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स्क्रीन पर ज्यादा समय बिताया तो इन समस्याओं से जूझने के लिए तैयार हो जाएं

अत्यधिक स्क्रीन टाइम हमारे शारीरिक स्वास्थ्य के लिए गंभीर परिणाम हो सकता है

Spending too much time on screens? Get ready to tackle these problems!

देहरादून। न्यूज लाइव डेस्क

स्क्रीन टाइम (Screen Time) यानी टीवी या मोबाइल पर बिताया जाने वाला समय। स्क्रीन टाइम हमारे दैनिक जीवन का अभिन्न अंग बन गया है, सोशल मीडिया पर स्क्रॉल करने से लेकर अपने पसंदीदा शो को देखने तक। हालाँकि, अत्यधिक स्क्रीन टाइम हमारे शारीरिक स्वास्थ्य के लिए गंभीर परिणाम हो सकता है। हमने एआई से स्क्रीन टाइम पर एक आर्टिकल की मांग की, जो इस प्रकार है।

1. मोटापा और वजन बढ़ना

लंबे समय तक स्क्रीन टाइम एक गतिहीन जीवनशैली से जुड़ा हुआ है, जो मोटापे और वजन बढ़ने में योगदान देता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के एक अध्ययन में पाया गया कि जो वयस्क प्रतिदिन 4 घंटे से अधिक स्क्रीन टाइम पर बिताते हैं, उनमें अधिक वजन या मोटापे की संभावना अधिक होती है।

2. नींद में खलल

सोने से पहले स्क्रीन टाइम नींद के पैटर्न को बाधित कर सकता है, जिससे अनिद्रा, दिन में थकान और नींद से जुड़ी अन्य समस्याएं हो सकती हैं। स्क्रीन से निकलने वाली नीली रोशनी मेलाटोनिन के उत्पादन को दबा देती है, जिससे नींद आना मुश्किल हो जाता है। मेलाटोनिन हार्मोन नींद-जागने के चक्र में भूमिका निभाता है। रक्त में मेलाटोनिन का प्राकृतिक स्तर रात में सबसे अधिक होता है।

3. आंखों में तनाव और दृष्टि संबंधी समस्याएं

लंबे समय तक स्क्रीन पर नजरें टिकाए रखने से आंखों में तनाव, सूखी आंखें और सिरदर्द की समस्या हो सकती है। इसके अतिरिक्त, बच्चों और किशोरों में अत्यधिक स्क्रीन समय मायोपिया (निकट दृष्टि दोष) और अन्य दृष्टि समस्याएं हो सकती हैं।

4. खराब मुद्रा और मसक्यूलोस्केलेटल समस्याएं

स्क्रीन टाइम में अक्सर लंबे समय तक बैठे रहना शामिल होता है, जिससे खराब मुद्रा और मसक्यूलोस्केलेटल समस्याएं जैसे पीठ दर्द, गर्दन दर्द और कार्पल टनल सिंड्रोम हो सकता है। मसल्स, हड्डियों और लिगामेंट्स में होने वाले दर्द को मसक्यूलोस्केलेटल पेन कहते हैं। ये पेन हल्का या तेज दोनो तरह का, कम समय के लिए या देर तक और एक जगह पर या ज्यादा भागों में एकसाथ भी हो सकता है।

5. मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव

स्क्रीन टाइम मानसिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित कर सकता है, जिससे निम्न में योगदान होता है:

  •  चिंता
  • अवसाद
  • अकेलापन
  • सामाजिक अलगाव

बेहतर शारीरिक स्वास्थ्य के लिए स्क्रीन टाइम कम करना

स्क्रीन टाइम से जुड़े जोखिमों को कम करने के लिए, निम्नलिखित पर विचार करें:

