FeaturedNewsUttarakhand

साढ़े तीन महीने बाद फिर यमलोक लौट गईं सबसे बुजुर्ग महिला

हरिद्वार के नारसन खुर्द गांव की 102 साल की ज्ञान देवी की मृत्यु

हरिद्वार। हरिद्वार से लगभग 45 किमी. दूर नारसन खुर्द (Narsan Khurd) गांव की 102 साल की दादी, वापस यमलोक लौट गईं। गांव की सबसे बुजुर्ग महिला ज्ञान देवी की, बीती रात मृत्यु हो गई। बुजुर्ग की मृत्यु से पूरे गांव में शोक है।

बताया जाता है, पहले 31 जनवरी, 2023 को भी उनकी सांसें थम गई थीं, पर चार घंटे बाद फिर से जीवित हो गई थीं। अब ठीक साढ़े तीन महीने बाद उनकी मृत्यु हो गई।

मालूम हो, ज्ञान देवी उस समय बहुत चर्चा में थीं, जब उनके बारे में माना जा रहा था, शरीर शांत होने के चार घंटे बाद वो फिर से जीवित हो गईं। शोक में डूबा परिवार उनके अंतिम संस्कार की व्यवस्था में जुटा था कि उनके शरीर में हलचल होने लगी तो पता चला कि वो जिंदा हैं। सबकी प्यारी दादी ज्ञान देवी, गांव की सबसे बुजुर्ग महिला (Oldest woman) थीं।

विनोद कुमार, दादी के बड़े पौत्र हैं, ने बताया, बीते शनिवार की रात करीब साढ़े दस बजे दादी ने अंतिम सांस ली। उन्होंने बताया, दादी का स्वास्थ्य खराब तो चल रहा था, पर वो स्वयं चलती थीं। खाना भी खा रही थीं। बातें करने लगी थीं, दादी खूब हंसतीं और सबको हंसाती थीं। पर, कुछ दिन पहले बारिश में गिरने की वजह से एक बार फिर चलने में असमर्थ हो गई थीं। धीरे- धीरे तबीयत ज्यादा खराब होने लगी थी।

वो उनके बारे में बताते हैं, “हमारी दादी किसी के दबाव में नहीं रहती थीं। बड़े-बड़े गम सहने वाली दादी कभी तनाव में नहीं दिखीं। हमारी मां, पिताजी और फिर मेरी पत्नी की मृत्यु हो गई। ऐसा नहीं है कि उनको दुख नहीं होता था, पर हमारे सामने दादी हमेशा मजबूत बनकर रहीं। वो कहती थीं, जीवन ऐसे ही चलता है, संघर्ष में टूटना नहीं चाहिए, बल्कि डटकर मुकाबला करो।”

“जब मैं 12 साल का था, मेरी माताजी की मृत्यु हो गई थी। दादी ने हम बहन भाइयों को पाला। हम छह बहन भाई हैं, मां की मृत्यु के समय दो बहनों और एक भाई की शादी हो गई थी। दादी ने हमें कभी यह महसूस नहीं होने दिया कि हमारी मां नहीं हैं। वो हमारी दादी बनकर भी रहीं और मां भी। हमारे लिए समय पर खाना बनातीं, हमें स्कूल भेजतीं। जबकि उस समय दादी की उम्र 80 साल से ज्यादा ही थी। मेरी दादी इतनी अच्छी थींं, भगवान सबको ऐसी दादी देना,” यह बताते हुए अरुण कश्यप बेहद भावुक हो जाते हैं, उनकी आंखें नम हो जाती हैं। अरुण दादी के छोटे पौत्र हैं।

वहीं, विनोद बताते हैं, “दादी को चटपटा खाने का बड़ा शौक था। घर के सामने से चाट की ठेलीवाला या फल वाला निकल जाए तो समझ लो दादी कुछ न कुछ जरूर खरीदेंगी। अभी तक दादी दो-दो प्लेट चाट खा लेती थीं। एक साल पहले तक अपना खाना खुद बना रही थीं। उनको मछली खाना पसंद था। अब तो बच्चे खाना बना लेते हैं, पर पहले तो दादी ही हम सबको खाना बनाकर खिलाती थीं।”

विनोद कहते हैं, दादी हमारे बीच में नहीं हैं। पर, उनकी यादें हमेशा हमारे दिल में रहेंगी।

 

Rajesh Pandey

उत्तराखंड के देहरादून जिला अंतर्गत डोईवाला नगर पालिका का रहने वाला हूं। 1996 से पत्रकारिता का छात्र हूं। हर दिन कुछ नया सीखने की कोशिश आज भी जारी है। लगभग 20 साल हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। बच्चों सहित हर आयु वर्ग के लिए सौ से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। स्कूलों एवं संस्थाओं के माध्यम से बच्चों के बीच जाकर उनको कहानियां सुनाने का सिलसिला आज भी जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। रुद्रप्रयाग के खड़पतियाखाल स्थित मानव भारती संस्था की पहल सामुदायिक रेडियो ‘रेडियो केदार’ के लिए काम करने के दौरान पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाने का प्रयास किया। सामुदायिक जुड़ाव के लिए गांवों में जाकर लोगों से संवाद करना, विभिन्न मुद्दों पर उनको जागरूक करना, कुछ अपनी कहना और बहुत सारी बातें उनकी सुनना अच्छा लगता है। ऋषिकेश में महिला कीर्तन मंडलियों के माध्यम के स्वच्छता का संदेश देने की पहल की। छह माह ढालवाला, जिला टिहरी गढ़वाल स्थित रेडियो ऋषिकेश में सेवाएं प्रदान कीं। बाकी जिंदगी को जी खोलकर जीना चाहता हूं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता: बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी संपर्क कर सकते हैं: प्रेमनगर बाजार, डोईवाला जिला- देहरादून, उत्तराखंड-248140 राजेश पांडेय Email: rajeshpandeydw@gmail.com Phone: +91 9760097344

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button