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घर के आस पास से लुप्त हो रहीं गौरैया के लिए पसंद आ रहे ये लकड़ी के घर

डोईवाला से लगभग दस किमी. और देहरादून से लगभग 20 किमी. दूर थानो क्षेत्र में बनाए जाते हैं लकड़ी के घर

डोईवाला। 17 फरवरी, 2025

जनवरी के अंतिम दिनों में तेज धूप और फरवरी में मौसम का मिजाज जानने के बाद अनुमान यही है कि इस बार गर्मियों के महीने खूब परेशान करने वाले हैं। गर्मियों में हर कोई छाया तलाशता है, चाहे इंसान हो या फिर जानवर या कोई पक्षी।

डोईवाला से लगभग दस किमी. और देहरादून से लगभग 20 किमी. दूर थानो क्षेत्र में करीब 40 वर्षीय लक्ष्मण सिंह पक्षियों के लिए लकड़ियों के घर बना रहे हैं। पक्षियों के तो घोंसले होते हैं, पर हम इनको घर इसलिए कह रहे हैं, क्योंकि इनका डिजाइन घर जैसा ही है,जिसमें प्रवेश के लिए चिड़ियों के आकार के अनुसार होल किया गया है। इस छोटे से घर के भीतर चिड़ियों का एक जोड़ा आसानी से रह सकता है।

रुद्रप्रयाग जिला में चोपता के पास गौरैया की टोली। फोटो- राजेश पांडेय

थानो में माता बाला सुंदरी मंदिर के मुख्य मार्ग स्थित गेट के ठीक सामने फर्नीचर एवं वेल्डिंग व्यवसाय चलाने वाले लक्ष्मण सिंह बताते हैं, हमें केवल यह घर, अपने आवास पर किसी सुरक्षित स्थान पर टांगने या रखने हैं। चिड़ियां, खासकर गौरैया इनको खुद ही तलाश कर लेती है। वो तिनके लेकर आएंगी और इस घर में बिछौना तैयार करेंगी।

हम भारत के लोग कार्यक्रम में एक्टीविस्ट मोहित उनियाल के साथ बातचीत में लक्ष्मण सिंह बताते हैं, “वो लगभग चार साल से ये छोटे-छोटे रंग बिरंगे घर बना रहे हैं। वो कहते हैं, गौरैया कम ही दिखती हैं। पर, थोड़ी बहुत बची हैं, उनके संरक्षण की जिम्मेदारी हम सभी पर है। यहां थानो क्षेत्र में तो पेड़ खूब हैं, पर शहर में पेड़ कम होते जा रहे हैं, इसलिए इन पक्षियों के सामने इंसानों की तरह ही आवास की समस्या बनी है।”

लक्ष्मण बताते हैं, “लोग इन घरों को काफी पसंद कर रहे हैं। वो दो आकार के घर बना रहे हैं। बड़े आकार के घरों का जोड़ा 1000 रुपये तथा छोटे आकार वाला 600 रुपये जोड़ा है। ये घर जोड़े में ही बिक्री करते हैं।”

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क्या घरेलू गौरैया वापसी कर रही है?

एक्टीविस्ट मोहित उनियाल का कहना है कि “ये घर वाकई नायाब हैं। थानो के आसपास के पर्वतीय गांवों में बर्ड वाचिंग के लिए दूर दूर से पक्षी प्रेमी आते हैं। यहां आपको कई तरह चिड़ियां देखने को मिल सकती हैं। शहरों में पक्षियों को कम ही देखा जाता है।”

वो कहते हैं, “गर्मियों में अपने घर के चारों तरफ इनको किसी छायादार जगह पर टांग सकते हैं। गौरैया यहां आसरा ले सकती हैं। गर्मियोंं में पक्षियों के पानी और दाना की व्यवस्था भी की जानी चाहिए। इन्हीं घरों के पास आप पानी से भरा बर्तन रख सकते हैं। पक्षियों के लिए भोजन का इंतजाम कर सकते हैं। घरों के गेट के आसपास पशुओं के लिए पानी से भरे बर्तन रख सकते हैं। यह पशुओं और पक्षियों के संरक्षण की दिशा में शानदार पहल होगी।”

 

Rajesh Pandey

उत्तराखंड के देहरादून जिला अंतर्गत डोईवाला नगर पालिका का रहने वाला हूं। 1996 से पत्रकारिता का छात्र हूं। हर दिन कुछ नया सीखने की कोशिश आज भी जारी है। लगभग 20 साल हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। बच्चों सहित हर आयु वर्ग के लिए सौ से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। स्कूलों एवं संस्थाओं के माध्यम से बच्चों के बीच जाकर उनको कहानियां सुनाने का सिलसिला आज भी जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। रुद्रप्रयाग के खड़पतियाखाल स्थित मानव भारती संस्था की पहल सामुदायिक रेडियो ‘रेडियो केदार’ के लिए काम करने के दौरान पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाने का प्रयास किया। सामुदायिक जुड़ाव के लिए गांवों में जाकर लोगों से संवाद करना, विभिन्न मुद्दों पर उनको जागरूक करना, कुछ अपनी कहना और बहुत सारी बातें उनकी सुनना अच्छा लगता है। ऋषिकेश में महिला कीर्तन मंडलियों के माध्यम के स्वच्छता का संदेश देने की पहल की। छह माह ढालवाला, जिला टिहरी गढ़वाल स्थित रेडियो ऋषिकेश में सेवाएं प्रदान कीं। बाकी जिंदगी को जी खोलकर जीना चाहता हूं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता: बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी संपर्क कर सकते हैं: प्रेमनगर बाजार, डोईवाला जिला- देहरादून, उत्तराखंड-248140 राजेश पांडेय Email: rajeshpandeydw@gmail.com Phone: +91 9760097344

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