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आवाज़ साहित्यिक संस्था की रचनाकार ममता जोशी स्नेहा को साहित्य सम्मान

ऋषिकेश। रचनाकारों के ख्याति प्राप्त मंच आवाज़ साहित्यिक संस्था की सदस्य और राष्ट्रीय मंचों पर काव्य रचनाओं और गीतों के माध्यम से प्रसिद्धि प्राप्त कवयित्री ममता जोशी ‘स्नेहा’ ने राष्ट्रीय स्तर का साहित्य सम्मान हासिल किया है।

कवयित्री ममता जोशी ‘स्नेहा’ को प्रसिद्ध साहित्यिक संस्था ‘खयाल अनुगूंज’ छत्तरपुर नई दिल्ली के साहित्यिक महायज्ञ प्रथम 2023 – 24 के साहित्य कुंभ में आयोजित प्रतियोगिता में उत्तराखंड राज्य से प्रथम स्थान प्राप्त करने पर यह सम्मान प्रदान किया गया। यह संस्था राष्ट्र भाषा हिंदी साहित्य के उत्थान, उन्नयन एवं संवर्धन के लिए कार्य कर रही है।

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देश के कई राज्यों से आए साहित्यकारों ने गद्य, गजल, छंद के साथ कविता पाठ प्रतियोगिता में हिस्सा लिया। उत्तराखंड राज्य से ममता जोशी ने विभिन्न विधाओं में प्रथम एवं द्वितीय स्थान हासिल कर आवाज़ साहित्यिक संस्था के साथ ही उत्तराखंड राज्य का नाम रोशन किया है।

ममता जोशी ने बताया कि उक्त ऑनलाइन प्रतियोगिता के कई पड़ावों को पार किया। छत्तरपुर दिल्ली में अंतिम राउंड हुआ, जिसमें  उन्होंने एकल और सामूहिक रूप से स्थान बनाया। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड से कई वरिष्ठ साहित्यकार इस प्रतियोगिता में प्रतिभाग के लिए गए थे। मुझे भी विभिन्न प्रतियोगिताओं के माध्यम से आगे बढ़ने का अवसर मिला।

कवयित्री ममता जोशी की इस उपलब्धि पर आवाज साहित्यिक संस्था मुनिकी रेती के संस्थापक डॉ. सुनील दत्त थपलियाल ने प्रसन्नता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि ममता जोशी साहित्य रचनाओं को लेकर काफी सजग हैं।

ममता जोशी ने बताया कि शनिवार 13 जनवरी 2024 को अपराह्न दो बजे ढालवाला में होटल चंद्रा पैलेस में उनके कविता संग्रह “शिखरों के स्वर” का विमोचन किया जाएगा। विमोचन समारोह में केंद्रीय विश्वविद्यालय की प्रो. डॉ. कविता भट्ट और अनेक वरिष्ठ साहित्यकार शामिल होंगे।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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