, उनको बताती हूं कि तुम चॉकलेट खाना चाहते हो। तुमको पता है, पैंथर्स ब्रदर्स के डैडी चॉकलेट के लालच में शहर गए थे। वहां इंसानों ने उनको एक शॉप में बंद कर दिया था। बहुत पिटाई करने के बाद उनको जंगल लाकर छोड़ा। अब वो बदमाश कहीं के, तुमको चॉकलेट, चॉकलेट सिखाकर शहर भेजना चाहते हैं। बेटा इंसानों ने किसी भी जानवर को बिना पिटाई के नहीं छोड़ा है। तुम भूल जाओ चॉकलेट का सपना।

बेबी बोला, पर मम्मी मुझे पैंथर्स ब्रदर्स ने नहीं बताया चॉकलेट के बारे में। तुम भी न, कोई भी बात होगी, मेरे सीधे सादे दोस्तों को बुरा कहने का कोई भी मौका नहीं छोड़ती।  मुझे ऐसे ही जंगल में घूमते हुए चॉकलेट के बारे में पता चला। बहुत सीधे हैं तुम्हारे दोस्त, एक नंबर के बदमाश हैं तीनों भाई। पूरे जंगल में निठल्ले घूमते फिरते हैं, मम्मी ने कहा।

बेबी टाइगर बोला, हां, याद आया, वो तोता अपने दोस्तों को कह रहा था, शहर में मिलने वाली चॉकलेट का स्वाद ही कुछ और है। बड़ा मजा आया है दोस्तों चॉकलेट खाकर। अच्छा तो तोता जंगल के जानवरों को बहका रहा है। आने तो तुम्हारे डैडी को उनको बताऊंगी। शाम को टाइगर डैडी पहुंचे तो मम्मी ने उनको चॉकलेट वाली बात बता दी। उन्होंने कहा, सही तो कह रहा है बेबी। जंगल के पास ही एक बड़ी दुकान खुली है, जिसमें बहुत सारी चॉकलेट हैं। मैंने तोते को वहां चॉकलेट खाते देखा था। वाकई बहुत शानदार होती है चॉकलेट। एक तो मैंने भी तोते से मांगकर ही चखी है। अब तो मम्मी ने भी चॉकलेट खाने की इच्छा जता दी।

डैडी, मम्मी और बेबी, तीनों जंगल के पास वाली दुकान पर पहुंचे। वहां दुकान में इंसान खरीदारी कर रहे थे। उत्साहित होकर बेबी टाइगर अपने मम्मी, डैडी को छोड़कर दुकान में घुस गया। उसे देखकर वहां खड़े इंसान दहशत में आ गए। टाइगर, टाइगर कहते हुए सभी दुकान से भाग लिए। कुछ ही देर में दुकान खाली हो गई।  यह देखकर डैडी टाइगर ने कहा, इंसान कितने भले हैं, जो टाइगर फैमिली के वेलकम में पूरी दुकान खाली कर दी। शायद इंसान चाहते हैं कि टाइगर फैमिली आराम से चॉकलेट खा सके।

मम्मी और डैडी टाइगर भी दुकान में घुस गए। उनको देखकर बेबी टाइगर सामान रखने की ट्राली में कूदकर बैठ गया। मम्मी ने ट्राली को पूरी दुकान में घुमाया और जो सामान पसंद आया, ट्राली में डाल दिया। बेबी और उसके मम्मी ने सामान और चॉकलेट से ट्राली भर दी। मम्मी ने पूछा, सामान तो ले लिया, अब क्या करें।

टाइगर डैडी ने काउंटर की ओर इशारा करते हुए कहा, वहां जाओ। मम्मी टाइगर वहां पहुंचीं और पूछा, अब क्या करें। डैडी ने कहा, वहां दराज खोलकर देखो, उसमें क्या है। मम्मी टाइगर ने दराज खोली और कहा, इसमें कुछ पेपर और मैटल कॉइन हैं। डैडी टाइगर ने कहा, ठीक है। तुम भी कुछ पेपर उसमें डाल दो। मैंने खरीदारी करने वाले इंसानों को ऐसा करते देखा था। शायद इस दराज में पेपर और कॉइन डाले बिना खरीदारी पूरी नहीं होती।

उनके कहते ही बेबी और उसकी मम्मी ने चॉकलेट और अन्य सामान के रेपर फाड़कर दराज में डालने शुरू कर दिए। रेपर हटते ही चॉकलेट पिघलने लगी और बेबी टाइगर के पंजों पर लग गई। उसने अपने सिर पर हाथ रखा तो चॉकलेट बालों पर लग गई। तभी टाइगर बेबी बोला, ओह, मुझे नहीं पता था कि चॉकलेट इतनी खराब होगी। कुछ ही देरी में टाइगर फैमिली शॉपिंग ट्राली लेकर जंगल में घुस गए। गुफा की ओर जाते समय दलदल में उनकी ट्राली फंस गई। काफी प्रयास के बाद भी जब ट्राली नहीं निकली तो वो सारा सामान छोड़कर अपनी गुफा में पहुंच गए।

तीनों काफी थक गए थे। डैडी टाइगर ने बेबी से कहा, माय सन- क्या अब भी तुम चॉकलेट खाना पसंद करोगे। बेबी ने जवाब दिया, चॉकलेट ने बहुत परेशान कर दिया। मेरे सारे बाल खराब हो गए, पर स्वाद कुछ अलग था। डैडी अब चॉकलेट नहीं आइसक्रीम खाने का मन कर रहा है। उसकी बात सुनकर मम्मी और डैडी टाइगर जोरों से हंसने लगे। वो कहने लगे, बेटा- हम जंगल के जीव हैं, हम इंसानों वाले शौक नहीं पाल सकते। आप वो ही सब खाओगे, जो अब तक हम खाते रहे हैं। (अनुवादित)

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Rajesh Pandey

उत्तराखंड के देहरादून जिला अंतर्गत डोईवाला नगर पालिका का रहने वाला हूं। 1996 से पत्रकारिता का छात्र हूं। हर दिन कुछ नया सीखने की कोशिश आज भी जारी है। लगभग 20 साल हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। बच्चों सहित हर आयु वर्ग के लिए सौ से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। स्कूलों एवं संस्थाओं के माध्यम से बच्चों के बीच जाकर उनको कहानियां सुनाने का सिलसिला आज भी जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। रुद्रप्रयाग के खड़पतियाखाल स्थित मानव भारती संस्था की पहल सामुदायिक रेडियो ‘रेडियो केदार’ के लिए काम करने के दौरान पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाने का प्रयास किया। सामुदायिक जुड़ाव के लिए गांवों में जाकर लोगों से संवाद करना, विभिन्न मुद्दों पर उनको जागरूक करना, कुछ अपनी कहना और बहुत सारी बातें उनकी सुनना अच्छा लगता है। ऋषिकेश में महिला कीर्तन मंडलियों के माध्यम के स्वच्छता का संदेश देने की पहल की। छह माह ढालवाला, जिला टिहरी गढ़वाल स्थित रेडियो ऋषिकेश में सेवाएं प्रदान कीं। बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहता हूं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता: बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी संपर्क कर सकते हैं: प्रेमनगर बाजार, डोईवाला जिला- देहरादून, उत्तराखंड-248140 राजेश पांडेय Email: rajeshpandeydw@gmail.com Phone: +91 9760097344

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