Web Story: डोईवाला के दो बुजुर्ग भाइयों की कहानी आपको भावुक कर देगी
“ हमारे पास एक समय में सौ पशु थे, जिनको चराने के लिए जंगल ले जाते थे। धीरे-धीरे संख्या कम होती गई और इस समय हमारे पास मात्र 13 पशु हैं, जिनके हर माह 300 रुपये प्रति पशु के हिसाब से मिलते हैं। हम दोनों भाइयों के पास पशु चराने के अलावा आमदनी का और कोई जरिया नहीं है। हमारे पास जमीन भी नहीं है। पर, हमें अपने इस काम से बहुत प्यार है। पशुओं से बहुत लगाव है, इनके साथ हमारी उम्र बीत गई। लगभग 50 साल से पशुओं को चरा रहे हैं।” लगभग 65 साल के चैत राम अपने बारे में कुछ जानकारियां देते हैं।
चैतराम और उनके भाई गोविंद राम (करीब 62 साल से कुछ ज्यादा उम्र के) खत्ता गांव में रहते हैं। डोईवाला से उनका घर करीब तीन किमी. होगा। उनको स्थानीय लोग “पाली” कहकर पुकारते हैं। बताते हैं कि वो “ग्वाला” हैं, पर “पाली” नाम भी उनको पसंद है। गांव के लोग बहुत अच्छे हैं, जो अपने पशुओं को उनके साथ भेजते हैं। उनका हम पर वर्षों का विश्वास है।
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