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कोविड के खिलाफ टीकाकरण अभियान में सामुदायिक रेडियो स्टेशनों का योगदान

नई दिल्ली। केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने यूनिसेफ के साथ साझेदारी में 16 राज्यों के सामुदायिक रेडियो स्टेशनों के प्रतिनिधियों के लिए कम्युनिकेशन जागरूकता कार्यशाला का आयोजन किया।

विषय आधारित सत्र में कोविड-उपयुक्त व्यवहार (सीएबी) के बारे में सार्थक जागरूकता अभियान चलाने और विशेष रूप से दूरदराज तथा दुर्गम स्थानों में रहने वाले समुदायों के बीच कोविड टीकों और टीकाकरण से संबंधित मिथकों को समाप्त करने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला गया।

इस सत्र में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने  विश्व के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान का समर्थन करने में सामुदायिक रेडियो स्टेशनों (सीआरएस) के योगदान को स्वीकार किया।

उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय भाषा में सामुदायिक रेडियो स्टेशनों के कार्यक्रमों का उद्देश्य समुदायों को कोविड-उपयुक्त व्यवहार के महत्व के बारे में शिक्षित करना, टीकों से जुड़े मिथकों और गलत सूचनाओं के बारे में सही जानकारी देना और टीकाकरण की प्रगति के बारे में जागरूकता पैदा करना है। इसके परिणामस्वरूप भारत के कई जनजातीय जिलों में टीकाकरण में तेजी आ रही है।

सामुदायिक रेडियो स्टेशनों से आग्रह किया गया कि वे समुदायों के बीच वैक्सीन के प्रति विश्वास को मजबूत बनाने के लिए समुदाय के नेतृत्व वाली सकारात्मक पहलों और रोल मॉडलों को उजागर करें।

इस सत्र में कोविड से जुड़े मानसिक स्वास्थ्य के विषयों पर भी फोकस किया गया।

राज्य और राष्ट्रीय स्तर के विषय विशेषज्ञों के साथ जुड़कर सूचनात्मक कार्यक्रमों के माध्यम से समुदायों के बीच मानसिक स्वास्थ्य के विषयों का समाधान करने के सामूहिक दायित्व पर बल दिया गया।

सामुदायिक रेडियो स्टेशनों से कहा गया कि वे निरंतर रूप से श्रोताओं को कड़ाई के साथ कोविड-उचित व्यवहार का पालन करने की आवश्यकता के बारे में याद दिलाएं, क्योंकि दूसरी लहर अभी भी खत्म नहीं हुई है।

समाज द्वारा स्वास्थ्य सलाह की अनदेखी करने और कोविड सुरक्षा प्रोटोकॉल को लेकर सजगता में कमी से वायरस फिर से हमला कर सकता है।

सामुदायिक रेडियो स्टेशनों के प्रतिभागियों को अभिनव कार्यक्रम बनाने तथा समुदाय की भूमिका-मॉडलों की विशेषता और उनकी भूमिका स्वीकार करके जन आंदोलन चलाने के लिए प्रोत्साहित किया गया।

प्रतिभागियों ने दर्शकों के साथ बातचीत के अपने अनुभवों को साझा किया और बताया कि किस तरह उनकी आशंकाओं, कोविड टीकों के बारे में उनकी चिंताओं को दूर किया और उन्हें टीका लगवाने के लिए प्रेरित किया।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव ने प्रतिभागियों के विभिन्न प्रश्नों का उत्तर दिया और क्षेत्रों में प्रामाणिक जानकारी का जाल व्यापक बनाने में उनके निरंतर समर्थन की सराहना की।

इस इंटरएक्टिव सत्र में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, सूचना और प्रसारण मंत्रालय, पत्र सूचना कार्यालय, दूरदर्शन, आकाशवाणी तथा यूनीसेफ के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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