  • स्क्रीन टाइम सीमा निर्धारित करें और शारीरिक गतिविधि को प्राथमिकता दें
  • बाहरी गतिविधियों में शामिल हों और नियमित रूप से व्यायाम करें
  • अच्छी नींद की स्वच्छता का अभ्यास करें और सोने से पहले स्क्रीन से बचें
  • स्क्रीन का उपयोग करते समय नियमित ब्रेक लें और स्ट्रेच करें
  • बच्चों और किशोरों के लिए आंखों की जांच और दृष्टि चिकित्सा पर विचार करें
  • अपनी स्क्रीन टाइम आदतों के प्रति सचेत रहकर और उन्हें कम करने के लिए कदम उठाकर, हम अपने शारीरिक स्वास्थ्य की रक्षा कर सकते हैं और समग्र स्वास्थ्य को बढ़ावा दे सकते हैं।

KEY WORDS:-  What is the impact of excessive screen time on physical health?, How does screen time affect sleep patterns?,  What are the risks of eye strain and vision problems associated with screen time?, How does prolonged screen time contribute to poor posture and musculoskeletal issues?, What are the potential long-term effects of excessive screen time on chronic disease risk?, How does screen time influence mental health and wellbeing?, What are some strategies for reducing screen time and promoting overall health?

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Rajesh Pandey

उत्तराखंड के देहरादून जिला अंतर्गत डोईवाला नगर पालिका का रहने वाला हूं। 1996 से पत्रकारिता का छात्र हूं। हर दिन कुछ नया सीखने की कोशिश आज भी जारी है। लगभग 20 साल हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर मानव भारती संस्था में सेवाएं शुरू कीं, जहां बच्चों के बीच काम करने का अवसर मिला। संस्था के सचिव डॉ. हिमांशु शेखर जी ने पर्यावरण तथा अपने आसपास होने वाली घटनाओं को सरल भाषा में कहानियों के माध्यम से प्रस्तुत करने के लिए प्रेरित किया। बच्चों सहित हर आयु वर्ग के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। स्कूलों एवं संस्थाओं के माध्यम से बच्चों के बीच जाकर उनको कहानियां सुनाने का सिलसिला आज भी जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। रुद्रप्रयाग के खड़पतियाखाल स्थित मानव भारती संस्था की पहल सामुदायिक रेडियो ‘रेडियो केदार’ के लिए काम करने के दौरान पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाने का प्रयास किया। सामुदायिक जुड़ाव के लिए गांवों में जाकर लोगों से संवाद करना, विभिन्न मुद्दों पर उनको जागरूक करना, कुछ अपनी कहना और बहुत सारी बातें उनकी सुनना अच्छा लगता है। ऋषिकेश में महिला कीर्तन मंडलियों के माध्यम के स्वच्छता का संदेश देने की पहल की। छह माह ढालवाला, जिला टिहरी गढ़वाल स्थित रेडियो ऋषिकेश में सेवाएं प्रदान कीं। जब भी समय मिलता है, अपने मित्र मोहित उनियाल व गजेंद्र रमोला के साथ पहाड़ के गांवों की यात्राएं करता हूं। ‘डुगडुगी’ नाम से एक पहल के जरिये, हम पहाड़ के विपरीत परिस्थितियों वाले गांवों की, खासकर महिलाओं के अथक परिश्रम की कहानियां सुनाना चाहते हैं। वर्तमान में, गांवों की आर्थिकी में खेतीबाड़ी और पशुपालन के योगदान को समझना चाहते हैं। बदलते मौसम और जंगली जीवों के हमलों से सूनी पड़ी खेती, संसाधनों के अभाव में खाली होते गांवों की पीड़ा को सामने लाने चाहते हैं। मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए ‘डुगडुगी’ नाम से प्रतिदिन डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे। यह स्कूल फिलहाल संचालित नहीं हो रहा है। इसे फिर से शुरू करेंगे, ऐसी उम्मीद है। बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहता हूं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता: बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी वर्तमान में मानव भारती संस्था, देहरादून में सेवारत संपर्क कर सकते हैं: प्रेमनगर बाजार, डोईवाला जिला- देहरादून, उत्तराखंड-248140 राजेश पांडेय Email: rajeshpandeydw@gmail.com Phone: +91 9760097344

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