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मुख्यमंत्री ने कहा, कल रात घरों की लाइट बंद करके चार दीपकों से उजाला करें

  • पांच अप्रैल की रात 9 बजे से 9 मिनट के लिए घरों में लाइट बंद करके दीयों से उजाले का आग्रह
  • दीपक न हो तो मोमबत्ती, टार्च या मोबाइल की फ्लैश लाइट भी जला सकते हैं
  • बिजली के अन्य उपकरणों जैसे टीवी, फ्रिज आदि को बंद नहीं करना है

देहरादून। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने प्रदेशवासियों से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आह्वान पर कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में एकजुटता प्रदर्शित करने के लिए कल रविवार पांच अप्रैल की रात 9 बजे से 9 मिनट के लिए अपने घरों में लाइट बंद कर चार दीपक प्रकाशित करने का आग्रह किया है। यदि दीपक न हो तो मोमबत्ती, टार्च या मोबाइल की फ्लैश लाइट भी जला सकते हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हम सभी दीपक जलाकर कोरोना वायरस से लड़ने में अपनी एकजुटता और दृढ़ संकल्प का परिचय दें, लेकिन हमें कुछ बातों का भी ध्यान रखना है। प्रधानमंत्री ने केवल घर की लाइट बंद करने के लिए कहा है। बिजली के अन्य उपकरणों जैसे टीवी, फ्रिज आदि को बंद नहीं करना है। इसी प्रकार आवश्यक सेवाओं में भी लाइट बंद नहीं होगी। स्ट्रीट लाइट भी जली रहेंगी। अति उत्साह में पूरे सोसायटी, अपार्टमेंट या घर की मेन वितरण प्रणाली से बिजली आपूर्ति बंद न करें। घर से बाहर न निकलें और न ही इकट्ठे हों। आइए हम कल रात नौ बजे दीपक जलाकर नकारात्मकता के अंधकार को दूर करें।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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