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वीडियोः पिथौरागढ़ में बहन को पालकी में बैठाकर परीक्षा दिलाने लाते हैं भाई

बहन शिक्षिका बनना चाहती है, उसके सपने को साकार करेंगे

पिथौरागढ़। सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है, जो बहुत भावुक करता है। यह वीडियो भाई और बहन के बीच अटूट रिश्ते तथा उनके बीच स्नेह और सहयोग को दर्शाता है।

पिथौरागढ़ जिला मुख्यालय से करीब 40 किमी. दूर स्थित शैलकुमारी राजकीय इंटर कालेज में इन दिनों उत्तराखंड बोर्ड की परीक्षाएं चल रही हैं। पिथौरागढ़ से लगभग 28 किमी. दूर स्थित चमाली गांव के बच्चों का परीक्षा केंद्र इसी विद्यालय में है।

पिथौरागढ़ के चमाली गांव की एक बिटिया संजना का दसवीं की परीक्षा का केंद्र शैलकुमारी इंटर कालेज में है। यह बालिका पैदल नहीं चल पाती है, इसलिए उनके भाई, उनको परीक्षा दिलाने के लिए कुर्सी की बनी पालकी में बैठाकर विद्यालय तक लाते हैं। उनके भाई पारस और बड़ी बहन सान्या का परीक्षा केंद्र भी इसी विद्यालय में है। पारस और सान्या इंटर की परीक्षा दे रहे हैं। तीनों बहन भाई परीक्षा केंद्र से लगभग आधा किमी. दूर किराये का कमरा लेकर परीक्षा दे रहे हैं।

पारस अपने ममेरे भाई आकाश की मदद से एक पालकी में बैठाकर बहन को परीक्षा दिलाने विद्यालय लाते हैं। पारस कहते हैं, उनकी बहन शिक्षिका बनना चाहती है। वो उसके शिक्षिका बनने के सपने को साकार करेंगे। newslive24x7.com  से बात करते हुए पारस ने बताया कि वो चमाली गांव स्थित विद्यालय में पढ़ते हैं, जो उनके गांव डुंगरी से लगभग एक घंटे की दूरी पर है, जहां जीप से स्कूल जाते हैं।

सोशल मीडिया में पोस्ट किए गए वीडियो में लिखा है- भाई बहन का रिश्ता अटूट होता है। बहन चल नहीं सकती है, इसलिए उनके भाई इस तरीके से उनको स्कूल लाते हैं। सलाम है ऐसे भाई को।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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