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फ्री कॉलिंग बंद कर सकता है जियो

नई दिल्ली। जियो सिम के ग्राहकों की फ्री कॉलिंग बंद हो सकती है। जियो ने कहा ‎कि उसके पास फ्री कॉलिंग बंद करने का अधिकार है। अगर आप जियो सिम का इस्तेमाल करते है तो इसके इस्तेमाल के दौरान कुछ बातों का ख्याल रखें। जियो ग्राहक अगर 300 मिनट प्रतिदिन कॉल करते हैं तो कंपनी उनके सिम की जांच कर सकती है।

दरअसल कंपनी मानकर चल रही है कि अगर आप महीने में 3000 मिनट से ज्यादा की कॉलिंग करते हैं तो आप फोन का कॉमर्शियल इस्तेमाल करते हैं। ऐसे में जियो आपकी फ्री कॉलिंग बंद कर सकती है। कंपनी का कहना है कि जियो की फ्री कॉलिंग सर्विस केवल ग्राहकों के निजी इस्तेमाल के लिए है, लेकिन अगर इस सर्विस का कोई कॉमर्शियल या फिर गलत इस्तेमाल करता है तो कंपनी के पास उस सर्विस को तुरंत रोकने का अधिकार है।

जियो के मुताबिक फ्री कॉलिंग का इस्तेमाल अगर अनऑथराइज्ड टेलीमार्केटिंग या फिर कॉमर्शियल एक्टिविटी के लिए होता है तो कंपनी उस सर्विस को बंद कर सकती है, लेकिन जियो के मुताबिक कंपनी ने अब तक किसी की सर्विस को बंद नहीं किया है, लेकिन अगर जरूरत पड़ी तो नियमों के मुताबिक उसे बंद किया जा सकता है।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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